यह बजट उम्मीदों और महत्वाकांक्षाओं के बीच संतुलन दिखाता है, इससे विकास को मिलेगी गति
आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में संकेत दिया गया है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें अगले पांच साल तक आठ प्रतिशत की औसत विकास दर कायम रखनी होंगी।
[अमिताभ कांत]। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा जारी बजट अगले पांच-छह साल में देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता दर्शाती है। आर्थिक सर्वेक्षण 2019 में संकेत दिया गया है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें अगले पांच साल तक आठ प्रतिशत की औसत विकास दर कायम रखनी होंगी।
जैसा कि चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के उदाहरण से स्पष्ट है कि आठ- नौ फीसद की विकास दर हासिल करने में निवेश, बचत और निर्यात की अहम भूमिका होती है। निर्यात के लिए मैन्यूफैक्र्चंरग महत्वपूर्ण है। बजट स्पष्ट रूप से निवेश, मैन्यूफैक्र्चंरग एवं निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर देता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान निवेश और घरेलू बचत कड़ी चुनौती बनकर सामने आया है और इस दिशा में प्रस्तावित कदम इसे गति देने में सहायक सिद्ध होंगे।
बजट में वित्तीय सेक्टर को भी गति देने की कोशिश की गई, जिसकी लंबे समय से उम्मीद की जा रही थी। क्रेडिट हमारे जीडीपी के 70 फीसद के बराबर है और कर्ज बंटवारे पर लगी पाबंदिया दूर करने से विकास के पहियों को ईंधन मिलेगा। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विनिवेश का लक्ष्य भी बढ़ाया गया है। इससे सरकार को खर्च के लिए ज्यादा पूंजी मिल सकेगी।
सरकार ने एसेट मोनेटाइजेशन पर भी ध्यान दिया है। इससे मोबाइल टावर/पाइपलाइन, पावरग्रिड जैसी परियोजनाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी का रास्ता खुलेगा। भारत इस समय दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था में शुमार है और पिछले पांच साल में 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने का प्रयास किया गया है। कॉरपोरेट इनकम टैक्स का दायरा 400 करोड़ रुपये तक करना इस दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है। इससे कॉरपोरेट सेक्टर की ओर से पूंजी व्यय बढ़ेगा।
जीडीपी की तुलना में निवेश कम होने का एक कारण यह भी था कि आवास क्षेत्र की ओर से पूंजी निर्माण नहीं हो पा रहा था। अफोर्डेबल हाउसिंग लोन में कर छूट में वृद्धि के प्रावधान से सेक्टर को गति मिलेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ होगा। भारत इस समय नए स्टार्ट-अप्स के लिए लॉन्चपैड की भूमिका में है। ऐसे में सरकार की ओर से उन्हें मिली राहत भी अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देगी। एंजल टैक्स का मुद्दा भी सुलझ चुका है। खुशी की बात यह भी है कि एआइएफ-2 फंड को एंजल टैक्स छूट के दायरे में रखा गया है।
बजट में स्पष्ट संदेश है कि बड़े मैन्यूफैक्र्चंरग के जरिये भारत को निर्यात का हब बनाया जाएगा। वित्त मंत्री ने संदेश दे दिया है कि गीगा-बैट्री, सेमी कंडक्टर जैसे नए उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी भी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी साबित हो सकता है। इसी तरह डिजिटल इंडिया हमेशा से सरकार की प्राथमिकता में रही है और इस बजट में भी इसी झलक देखने को मिली।
विशेषज्ञ - सीईओ, नीति आयोग