हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय सिर्फ कीमत नहीं, इन 5 बातों का भी रखें ध्यान
हेल्थ पॉलिसी खरीदते समय इन बातों का ध्यान जरूर रखें, तभी होगा आपका फायदा
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना ही सब कुछ नहीं होता। किसी भी इंश्योरेंस पॉलिसी की खरीद से पहले जरूरी है कि उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल की जाए। सही पॉलिसी का चुनाव ही जरूरत के समय लाभदायक साबित होता है। किसी भी पॉलिसी को उसकी कीमत के आधार पर खरीदना सबसे बड़ी गलती होती है।
ऐसा जरूरी नहीं है कि सस्ती पॉलिसी ही सबसे अच्छी हो। कीमत के अलावा अन्य बेनिफिट्स भी ध्यान में रखने चाहिए। इनमें सबसे पहले यह जांचें कि कंपनी की ओर से पॉलिसी प्रीमियम पर क्या क्या फायदे दिये जा रहे हैं। इसलिए अपने लिए पॉलिसी खरीदते समय कुछ बातों का निश्चित तौर पर ध्यान रखना चाहिए-
देखें वीडियो
क्या कहना है एक्सपर्ट का-
फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी का मानना है कि एक अच्छी हेल्थ पॉलिसी खरीदने से पहले सबसे पहले इसकी कवरेज जान लें। साथ ही यह सुनिश्चित कर लें कि इसके दायरे में कौन-कौन सी बीमारियां और बेनिफिट्स नहीं आते हैं। इसके पैनल में जो भी अस्पताल हैं उनकी टॉप लिमिट क्या है, उसमें डॉक्टर के विजिट के चार्जेस, आईसीयू में भर्ती होने के घंटों पर कोई लिमिट तो नहीं है। यह भी जांच कर लें कि किन-किन स्थितियों में पॉलिसीधारक क्लेम का हकदार नहीं होता है।
पॉलिसी में क्या चीजें नहीं हैं शामिल-
सभी हेल्थकेयर पॉलिसी के एक तय एक्सक्लूजन (अपवाद) होते हैं। इनमें ऐसी कुछ बीमारियां और स्थितियां होती हैं जो इंश्योरेंस कर्ता पॉलिसी में शामिल नहीं करता। अधिकांश पॉलिसी में वो बीमारियां या क्षति शामिल नहीं होती जो युद्ध, रेसिंग या आत्महत्या की कोशिश जैसी गतिविधियों के कारण हुई है। तमाम पॉलिसी की तुलना करने पर आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि किस पॉलिसी में क्या शामिल नहीं होगा।
तय राशि ही होती है रीइम्बर्स-
कई इंश्योरेंस पॉलिसी में सब लिमिट्स होती है जो कि सर्जरी, कमरे का रेंट और आइसीयू स्टे से जुड़ी होती है। जैसे कुछ पॉलिसी में स्पष्ट में होता है कि एक तय सीमा से ज्यादा का रूम रेंट रीइम्बर्स नहीं होगा। मसलन, दो लाख रुपये के सम एश्योर्ड पॉलिसी में रूम रेंट के लिए केवल 2000 रुपये ही रीइम्बर्स किये जाएंगे। यह सभी सब लिमिट्स को जानने के लिए पॉलिसी डॉक्यूमेंट्स अच्छी तरह से पढ़े जाने चाहिए। अगर इंश्योरेंस पॉलिसी की सब लिमिट कम है और आप बेहतर सुविधाओं वाले कमरे में ठहरते हैं तो रूम रेंट का अधिकांश हिस्सा आपको अपनी जेब से खर्च करना पड़ सकता है। इसी तरह पॉलिसी में कुछ सर्जरी के लिए भी सब लिमिट होती हैं जैसे कैटेरेक्ट, हिस्टरेक्टमी और अपेन्डिसाइटिज आदि। इसलिए पॉलिसी खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सस्ती पॉलिसी में निश्चित रूप से सब लिमिट और प्रतिबंध होते हैं।
रेस्टोरेशन बेनिफिट-
हर एक हेल्थ प्लान में एक सम एश्योर्ड लिमिट होती है जो कि पॉलिसीधारक के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। इस सम एश्योर्ड की एक साल में क्लेम करने की सीमा होती है। यदि सम एश्योर्ड से ज्यादा का खर्चा आता है तो पॉलिसीधारक को खुद देना पड़ता है। लेकिन अगर आपने हेल्थ प्लान रेटोरेशन बेनिफिट के साथ लिया हुआ है तो इंश्योरर सम एश्योर्ड को रीस्टोर करके रख देगा ताकि अगर उसी साल में फिर से पॉलिसीधारक बीमार होता है तो सम एश्योर्ड मिल जाए। जानकारी के लिए बता दें कि रेटोरेशन बेनिफिट केवल उस स्थिति में मिलेगा जब एक ही साल में अलग अलग बीमारी का ट्रीटमेंट हुआ हो। एक साल के भीतर एक ही बीमारी के लिए सम एश्योर्ड नहीं मिलता। उदाहरण के तौर पर आपकी पांच लाख की पॉलिसी है। आप बीमार होते हो और दो लाख रुपये का इस्तेमाल कर लेते हो। अब अगर आप उसी साल में फिर से बीमार पड़ते हो तो इंश्योरर वापस सम एश्योर्ड को बढ़ाकर पांच लाख कर देगा।
अस्पतालों का नेटवर्क-
हेल्थ पॉलिसी डॉक्यूमेंट में अस्पतालों के पास उनके कोऑडिनेटर्स की एक लिस्ट होती है। पॉलिसीधारक को इस लिस्ट को ध्यान से पढ़ना चाहिए। साथ ही यह देखना चाहिए कि आपके घर के आसपास कौन कौन से अस्पताल हैं। अगर आप ऐसे किसी अस्पताल में भर्ती होते हों जो कि लिस्ट में नहीं है तो मरीज को कैशलैस ट्रीटमेंट नहीं मिलेगा। अस्पताल का कुल बिल मरीज को अपनी जेब से भरना होगा। उसके बाद उसे यह राशि रींबर्स की जाएगी।
आंशिक भुगतान
इसे को-पेमेंट भी कहा जाता है। यह वो राशि होती है जो पॉलिसीधारक हॉस्पिटालाइजेशन के दौरान अदा करता है, शेष क्लेम की गई राशि इंश्योरर भुगतान करता है। आपको बता दें कि वरिष्ठ नागरिकों के अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में को-पेमेंट अनिवार्य होती है। हालांकि, कुछ इंश्योरर को-पेमेंट की राशि फिक्स्ड रखते हैं। जबकि कुछ एक रेंज निर्धारित कर देते हैं। यह 10 से 20 फीसद के बीच होती है। ऐसे प्लान को खरीदें जिसमें को-पेमेंट का क्लॉज न हो।