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बाजार के सही समय को पकड़ने की गलतफहमी

विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी भी निवेश विकल्प में एकमुश्त सारी रकम नहीं खंपानी चाहिए

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 24 Sep 2017 01:17 PM (IST)Updated: Sun, 24 Sep 2017 01:17 PM (IST)
बाजार के सही समय को पकड़ने की गलतफहमी
बाजार के सही समय को पकड़ने की गलतफहमी

ऐसे लोग इस जोरदार तेजी के समय जानबूझकर बाजार से बाहर रह रहे हैं। अपने रिटर्न को नुकसान पहुंचाने का इससे ज्यादा पुख्ता तरीका और कोई नहीं है। ये लोग उस समय निवेश करना शुरू कर देते हैं, जब बाजार गिरने लगता है! इसलिए वे उस वक्त निवेश नहीं करेंगे, जब लाभ इकट्ठा हो रहे होते हैं, बल्कि तब पैसा लगाएंगे जब बाजार गिर रहे हों। अगर दुनिया में कोई ऐसा व्यवहार है जिसमें नुकसान की पक्की गारंटी है, तो वह यही है।

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पिछले एक महीने में शेयर बाजारों ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। एक अगस्त, 2017 को मौजूद 209 डायवर्सिफाइड इक्विटी फंडों में कम से कम 155 अपने उच्चतम स्तर पर हैं। इसके अलावा 42 फंड इस ऊंचाई से एक फीसद के करीब हैं। कुल मिलाकर यह सभी फंडों का 95 प्रतिशत बैठता है। वास्तव में, सिर्फ छह फंड हैं जो अपने उच्चतम स्तर से पांच फीसद से ज्यादा दूर हैं।

इक्विटी-आधारित फंडों में निवेश करने सभी निवेशकों को अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचे निवेश के साथ अब बिल्कुल आराम से बैठे रहना चाहिए। हालांकि, यह भी पता चला है कि थोड़ी संख्या में ऐसे निवेशक भी हैं जो इस स्थिति से खुश नहीं हैं। मेरी निजी राय यह है कि ये वो निवेशक होते हैं जो अधिक जानकार होते हैं और अपने निवेशों का अधिक सक्रियता से प्रबंधन करते हैं। इस तरह के निवेशकों की निवेश राशि काफी ज्यादा होती है, लेकिन अक्सर वे बड़ी मात्र में उस नकदी पर भी बैठे होते हैं जो निवेशित नहीं हैं या हाल ही में फंडों को रिडीम करके हासिल की गई है।

इसका कारण क्या है? उन्हें निवेश करने से पहले बाजार में ‘बड़ी गिरावट’ का इंतजार है। उन्हें लगता है कि (या कि उन्हें ऐसी सलाह दी गई है) कि बाजार ओवरवैल्यूड हैं और गिरावट बस आने वाली है। इसलिए उन्हें बाजार में प्रवेश के लिए इस अवसर का इंतजार करना चाहिए। क्या ये लोग सही हैं? खैर, अगर वे ऐसे शेयर कारोबारी होते, जो कुछ दिनों या हफ्तों के लिए निवेश करके निकल लेते, तो यह व्यवहार स्वीकार्य हो सकता है। हालांकि, किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिए जो असल निवेशक है और इक्विटी फंडों में कई वर्षो (जैसा कि लोगों को होना चाहिए) के लिए निवेश करता है, तो उसका इस तरह का व्यवहार आत्मघाती है।

बाजार ऊंचाई पर हो सकते हैं और महीनों या वषों तक ऊंचे बने रह सकते हैं। आप बाजार के गोता लगाने का लंबे समय तक इंतजार करते रह सकते हैं और वास्तव में ऐसा भी संभव है कि आपका पैसा सबसे अच्छे वक्त में बचत खाते में पड़ा रह जाए। अस्थिरता शेयर बाजार का स्वभाव है। इसका मतलब है कि नफा और नुकसान के तौर पर आपका बेहद सीमित अवधि में ही लाखों का वारा-न्यारा हो जाता है। इसे दर्शाने के लिए मैंने अगस्त 1997 से अब तक के बीस वषों पर एक साधारण सा अध्ययन किया है। इस अवधि में सेंसेक्स 4347 अंक से बढ़कर 32575 अंक पर पहुंच गया। हालांकि, अगर आप इन 240 माह में से केवल सबसे तेजी वाले तीन महीनों के दौरान बाजार से बाहर रहे, तो यह ऐसा दिखेगा कि जैसे सेंसेक्स में केवल 18477 अंक की तेजी आई है! इसके उलट अगर आप किसी भी तरह से सबसे खराब तीन महीनों के लिए बाजार से बाहर रहने में कामयाब रहे, तो यह सेंसेक्स के 65798 अंक पर पहुंचने जैसा लगेगा।

इससे पता चलता है कि ज्यादातर भारी नफा और नुकसान काफी कम अवधि में सीमित रहे हैं। किसी तरह से अगर आप सबसे ज्यादा तेजी के दौर में बाजार से बाहर रहते हैं, तो आपके रिटर्न बहुत बुरी तरह प्रभावित होंगे। अब इस आंकड़े के आलोक में उन लोगों के व्यवहार के बारे में सोचें, जिन्हें ‘बड़ी डुबकी का इंतजार’ है।

ऐसे लोग इस जोरदार तेजी के समय जानबूझकर बाजार से बाहर रह रहे हैं। अपने रिटर्न को नुकसान पहुंचाने का इससे ज्यादा पुख्ता तरीका और कोई नहीं है। यह और भी बदतर हो जाता है। ये लोग उस समय निवेश करना शुरू कर देते हैं, जब बाजार गिरने लगता है! इसलिए वे उस वक्त निवेश नहीं करेंगे, जब लाभ इकट्ठा हो रहे होते हैं, बल्कि तब पैसा लगाएंगे जब बाजार गिर रहे हों। अगर दुनिया में कोई ऐसा व्यवहार है जिसमें नुकसान की पक्की गारंटी है, तो वह यही है।

लोग ऐसा करते क्यों हैं? इसका आसान सा जवाब है गलत सलाह और दिमाग में चल रहा वह गलत मॉडल है जिससे वह जानते हैं कि निवेश में रिटर्न किस तरह उत्पन्न होते हैं। लोग बाजार के सही समय को पकड़ने का प्रयास करते हैं और कभी-कभी यह महज संयोग ही होता है कि यह थोड़ा सा काम कर जाता है। वे यह जाने बिना ही ऐसा ही बार-बार करना शुरू कर देते हैं कि उनके पास वास्तव में ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि वे अपने इस -सही समय- को पकड़ कर रख सकें। किसी निवेश की सही संभावना का इस्तेमाल करने के जरूरी होता है कि अपना निवेश हर समय बनाए रखें।

साथ ही, एकमुश्त एक बार में ही सारी रकम को निवेश करने की गलती कभी न करें। इससे मामला और बदतर हो सकता है। एसआइपी शुरू करें और उस पैसे को करीब एक साल में फिर से निवेश करें।

(इस लेख के लेखक धीरेन्द्र कुमार हैं जो कि वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं।)


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