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छोटे और मझोले कारोबारी भी ई-इन्वॉयसिंग से बिजनेस करना बना सकते हैं आसान, अपनाएं ये तरीके

छोटे और मझोले कारोबार को पूरी तरह ऑटोमेशन की प्रक्रिया में ढालना कोई आसान काम नहीं है लेकिन ई-इन्वॉयसिंग के माध्यम से कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

By Manish MishraEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 02:17 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 02:38 PM (IST)
छोटे और मझोले कारोबारी भी ई-इन्वॉयसिंग से बिजनेस करना बना सकते हैं आसान, अपनाएं ये तरीके
छोटे और मझोले कारोबारी भी ई-इन्वॉयसिंग से बिजनेस करना बना सकते हैं आसान, अपनाएं ये तरीके

नई दिल्‍ली, राजेश गुप्ता। पिछले कुछ वर्षों से भारत में रजिस्टर्ड छोटे और मझले कारोबारियों (एसएमबी) की संख्या में काफी बढ़ोत्‍तरी देखी गई है। यह संख्या 50 लाख से बढ़कर अब 1 करोड़ तक हो गई है और दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। लघु और मध्यम कारोबार को पूरी तरह ऑटोमेशन की प्रक्रिया में ढालना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन ई-इन्वॉयसिंग के माध्यम से कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। हर बार सामान की खरीद और बिक्री के समय बिल बनाया जाता है। यह भुगतान की प्रक्रिया में पहला कदम है। इन्वॉयस बनाना किसी भी कारोबार के लिए सबसे जरूरी कार्यों में से एक हैं। यह भुगतान प्रक्रिया में पहला कदम है। उसी समय इन्वॉयस बनाना मानवीय तौर पर काफी कठिन हो सकता है, जिसमें काफी ग़लतियां भी हो सकती हैं। लेकिन ई-इन्वॉयसिंग प्रक्रिया छोटे कारोबार में संचालन की लागत घटाने में मदद कर सकती हैं, कंपनियों के लिए तेजी से पेमेंट करना आसान बना सकती है और उनके लिए फाइनेंस के नए विकल्प खोल सकती है।

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ई-इन्वॉयस को संगठित डिजिटल फॉर्मेट का प्रयोग करते हुए विक्रेताओं और खरीदारों के बीच सामान के आदान-प्रदान और भुगतान के अनुरोध की प्रोसेसिंग को स्वचालित ढंग से होने वाली प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। अब इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयस के आने के बाद वर्ड या एक्सेल स्प्रेडशीट पर अलग-अलग इन्वॉयस की सीरीज बनाने की जरूरत नहीं है। पहले इस के लिए मानवीय दखल की जरूरत पड़ती थी और इसे अपडेट करना होता था। इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयस से अब यह प्रक्रिया काफी तेज और आसान हो सकती है। 

ऑटोमेशन: इन्वॉयस और ऑटोमेशन साथ-साथ चलने वाली प्रक्रिया है। यह लघु और मध्मम कारोबारियों को पेमेंट की प्रक्रिया ज्यादा प्रभावी तरीके से करने के लिए सक्षम बनाता है। ऑटोमेशन केवल बिजनेस की पूरी प्रक्रिया को ही आसान नहीं बनाता, बल्कि इसके लिए काफी कम संसाधनों की जरूरत भी होती है। इसलिए यह प्रक्रिया जितनी ऑटोमेटेड और प्रभावपूर्ण होगी, कंपनी को उतने ही बड़े लाभ मिलेंगे।

समय की बचत: तेजी से पेमेंट करने की प्रक्रिया कीमती समय और संसाधनों की बचत कर सकती है। मैनुअली पेमेंट करने और पेमेंट लेने में काफी समय खराब होता है। पेमेंट के लिए बार-बार कॉल करना पड़ता है। ई-इन्वॉयसिंग से छोटे और मझोले कारोबारी, उपभोक्ता और उत्पाद के बारे में सूचना, इन्वॉयस टेम्पलेट और कई दूसरी चीजें को सेव कर सकते हैं। केवल माउस की कुछ क्लिक्स से इन्वॉयस बनाया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयस से इन्वॉयस का हर बार सही होना सुनिश्चित होता है। इसमें हर बार तारीख और इन्वॉयस नंबर को अपडेट करने की जरूरत नहीं पड़ती है।

गलती की गुंजाइश होती है कम: इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयस से डाटा सीधे बिजनेस अकाउंट पे-एबल सिस्टम में फीड किया जाता है, जिससे गलती की कोई गुंजाइश नहीं रहती। इससे कारोबार को ज्यादा से ज्यादा  उत्पादक बनाया जा सकता है। इससे गलतियां भी कम होती हैं। ई-इन्वॉयसिंग से कारोबारियों को पेमेंट के लिए आए बिलों को जल्द से जल्द प्रोसेस करने की इजाजत मिलती है।

