Share Market Tips: जानिए कब तक बाजार में जारी रहेगी तेजी, मालामाल कर देगा निवेश का यह मौका
Share Market Investment Tips निफ्टी पीई 36 के पार चला गया है और इसके साथ ही अब वह बात पुरानी हो गई है कि जब निफ्टी पीई 28 को पार करता है तो गिरावट आती है। लेकिन 36 पीई निश्चित रूप से सही नहीं है।
नई दिल्ली, किशोर ओस्तवाल। निफ्टी ने 13,300 का स्तर पार कर लिया है और यह 13,500 की तरफ आगे बढ़ रहा है, जिसके बारे में हमने अपनी पिछली रिपोर्ट में ही बता दिया था। इस समय एक सवाल निश्चित रूप से लोगों के मन में उठेगा। वह यह कि मार्केट किस स्तर से गिरावट की ओर आएगा। यहां तक कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा रेपो रेट में यथास्थिति बनाए रखने के फैसले से भी बाजार में कोई गिरावट नहीं देखी गई। आइए आज हम इसी सवाल के बारे में बात करते हैं और आपको बताते हैं कि आने वाले हफ्तों में मार्केट की क्या चाल रहने वाली है।
निफ्टी पीई 36 के पार चला गया है और इसके साथ ही अब वह बात पुरानी हो गई है कि जब निफ्टी पीई 28 को पार करता है, तो गिरावट आती है। लेकिन 36 पीई निश्चित रूप से सही नहीं है। हमें ब्लूमबर्ग पीई को देखना चाहिए, जो 33 है और यह भी हालांकि पीछे चल रहा है, लेकिन समेकित नहीं है। समेकित आय पर सही पीई 26.4 है और अगर हम 28 को उचित वैल्यू के रूप में लेते हैं, तो निफ्टी की उचित वैल्यू 14,100 है। इस तरह अभी भी निफ्टी के ऊपर जाने की गुंजाइश है। यह गणना हमारी पिछली रिपोर्ट्स में भी हमने आपसे साझा की थी और हमारा लक्ष्य 14,000 बताया था, उस समय निफ्टी 11,800 पर था। खैर जब Goldman Sach ने 14,000 का लक्ष्य तय किया, तो बाजार को स्वीकार करना पड़ा।
हमने वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति पर चर्चा की है, जो कि जीडीपी के लिए बाजार पूंजीकरण है। मौजूदा बाजार पूंजीकरण 2.45 लाख करोड़ डॉलर है। जबकि भारत की जीडीपी 2.6 लाख करोड़ डॉलर है। यह अनुपात 94 फीसद आता है, जो पिछले 10 साल के औसत 75 फीसद से काफी अधिक है। हालांकि, अतिरिक्त तरलता और बुल मार्केट में छिपी मजबूती के हिसाब से देखें, तो यह बहुत अधिक नहीं है। ऐसे भी कई अवसर आए थे, जब यह अनुपात ने 120 फीसद तक चला गया था, जो कि गिरावट की उम्मीद के लिए उपयुक्त अनुपात है। साल 2007 में गिरावट से पहले यह 149 फीसद तक चला गया था। इस समय यूएस अनुपात 180.2 है, जो कि 120 फीसद के दीर्घकालिक अनुपात से 50 फीसद अधिक है। इस तर्क के अनुसार तो 17,000 निफ्टी भी कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए। इसलिए कम से कम 14,000 तक पहुंचने तक के लिए एक बड़ी स्थिति से डरने का कोई कारण नहीं है।
स्ट्रीट बढ़ोत्तरी को लेकर आश्वस्त नहीं है और बेचने में विश्वास कर रही है। इसलिए जब तक यह खरीदने के मूड में नहीं आ जाता, तब तक बाजारों में गिरावट नहीं होगी। अब कुछ ब्रॉड बेस्ड उछाल देखी गई, जहां कई मिड कैप स्टॉक्स भाग ले रहे हैं। इसके बाद नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने नए निफ्टी 500 लॉन्च करने का सर्कुलर जारी किया, जहां 50 फीसद लार्ज कैप्स, 25 फीसद मिड कैप्स और 25 फीसद स्मॉल कैप्स होंगे। इसलिए हम बहुत सारे स्टॉक्स को खरीद सूची में आते हुए देखेंगे। मिड कैप्स और स्मॉल कैप्स में निश्चित रूप से तेजी जारी रहेगी, क्योंकि वैल्यू अभी भी साल 2007 के उछाल से 50 फीसद डिस्काउंट पर है। हमें न केवल उस चोटी को पकड़ना है, बल्कि एक नया उत्साहपूर्ण मंच बनाने की आवश्यकता है, जिसका अर्थ है कि कई स्टॉक 100 से 1000 फीसद तक बढ़ जाएंगे।
