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NBFC के लिए एनपीए मानकों की समय सीमा बढ़ाना अच्‍छा कदम : Crisil

New Rules for microfinance loans भारतीय अर्थव्यवस्था में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे कर्ज की शृंखला में अंतिम छोर पर बैठे कम आय वाले परिवारों और व्यवसायों के लिए कर्ज मुहैया कराती हैं।

By Ashish DeepEdited By: Published: Tue, 05 Apr 2022 05:27 PM (IST)Updated: Wed, 06 Apr 2022 07:44 AM (IST)
NBFC के लिए एनपीए मानकों की समय सीमा बढ़ाना अच्‍छा कदम : Crisil
Crisil ने कहा RBI के इस कदम से MFI को ज्‍यादा राहत मिलेगी। (Pti)

नई दिल्‍ली, कृष्‍णन सीतारमन। NBFC ने सितंबर 2021 तक देश भर में व्यक्तियों और व्यवसायों को 26 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज प्रदान किया था। वित्त वर्ष 2020 और 2021 में संसाधन जुटाने और संपत्ति की गुणवत्ता की चुनौतियों के कारण इस खंड में विकास की गति बहुत धीमी पड़ गई थी। हालांकि, वित्त वर्ष 2022 में इसमें वृद्धि के संकेत दिखने लगे थे, लेकिन नवंबर 2021 में जारी नियामक स्पष्टीकरणों के कारण दिसंबर में समाप्त तिमाही में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPA) में भी इजाफा होने लगा था।

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NBFC द्वारा NPA प्रबंधन पर अपने नवंबर 2021 के सर्कुलर को सितंबर 2022 तक लागू करने की समय सीमा (अपने फरवरी 2022 के परिपत्र के माध्यम से) बढ़ाने का आरबीआई का फैसला एक स्वागत योग्य कदम है। इससे एनबीएफसी को नई प्रणालियों और प्रक्रियाओं को लागू करने और एनपीए पर दबाव कम करने के लिए अधिक समय मिलेगा। आरबीआई ने 12 नवंबर, 2021 के अपने परिपत्र में दो प्रावधानों को स्पष्ट किया:

(ए) दैनिक देय तिथि के आधार पर एनपीए का आकलन (महीने के अंत के आधार पर आकलन के विपरीत, जैसा कि कई एनबीएफसी पहले कर रहे थे) और

(बी) एनपीए के बदलाव (अपग्रेड) मे अब अधिक सख्ती क्योंकि यह सभी बकाया चुकाने वाले उधारकर्ताओं से जुड़ी होगी।

इसके पहले, एनबीएफसी आमतौर पर उन एनपीए खातों को अपग्रेड कर देते थे यानी एनपीए की सूची से हटा देते थे जिसमें कर्जदार एक या दो अतिरिक्त किस्तों का भुगतान करते थे और 60 से अधिक दिनों के पिछले देय (डीपीडी) या 30 से अधिक डीपीडी श्रेणी में चले जाते थे। केवल 90 दिनों से अधिक की बकाया राशि वाले खातों को ही एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

मौजूदा समय तक असर

नवंबर 2021 में जारी विनियामक स्पष्टीकरणों के कारण गैर-बैंकों के कुल एनपीए (जीएनपीए) में वृद्धि हुई है। एनबीएफसी ने जो सूचना दी उसमें जीएनपीए 31 दिसंबर, 2021 को एक तिमाही में 150 आधार अंक (बीपीएस) बढ़कर 6.8% हो गई। जबकि एचएफसी की रिपोर्ट में जीएनपीए में 30 बीपीएस की वृद्धि हुई। यह 31 दिसंबर, 2021 को एक तिमाही में 3.3% पर था।

हालांकि, एनबीएफसी के लिए सभी क्षेत्रों में प्रभाव अलग-अलग है। उत्पाद की अंतर्निहित प्रकृति के कारण, यह स्वर्ण कर्ज खंड में नगण्य था। इसके विपरीत, दोपहिया और तीन पहिया वाहनों, वाणिज्यिक यात्री वाहनों और पहली बार उपयोगकर्ता ग्राहक खंडों पर अधिक प्रभाव के साथ, वाहन वित्त (ऑटो लोन) में 500 आधार अंकों की वृद्धि हुई।

गैर-बैंकों का सबसे बड़ा खंड होम लोन है, जिसमें अलग-अलग असर देखा गया है। हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) के किफायती हाउसिंग फाइनेंस श्रेणी में सकल एनपीए में 140-बीपीएस की वृद्धि देखी गई। जबकि पारंपरिक होम लोन में बहुत कम वृद्धि देखी गई।

आखिर इसका समाधान यहां से कैसे निकल सकता है?