ई-इन्वॉयसिंग तक पहुंचना आसान: इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयसिंग का एक प्रमुख लाभ यह है कि इसे कहीं से भी बनाया जा  सकता है। आप किसी भी ई-मेल और पासवर्ड से लॉगइन कर इंटरनेट कनेक्शन के साथ किसी भी डिवाइस से अपने अकाउंट तक पहुंच सकते हैं।

उपभोक्ताओं से बनता है बेहतर रिश्‍ता: अगर इन्वॉयस में कोई गलती मिलती है तो वह परंपरागत रूप से बनाई गई इन्वॉयस से ज्यादा जल्दी ठीक की जा सकती है। आप काफी तेजी से बातचीत कर सकते हैं, जिसका मतलब है कि आप और आपके क्लाइंट्स काफी खुश रहेंगे क्योंकि अगर क्लाइंट खुश होता है तो वह दोबारा लौटकर आता है। इस स्थिति में वह दूसरे लोगों को आपकी कंपनी का नाम रेफर करता है। इसका मतलब है कि आपके छोटे बिजनेस का बढ़ना बरकरार रह सकता है। इसलिए मैनुअली बिल और रसीद बनाने की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयसिंग से कई कमियां दुरुस्त की जा सकती है। इससे छोटे और मध्यम कारोबारी कम से कम प्रयासों में नियमों का पालन आसानी से कर सकते हैं। इससे समय की काफी बचत हो सकती है, जिससे वह अपने बिज़नेस पर ज्यादा ध्यान दे सकते हैं। 

ई-इन्वॉयसिंग की चुनौतियां: लाभ के साथ इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयसिंग की प्रक्रिया में कई चुनौतियां भी हैं। इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयस का प्रभावी रूप से इस्तेमाल करने  के लिए उपभोक्ताओं को सूचनाएं हासिल करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है, लेकिन कई उपभोक्ता अक्सर ऑनलाइन नहीं आते। इससे उन्हें इन्वॉयस तुरंत हासिल नहीं होती। जबकि कई कारोबारियों को कंप्यूटर का इस्तेमाल करना नहीं आता और वह बिल की हार्डकॉपी ही पसंद करते है। इसके अलावा बुजुर्ग उपभोक्ता या ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कंज्‍यूमर्स के पास इंटरनेट नहीं होता और नही उनके पास कोई ई-मेल एड्रेस होता है। ऐसे हालात में इंटरनेट और टेक्नोलॉजी पर बहुत ज्यादा आश्रित होने से नुकसान हो सकता है।

सुरक्षा में सेंध: ऑनलाइन बिलिंग सिस्टम से इंटरनेट पर मौजूद स्पाईवेयर और किसी सॉफ्टवेयर की कोई फाइल से आपकी व्यक्तिगत सूचनाओं के चोरी होने और उनकी सुरक्षा पर खतरा हमेशा बना रहता है।

समय रहते हुए इन्वॉयस अपलोड करने का विकल्प बड़ी कंपनियों के लिए तो लाभ दायक हो सकता है, लेकिन छोटे कारोबार के लिए यह नुकसानदायक हो सकता है। इसके लिए अतिरिक्त खर्च और नियम-कायदों का पालन करने  की जरूरत पड़ती है। 

ऑपरेशनल मुद्दे: एक बार इन्वॉयस जेनरेट करने के 24 घंटे बाद कैंसलेशन संभव नहीं है। हालांकि, रिटर्न के फॉर्म में सप्लाई की जगह में गलती के होने पर बदलाव किए जा सकते है। उदाहरण के लिए अगर इन्वॉयस हासिल करने वाला कोई कारोबारी 15 दिनों के बाद इन्वॉयस के गलत होने की शिकायत करता है तो इस मामले में नए इन्वॉयस नंबर के लिए इन्वॉयस बनाना पड़ता है। एक और आईआरएन जेनरेट करने के लिए एक ही नंबर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इससे आकलन करने वालों को संचालन प्रक्रिया में मुश्किलें हो सकती हैं। इसलिए इलेक्ट्रॉनिक इन्वॉयस जेनरेट करने से पहले यह सावधानी बरतना सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि इन्वॉयस में सभी डिटेल ठीक तरह से भरी हुई हों।

(लेखक बिजी (अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर) के सह-संस्थापक और निदेशक हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।) 


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