म्यूचुअल फंड को बेचना कब सबसे ज्यादा फायदेमंद
यह ऐसी समस्या है जिसका सामना ज्यादा जानकार और म्यूचुअल फंडों से गहराई से जुड़े निवेशकों को ज्यादा करना पड़ता है।
नई दिल्ली। सैकड़ों म्यूचुअल फंडों और हजारों योजनाओं के बीच यह फैसला मुश्किल हो जाता है कि किस फंड में निवेश किया जाए। हालांकि, निवेशकों के सामने इससे भी मुश्किल एक और चुनाव आता है कि किस फंड को बेचना है और कब। यह ऐसी समस्या है जिसका सामना ज्यादा जानकार और म्यूचुअल फंडों से गहराई से जुड़े निवेशकों को ज्यादा करना पड़ता है। इसकी वजह है कि ऐसे लोग जो सक्रिय हैं और ज्यादा गहराई से जुड़े रहते हैं, उनमें कुछ करते रहने के प्रति एक स्वाभाविक झुकाव रहता है। ऐसे निवेशक अच्छा कर पाते हैं क्योंकि वे सीखते हैं, विश्लेषण करते हैं और दूसरों से ज्यादा फैसले भी लेते हैं। स्वाभाविक रूप से वे कुछ करने से पहले बल्कि कुछ भी करने से पहले तुलना करते हैं। दुर्भाग्य से अन्य सभी बातों के साथ, इस आदत की वजह से वे फंड को बेचने के लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं।
किसी फंड को बेचने के सही कारण भी होते हैं और गलत कारण भी होते हैं। सीधे शब्दों में कहें तो सही कारण वे हैं, जो निवेशक से जुड़े होते हैं और गलत कारण वे हैं जो निवेश से जुड़े होते हैं। यह बात थोड़ी उलझाने वाली है। इसे स्पष्ट करते हैं। जैसा कि मैंने शुरू में कहा, अति सक्रिय निवेशक किसी फंड को बेचने के तीन तरह के कारण देते हैं। पहला, वे उस निवेश से फायदा ले चुके होते हैं। दूसरा, उन्हें उस निवेश से नुकसान हो रहा है। और तीसरा, उन्हें उस निवेश से नफा या नुकसान नहीं हो रहा है। यह बात भले ही मजाक जैसी लग रही हो, लेकिन यह मजाक नहीं है। इसे कुछ इस तरह से कहा जा सकता है, ‘अब, जबकि मेरा निवेश बढ़ गया है, क्या मुझे मुनाफावसूली नहीं करनी चाहिए?’ या ‘इस फंड में हाल में गिरावट आई है, क्या मुझे इससे बाहर नहीं निकलना चाहिए?’ और ‘यह फंड न तो बढ़ रहा है, ना घट रहा है, क्या इसे बेच नहीं देना चाहिए?’ आमतौर पर ऐसे निवेशक जिन्हें लगातार सक्रिय रहने की आदत है, वे किसी भी परिस्थिति के लिए तर्क खोज लेते हैं।
मूलत: इनमें से कोई कारण ऐसा नहीं है कि उसकी वजह से फंड को बेच दिया जाए। पहला कारण तो सबसे बुरा है। यह कारण ‘मुनाफावसूली’ वाले विचार से सामने आता है। इक्विटी निवेश सलाहकारों ने इस विचार को फैलाया है। स्टॉक के मामले में इसका कोई मतलब नहीं है और म्यूचुअल फंड के लिए तो यह और भी बेमतलब का विचार है। दोनों ही मामलों में इस विचार को अपनाने से निवेशक अपने अच्छे निवेश को बेच देते हैं और अंत में उसके पास केवल नुकसान वाले निवेश बचे रहते हैं। म्यूचुअल फंड के मामले में कुल बात इतनी सी है कि एक फंड मैनेजर होता है जो यह फैसला करता है कि किन स्टॉक को खरीदना है और किनको बेचना है। अगर फंड मैनेजर अपना काम सही से कर रहा है तो उस फंड से अच्छा रिटर्न मिलता रहेगा। इसलिए, अच्छा रिटर्न दे रहे फंड को बेचना किसी निवेशक की नजर से सबसे उलटा कदम है।
जहां बात आती है ऐसे फंडों को बेचने की जिनका प्रदर्शन अच्छा नहीं हो, आपको समय सीमा की गणना करनी चाहिए और साथ ही आकलन करना चाहिए कि प्रदर्शन कितना खराब है। लोग कई बार ऐसे फंड को बेचने की कोशिश करते हैं जिसका प्रदर्शन बहुत अच्छा होता है, लेकिन अन्य फंडों की तुलना में थोड़ा कमजोर प्रदर्शन कर रहा होता है। कोई कहेगा कि मेरे फंड ने 25 फीसद का रिटर्न दिया लेकिन पांच अन्य फंडों ने 25 से 30 फीसद का रिटर्न दिया इसलिए मैं उन फंडों में निवेश करूंगा। शॉर्ट टर्म प्रदर्शन के आधार पर पोर्टफोलियो में यह बदलाव नुकसानदायक है और इससे भविष्य में आपके रिटर्न पर कोई असर नहीं पड़ता। अगर कोई फंड दो साल या इससे ज्यादा समय तक लगातार खराब प्रदर्शन करे, और वैल्यू रिसर्च रेटिंग में दो अंक गंवा दे, तभी आपको उससे बाहर आने के बारे में सोचना चाहिए।
सवाल है कि निवेशकों को अपने फंड बेचने कब चाहिए? इसका सही उत्तर है कि यह फैसला वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से लिया जाना चाहिए। आपको अपना फंड बेचकर पैसा निकालना चाहिए जब आपको उसकी जरूरत हो। आपने पांच, दस या पंद्रह साल तक निवेश कर लिया हो, एसआइपी को जारी रखा हो और पैसा उतना बढ़ गया हो, जितना आप चाहते थे। अब आपको घर खरीदने के लिए भुगतान की जरूरत है या बच्चे की पढ़ाई के लिए पैसा चाहिए या कोई और जरूरत है। अगर आप ऐसी किसी स्थिति के नजदीक हैं, तब आपको फंड बेचकर पैसा निकालना चाहिए, भले ही बाजार की स्थिति कैसी भी हो। ऐसे किसी खर्च के मामले में, जिसे टाला नहीं जा सकता, आपको एक-दो साल पहले से सोचना शुरू कर देना चाहिए। इक्विटी फंड से पैसा निकालिए और उसे लिक्विड फंड में डालना शुरू कीजिए। इसके लिए आप ऑटोमेटेड एसटीपी (सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, यह भी सुविधाजनक होगा। अब आप इस बात का मतलब समझ सकते हैं कि बेचने का सही कारण वह है जो निवेशक से जुड़ा हो और गलत कारण वो है जो निवेश से जुड़ा है। निवेश का उद्देश्य आपका वित्तीय लक्ष्य हासिल करना है। उसी के आधार पर फैसले लीजिए।
(इस लेख के लेखक धीरेन्द्र कुमार वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं।)