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Union Budget 2021: सरकार ने पेश किया है आत्मनिर्भर भारत का बजट, मैन्यूफैक्चरिंग को मिलेगा प्रोत्साहन

सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है बजट में उसकी राह आसान की गई है। मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और घरेलू उद्योगों को सशक्त करने पर सरकार का फोकस इसमें स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 02 Feb 2021 08:24 AM (IST)Updated: Tue, 02 Feb 2021 08:24 AM (IST)
Union Budget 2021: सरकार ने पेश किया है आत्मनिर्भर भारत का बजट, मैन्यूफैक्चरिंग को मिलेगा प्रोत्साहन
लॉजिस्टिक्स की लागत कम करने को मेक इन इंडिया की रणनीति के केंद्र में रखा गया है।

नई दिल्ली, अजय शंकर। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, बजट में उसकी राह आसान की गई है। मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और घरेलू उद्योगों को सशक्त करने पर सरकार का फोकस इसमें स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है। बजट ने आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को नई राह दिखाई है। बड़े फैसलों की घोषणा के साथ-साथ इस दिशा में अपनाई जाने वाली नीतियों की स्पष्ट रूपरेखा बजट में बनाई गई है। सरकार ने मैन्यूफैक्चरिंग के मामले में सतत आधार पर दोहरे अंकों में विकास की जरूरत का उल्लेख किया है। साथ ही ग्लोबल चैंपियन तैयार करने और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की महत्वाकांक्षा भी दिखाई है।

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मैन्यूफैक्चरिंग के 13 बड़े सेग्मेंट को कवर करने वाली प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) योजना के तहत पांच साल में 1.97 लाख करोड़ रुपये लगाने की प्रतिबद्धता जताई गई है और अहम सेक्टर्स में नई टेक्नोलॉजी लाने का अनुमान जताया गया है। इन सबके साथ ही सरकार ने तीन साल में 7 बड़े इंवेस्टमेंट टेक्सटाइल पार्क स्थापित करने का एलान भी किया है। टेक्सटाइल सेक्टर श्रम की बहुलता वाला है। इस क्षेत्र में कपास के साथ-साथ मैनमेड फाइबर्स से बने फैब्रिक का इस्तेमाल करते हुए कपड़ों की विस्तृत रेंज के मामले में हमें अग्रणी निर्यातक बनने का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए।

लॉजिस्टिक्स की लागत कम करने को मेक इन इंडिया की रणनीति के केंद्र में रखा गया है। वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने के लिए यह बहुत जरूरी है क्योंकि अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले हमारी लॉजिस्टिक्स की लागत करीब दोगुनी है। बजट में हाईवे और रेलवे के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाने का एलान किया गया है।

100 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन अब क्रियान्वयन के चरण में पहुंचने वाला है। इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी फाइनेंसिंग के लिए एक डेवलपमेंट फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन स्थापित किया जाएगा। इसमें 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाई जाएगी। तीन साल में इसका लोन पोर्टफोलियो पांच लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। इससे भारत के विकास को उपभोग के बजाय निवेश के रास्ते गति मिलेगी, जिसकी लंबे समय से जरूरत थी। पिछले कुछ वर्षो में उपभोग आधारित विकास की सीमाएं सामने आई हैं।

ग्लोबल चैंपियंस तैयार करने और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में रिसर्च एंड डेवलपमेंट की भूमिका बहुत अहम है। अगले पांच साल में नेशनल रिसर्च फाउंडेशन में 50,000 करोड़ रुपये लगाए जाएंगे। प्राथमिकताओं को पहचानने पर इसका फोकस रहेगा। अगर हम पर्याप्त पब्लिक फंडिंग के जरिये बेहतर इकोसिस्टम तैयार करने में सफल रहे तो इस दशक में भारत के पास टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट के मामले में छलांग लगाने व वैश्विक स्तर पर आगे आने का मौका है।

बजट में घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक स्वागतयोग्य एलान किया गया है। सरकार ने कहा है कि घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने और भारत को ग्लोबल वैल्यू चेन में आगे लाने में मदद के लिए सीमा शुल्क की समीक्षा की जाएगी। घरेलू उद्योग जगत लंबे समय से इस दिशा में मांग करता रहा है। सस्ता आयात घरेलू उद्योग के लिए बड़ी चुनौती रहा है।

संक्षेप में कहें तो बजट में देश को आत्मनिर्भर बनने में सक्षम करने का व्यापक दृष्टिकोण दिखा है। इसमें समय से परियोजनाओं के क्रियान्वयन का महत्वाकांक्षी खाका भी पेश किया गया है।

(लेखक पूर्व उद्योग सचिव, भारत सरकार हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।) 


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