होम लोन का नहीं होता है इंश्योरेंस बल्कि लोन लेने वाले की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं कंपनियां, जानिए
होम लोन के दौरान इंश्योरेंस का विकल्प देकर राशि की वापसी सुनिश्चित करती हैं कंपनियां
नई दिल्ली (प्रवीण द्विवेदी)। अपने शहर से बाहर रह रहे अधिकांश लोग अपना खुद का घर खरीदने की योजना बनाते रहते हैं और इसके लिए वो लोन के विकल्प का चयन करते हैं। होम लोन के लिए अप्लाई करने के दौरान लेंडर्स (कर्ज देने वाले बैंक) बारोअर्स (कर्जदाताओं) से होम लोन इंश्योरेंस लेने को कहते हैं। अधिकांश लोगो को यह भ्रम रहता है कि यह आपके लोन का इंश्योरेंस होता है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता। हम अपनी इस खबर में आपको यही पेंच समझाने की कोशिश करेंगे। हमने सर्टिफाइट फाइनेंशल प्लानर जितेंद्र सोलंकी और पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट बलवंत जैन से यही पेंच समझने की कोशिश की।
क्या कहा जितेंद्र सोलंकी ने:
जितेंद्र सोलंकी ने बताया, “होम लोन के साथ ऑफर किया जाने वाला इंश्योरेंस दरअसल होम लोन का नहीं बल्कि बारोअर्स का लाइफ इंश्योरेंस होता है, ऐसा इसलिए क्योंकि आपकी मौत की स्थिति में लाइफ इंश्योरेंस से लोन का पैसा रिकवर कर लिया जाता है और मृतक के परिजनों का किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। यह इंश्योरेंस बारोअर्स की प्रोटेक्शन के लिए होता है।”
सोलंकी ने बताया कि आमतौर पर कंपनियां दो तरह के लोन पर जोर देती हैं, एक लाइफ इंश्योरेंस और दूसरा एक्सीडेंटल इंश्योरेंस। आम तौर पर लोन देने वाली कंपनियां ही इंश्योरेंस की पॉलिसी मुहैया करवा देती हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि आपने जिस कंपनी से लोन लिया है उसी कंपनी से इंश्योरेंस पॉलिसी भी लें। आप बाहर से भी इंश्योरेंस पॉलिसी ले सकते हैं।
होम लोन के साथ किस स्थिति में इंश्योरेंस जरूरी नहीं:
जितेंद्र सोलंकी ने बताया कि अगर आपने होम लोन लेने से पहले ही लाइफ इंश्योरेंस या एक्सीडेंटल इंश्योरेंस इन दोनों में से कोई एक करा रखा है तो आपको होम लोन लेने के दौरान इंश्योरेंस लेने की जरूरत नहीं है। हालांकि आपके इंश्योरेंस कवर की राशि आपके होमलोन से मैच खानी चाहिए। ऐसा नहीं होने पर आपके लिए बाकी की राशि का इंश्योरेंस लेना जरूरी होगा।
लोन के अमाउंट के साथ ही कम होता जाता है इंश्योरेंस का कवर:
जैसे-जैसे आपके होम लोन का अमाउंट कम होता जाता है आपके इंश्योरेंस का कवर भी कम होता रहता है। मसलन अगर आपने 30 लाख का लोन लिया है और आपने तीन साल के भीतर 10 लाख रुपए का लोन अगर चुका दिया है, तो अब आपके लोन की चुकाने योग्य राशि 20 लाख होगी और आपका इंश्योरेंस कवर भी 20 लाख होगा। यानी जैसे जैसे होम लोन की राशि कम होगी आपकी पॉलिसी का कवर भी कम होता रहेगा।
होम लोन के साथ ही इंश्योरेंस पर क्यों जोर देती हैं कंपनियां:
होम लोन के साथ ही कंपनियां इंश्योरेंस पर इसलिए जोर देती हैं क्योंकि वो अपने लोन की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहती है। यानी अगर किसी सूरत में लोन लेने वाले की मौत हो जाती है तो लोन की रकम इंश्योरेंस से कवर कर ली जाती है और मृतकों के परिजनों को मकान मिल जाता है। दरअसल कंपनियां कभी नहीं चाहती हैं कि मकान के लिए लोन लेने वाले व्यक्ति की मौत की स्थिति में वो मृतक के परिजनों को परेशान करें या उनके पीछे पीछे भागें, सोशल ओब्लिगेशन के चलते भी वो ऐसा करने से बचती हैं।
क्या कहा बलवंत जैन ने:
बलवंत जैन ने बताया, “होम लोन का इंश्योरेंस कराना घर खरीदने वाले और होम लोन देने वाले दोनों के लिए बेहतर रहता है। किसी कारण से अगर लोन लेने वाले की मृत्यु हो जाती है तो आपके होम लोन के साथ लिए गए इश्योरेंस की राशि से लोन की रकम को कंपनियां वसूल कर लेती हैं। आमतौर पर होमलोन देन वाली कंपनिया खुद ही इश्योरेंस का विकल्प आपको देती हैं। लेकिन लोन देने वाली कंपनियों से ही इंश्योरेंस लेना जरूरी नहीं होता है। सामान्य तौर पर लोग 1 टाइम प्रीमियम का चयन करते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए, आपको एनुअल प्लान (टर्म प्लान) का चयन करना चाहिए। आमतौर पर लोग 20 साल के लोन में 20 साल तक लोन की राशि बकाया नहीं रखते वो उससे पहले ही अधिकांश राशि का भुगतान कर देते हैं, जिस हिसाब से आपका प्रीमियम कवर भी कम होता जाता है।”