बीमा कराने वालों की पहली पसंद होते हैं चाइल्ड एजुकेशन प्लान
बच्चों की पढ़ाई से जुड़े प्लान इसलिए भी चर्चा में हैं क्योंकि पढ़ाई पर खर्च में निरंतर वृद्धि हो रही है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बच्चों की पढ़ाई का खर्च माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चिंता बन गया है। एक अध्ययन से पता चला है कि ग्राहकों में बीमा प्लान लेते वक्त लोगों की पहली प्राथमिकता बच्चों की पढ़ाई से जुड़े एजुकेशन प्लान की है। बीमा बाजार में बिकने बीमा प्लान में दो-तिहाई से अधिक हिस्सेदारी एजुकेशन प्लान की है।
बीमा कंपनी अवीवा लाइफ इंश्योरेंस के एक अध्ययन के मुताबिक बाजार में बिकने वाले बीमा प्लान में 72 फीसद लोगों की प्राथमिकता चाइल्ड एजुकेशन प्लान को लेकर है। जबकि डेथ प्रोटेक्शन से जुड़े बीमा प्लानों की हिस्सेदारी 52 फीसद है। अवीवा लाइफ इंश्योरेंस के एक अध्ययन के मुताबिक लोगों की प्राथमिकता में रिटायरमेंट इन दोनों क्षेत्रों के बाद है। करीब 45 फीसद लोगों की प्राथमिकता इस तरह के प्लान की है।
बच्चों की पढ़ाई से जुड़े प्लान इसलिए भी चर्चा में हैं क्योंकि पढ़ाई पर खर्च में निरंतर वृद्धि हो रही है। एसोचैम का एक अध्ययन बताता है कि किसी भी सामान्य परिवार का करीब 50 फीसद खर्च बच्चों की पढ़ाई पर ही होता है। चूंकि यह खर्च तेजी से बढ़ रहा है इसलिए माता-पिता में अब बच्चे की कम उम्र से ही एजुकेशन प्लान लेने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।
अवीवा इंडिया की कस्टमर, मार्केटिंग व डिजिटल प्रमुख अंजलि मल्होत्र का कहना है कि माता-पिता के सामने प्लान लेते वक्त सबसे बड़ी दिक्कत बच्चे का भविष्य का कैरियर तय करते वक्त आती है। खर्च का अनुमान भी इसी बात पर लगाया जाता है कि वे इंजीनियर की पढ़ाई के हिसाब से प्लान लेना चाहते हैं अथवा किसी अन्य क्षेत्र में।
अंजलि कहती हैं कि माता पिता की इसी दिक्कत को देखते हुए अवीवा ने किड-ओ-स्कोप प्लेटफार्म की शुरुआत की है। इसकी खासियत यही है कि आप तीन से पांच वर्ष की आयु के बच्चे की मौलिक प्रतिभा की पहचान कर सकते हैं। इसके बाद बच्चे की पढ़ाई की आर्थिक योजना बनाने में मदद मिलती है और माता पिता उसके मुताबिक बीमा प्लान ले सकते हैं।