शुरुआती अड़चनें दूर हों तो GST लॉजिस्टिक्स उद्योग के लिए फायदेमंद
देश की लॉजिस्टिक्स कंपनियां वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था को अपनाने के लिए तैयार हैं
नई दिल्ली (समीर जे शाह)। भारत की लॉजिस्टिक्स कंपनियां क्रांतिकारी जीएसटी व्यवस्था को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। यह सर्वस्वीकृत तथ्य है कि लॉजिस्टिक्स उद्योग पर जीएसटी का प्रत्यक्ष तथा तत्काल प्रभाव पड़ेगा। लॉजिस्टिक्स में कस्टम क्लियरेंस, फ्रेट फॉरवर्डिग, वेयरहाउसिंग, डिस्ट्रीब्यूशन तथा सप्लाई चेन सभी आ जाते हैं। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी से कंपनियों को तकरीबन 14 अरब डॉलर की बचत होगी, क्योंकि इससे उन्हें अपने गोदामों तथा सप्लाई चेन के कुशलतापूर्वक उपयोग का मौका मिलेगा।
जीएसटी लागू होने से फर्मे सामान की ढुलाई एक से दूसरे राज्य को करने के बजाय ‘हब एंड स्पोक’ पद्धति (सामान को पहले एक जगह एकत्र करने के बाद वहां से हर तरफ उसकी आपूर्ति) से करेंगी। विकसित देशों मेंइसी पद्धति से सामान की ढुलाई होती है। इससे लॉजिस्टिक्स तथा परिवहन की लागत घटने के अलावा समय की भी बचत होगी। इसका फायदा आयातकों तथा निर्यातकों को भी मिलेगा। चूंकि भारतीय निर्माताओं, निर्यातकों तथा अंतिम उपयोगकर्ताओं को इससे लाभ होगा, लिहाजा विश्व बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा शक्ति काफी बढ़ जाएगी।
जीएसटी का कार्यान्वयन अत्यंत उपयुक्त समय में हो रहा है। इसका श्रेय सरकार की मेक इन इंडिया, सिंगिल विंडो कस्टम क्लियरेंस, ईज ऑफ डुइंग बिजनेस, स्टार्ट अप इंडिया जैसी स्कीमों तथा घरेलू खपत को बढ़ावा देने व निर्यात को किफायती बनाने के उपायों को जाता है, जिनका लंबे समय में जबरदस्त फायदा मिलने वाला है। लेकिन इन उपयुक्त इंफ्रास्ट्रक्चर, कार्गो की निर्बाध आवाजाही तथा पूरे देश में समान कर नीति के जरिये इन कदमों को और सुदृढ़ बनाए जाने की जरूरत है। जीएसटी से न केवल टैक्स के ऊपर टैक्स का व्यापक प्रभाव कम होगा, बल्कि भंडारण और वितरण की सुदृढ़ व्यवस्था के चलते कार्गो की आवाजाही भी निर्बाध व तीव्र होगी।
अध्ययनों से पता चलता है कि एंट्री टैक्स, चुंगी, व्यापार कर जैसी व्यापारिक बाधाओं के परिणामस्वरूप सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में ट्रकों का 30 से 40 फीसद तक अतिरिक्त वक्त बर्बाद होता है। जीएसटी लागू होने से इसमें कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि राज्यों के बीच चेक पोस्टों खत्म होने हो जाएंगी। विश्व बैंक के मुताबिक जीएसटी से भारतीय उद्योग घरानों की लॉजिस्टिक्स लागत 30-40 फीसद तक घट जाएगी।
इसके ई-वे बिल के कार्यान्वयन को लेकर उद्योग की कुछ चिंताएं हैं। जब तक ई-वे बिल प्रणाली पूरे देश में सही ढंग से लागू नहीं हो जाती, तब तक जीएसटी का पूरा लाभ नहीं मिलने वाला। फेडरेशन ऑफ फ्रेट फॉरवर्डर्स एसोसिएशंस इन इंडिया (एफएफएफएआइ) का मानना है कि सरकार इस संबंध में त्वरित कदम उठाएगी। इसीलिए हम दो महीने की ढील देने के सरकार के निर्णय का स्वागत करते हैं। यह दो लाख करोड़ डॉलर से बड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था के व्यापक हित में है।
(यह लेख फेडरेशन ऑफ फ्रेट फॉरवर्डर्स एसोसिएशंस इन इंडिया के अध्यक्ष समीर जे शाह ने लिखा है।)