Move to Jagran APP

ईपीएफओ के सदस्यों को मिलता है सात लाख तक के बीमा का लाभ, जानिए इस खास स्कीम की पूरी जानकारी

इपीएफओ की ईडीएलआइ यानी कि इंप्लाइज डिपाजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम के तहत सबस्‍क्राइबर की अकाल मृत्यु हो जाने पर उसके नॉमिनी को सात लाख रुपये तक की इंश्योरेंस की रकम दी जाती है। इपीएफओ सदस्य की अकाल मृत्यु पर उसके नॉमिनी या उत्तराधिकारी बीमा कवर क्लेम कर सकता है।

By Abhishek PoddarEdited By: Published: Sat, 11 Dec 2021 03:17 PM (IST)Updated: Mon, 13 Dec 2021 06:33 AM (IST)
ईपीएफओ के सदस्यों को मिलता है सात लाख तक के बीमा का लाभ, जानिए इस खास स्कीम की पूरी जानकारी
EPFO अपने सदस्यों की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके परिवार को बीमा कवर का लाभ भी देता है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने सदस्यों की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके परिवार को बीमा कवर का लाभ भी देता है। इपीएफओ की ईडीएलआइ यानी कि इंप्लाइज डिपाजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम के तहत सबस्‍क्राइबर की अकाल मृत्यु हो जाने पर उसके नॉमिनी को सात लाख रुपये तक की इंश्योरेंस की रकम दी जाती है। अगर आप इपीएफओ के सबस्‍क्राइबर हैं और आपने भी लगातार 12 महीने जॉब की है, तो आपकी अकाल मृत्यु होने पर आपके परिजन इस बीमा राशि का फायदा उठा सकते हैं। ईडीएलआइ के तहत सबस्‍क्राइबर के परिवार को सात लाख रुपये तक का बीमा कवर दिया जाता है।

loksabha election banner

कोरोना से हुई मृत्यु पर भी मिलता है फायदा

यह बीमा कवर ऐसे लोगों को भी दिया जाता है, जिन्होंने एक साल के अंदर एक से ज्यादा संस्थानों में काम किया है। यह क्लेम कर्मचारी के परिवार वालों की तरफ से कर्मचारी की अकाल मृत्यु पर किया जा सकता है। ईडीएलआइ स्कीम के तहत क्लेम करने वाला सदस्य कर्मचारी का नॉमिनी होना चाहिए। कोरोना के कारण मृत्यु होने पर भी इस बीमा कवर का फायदा मिलता है।

कैसे कर सकते हैं क्लेम

इपीएफओ सदस्य की अकाल मृत्यु होने पर उसके नॉमिनी या उत्तराधिकारी बीमा कवर के लिए क्लेम कर सकते हैं। अगर क्लेम करने वाला व्यक्ति 18 साल से कम उम्र का है, तो उसकी ओर से उसका अभिभावक क्लेम कर सकता है। इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी को कर्मचारी की मृत्यु का सर्टिफिकेट, सक्सेशन सर्टिफिकेट, माइनर नॉमिनी की ओर से आवेदन करने वाले अभिभावक के प्रमाण पत्र और बैंक का विवरण देना होगा।

नहीं देना होता है कोई भी प्रीमियम

इस इंश्योरेंस स्कीम का फायदा लेने के लिए, कर्मचारी को कोई भी प्रीमियम की रकम अलग से नहीं देनी होती है, बल्कि इसके लिए योगदान नियोक्ता द्वारा ही दिया जाता है। किसी भी आर्गेनाइज्ड समूह में काम करने वाले कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसद ईपीएफ (इम्प्लाइ प्रोविडेंट फंड) में जाता है। साथ ही 12 फीसद का योगदान कंपनी या नियोक्ता द्वारा किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.