अब देखते हैं कि लिक्विडिटी के अलावा और कौन-कौन से कारक हैं, जो बाजार को चला रहे हैं। हमारा मानना है कि सुधार साइलेंट और बोल्ड होते हैं। मौन सुधारों में LVB को DBS को सौंपना भी शामिल है। पिछले 5 दशकों में हमने भारत में विदेशी बैंक का प्रवेश नहीं देखा है। हम सिटी, आरबीएस, एचएसबीसी, बार्कलेज बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और Duetsche Bank जैसे नाम जानते हैं, लेकिन उससे आगे नहीं। नए लाइसेंस के साथ डीबीएस ने चुपचाप भारत में प्रवेश किया है। इसने कई PSB विशेष रूप से सेंट्रल बैंक, आईडीबीआई, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और जे एंड के बैंक आदि को बेचने के दरवाजे खोल दिए हैं। इन्हें घरेलू समूहों या विदेशी बैंकों में समाहित किया जा सकता है। इससे क्रेडिट ग्रोथ में तेजी से वृद्धि होगी। साथ ही PSB से बाहर निकलने से धोखाधड़ी कम हो जाएगी और सार्वजनिक वित्त बच जाएगा। इसका एक स्पष्ट रोड मैप बैंक निफ्टी और बैंकिंग शेयरों में भारी उलटफेर करेगा। हमें आश्चर्य नहीं होगा, अगर सरकार 30-36 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से बैंक ऑफ महाराष्ट्र को बेचती है।
ठीक इसी रोड मैप को तेल और गैस क्षेत्र में रखा जा रहा है, जहां सरकार ने इस क्षेत्र में सभी कंपनियों से बाहर निकलने और 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाने का फैसला किया है। अब सोचिए अगर Exxon mobile बीपीसीएल को अपने कब्जे में ले लेता है, तो सरकारी खजाने में कितनी बढ़ोतरी होगी। उदाहरण के तौर पर, मारुति को 200 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से बेचा गया और सरकार को हर साल 100 गुना अधिक टैक्स मिल रहा है। कई सरकारी कंपनियां भी ऐसा ही प्रदर्शन करेंगी। कुछ साल पहले हमने एक मुद्दा उठाया था कि हम हर साल पीएसयू को 2.4 लाख करोड़ रुपए का बजटीय समर्थन क्यों प्रदान करते हैं? अब ऐसा लगता है कि सरकार निजीकरण के माध्यम से इस समस्या का हल निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है और इसे शून्य करने का प्रयास कर रही है। यदि वे सफल होते हैं, तो घाटे का आधा हिस्सा समाप्त हो जाएगा। यह 1964 में Margarett Thacher ने ब्रिटेन में किया था।
संभवतः सरकार MNC को श्रमिक मुद्दों से दूर करेगी और 15 फीसद टैक्स अर्थव्यवस्था के लिए आश्चर्य से कम नहीं होगा। यही कारण है कि भारत सर्वाधिक एफपीआई प्रवाह आकर्षित कर रहा है। इसलिए जब तक प्रवाह जारी रहेगा बाजार सुस्त नहीं होगा। हम इसे पूर्व बजट उछाल कह सकते हैं। इसलिए अगले 2 महीने में केवल मामूली गिरावट हो सकती है, लेकिन बढ़ोत्तरी जारी रहेगी और शायद व्यापक हो। बड़ी गिरावट के रूप में हम केवल 10 फीसद की उम्मीद कर सकते हैं, जो केवल बजट के बाद ही हो सकती है।
(लेखक सीएनआई रिसर्च के सीएमडी हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)