एनबीएफसी और एचएफसी ने ग्राहकों के साथ संबंध, अनुकूलन क्षमता, स्थानीय ज्ञान, नवीनता, जवाबदेही और अंतिम छोर पर बैठे ग्राहकों के साथ अपने जुड़ाव की अपनी मुख्य शक्तियों का लाभ उठाकर कई वर्षों से भारत में वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पिछले दो दशकों में निजी क्षेत्र की एनबीएफसी और एचएफसी प्रबंधन के तहत कुल संपत्ति 2 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 26 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

यह वृद्धि कई चुनौतियों के बावजूद है, जैसे सदी के थोक-संपत्ति संकट, 2008-09 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान आर्थिक मंदी, 2013-14 में टेंपर टेंट्रम, नोटबंदी संबंधी बाधाएं, आईएल एंड एफएस डिफ़ॉल्ट और हाल ही में, कोविड -19 महामारी की कई लहरें शामिल हैं। हालांकि कुछ गैर-बैंकिंग खंड अलग-अलग समय में गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं, कुछ कंपनियों को बंद होने पर मजबूर होना पड़ा हैं। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो एनबीएफसी क्षेत्र ने काफी लचीलापन का प्रदर्शन किया है और अभी भी भारतीय कर्ज पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही हैं।

परिसंपत्ति गुणवत्ता पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव से निपटने के लिए, एनबीएफसी ने एलपीसी ढांचे को लागू किया, जिसमें बढ़ी हुई तरलता, प्रावधान और पूंजीकरण शामिल हैं।

निकट से मध्यम अवधि में, कुछ एनबीएफसी कारोबार खंड जैसे असुरक्षित ऋण; सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को ऋण और बड़े कर्ज में अधिक नकदी प्रवाह मुश्किलें पैदा कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप एनपीए ऊंचा हो हो सकता है।

साथ ही, आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि और एनपीए में बदलाव के अधिक सख्त मानदंडों को लागू करने की समय सीमा को स्थगित करने के कारण, निकट अवधि में जीएनपीए में गिरावट की उम्मीद है। विस्तारित समय सीमा से गैर-बैंकों को अपनी प्रक्रियाओं को फिर से जांचने, वसूली प्रक्रिया के बुनियादी ढांचे और टीम में सुधार करने और कर्जदारों को नई व्यवस्था के साथ तालमेल बिठाने के लिए उन्हें समझाने के लिए अधिक समय मिल गया है।

कई एनबीएफसी ने पहले से ही एनपीए के संशोधित मानकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी परिचालन प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, इसलिए समय सीमा विस्तार को ऐसे कई एनबीएफसी स्वीकार नहीं कर सकती हैं क्योंकि सितंबर तक नए मानकों को अपनाने के लिए पुराने मानकों पर लौटना उनके लिए असुविधाजनक हो सकता है।

गैर-बैंकों से उम्मीद की जाती है कि वे अल्पकालिक बकाये पर ध्यान केंद्रित करें 60 दिनों की श्रेणी में जाने के जोखिम की बजाय आगे एनपीए में वृद्धि से बचें। दूसरी ओर, एनपीए मानकों पर नियामक स्पष्टीकरण के कारण अंतिम तौर पर नुकसान में बदलाव की संभावना नहीं है क्योंकि उधारकर्ताओं के नकदी प्रवाह और क्रेडिट प्रोफाइल उनके कारण बदलने की उम्मीद नहीं है। इसलिए, अब तक बताए गए जीएनपीए और कर्ज लागत को उनके जीवन चक्र में ऋण पोर्टफोलियो में शामिल ऋण चूक और को चुनौतियों का ध्यान रखना चाहिए।

(लेखक क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक और उप मुख्य रेटिंग अधिकारी हैं। छपे विचार उनके निजी हैं।)


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