सेक्टोरल और थीम आधारित म्युचुअल फंडों में ज्यादा होता है रिस्क, लंबे समय के लिए डायवर्सिफायड फंड ही हैं फायदेमंद
थीम आधारित या सेक्टोरल फंड ऐसे म्युचुअल फंड/ईटीएफ हैं जो किसी विशेष सेक्टर या थीम के लिए निवेश जोखिम प्रदान करते हैं।
नई दिल्ली, प्रतीक ओसवाल। कुछ वर्ष पहले की तुलना में निवेश की दुनिया में आजकल सेक्टोरल या थीम आधारित प्रोडक्ट्स काफी लोकप्रिय होते जा रहे हैं। जैसे-जैसे डायवर्सिफायड म्युचुअल फंड ज्यादातर निवेशकों के लिए उबाऊ होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे सेक्टोरल या थीम आधारित फंड निवेश प्रक्रिया के लिए आकर्षक तत्व बनते जा रहे हैं। आइए, हम इन उत्पादों में निवेश करते समय विचारणीय बातों पर ध्यान केंद्रित करें। लेकिन पहले हम यह समझते हैं कि वे हैं क्या।
थीम आधारित या सेक्टोरल फंड ऐसे म्युचुअल फंड/ईटीएफ हैं जो किसी विशेष सेक्टर या थीम के लिए निवेश जोखिम प्रदान करते हैं। वे मूल रूप से निवेशकों के लिए खरीदने हेतु किसी विशिष्ट शेयर चयन करने के स्थान पर, जोखिम प्रवृत्तियों के आधार पर विशेष सेक्टर या थीम में निवेश करने के लिए विकसित किए गए थे।
कोई विशेष शेयर खरीदने समय दो प्रकार के जोखिम होते हैं – सेक्टर संबंधी जोखिम और शेयर संबंधी जोखिम। भले ही सेक्टर फलफूल रहा हो – लेकिन ऐसे प्रकरण उपस्थित हो सकते हैं जहां कोई विशेष शेयर अपने अभिलक्षणों के कारण निवेश करने के योग्य नहीं हो। इसलिए सेक्टर फंड, निवेश के संबंध में विशेष शेयर से जुड़े जोखिम को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए उत्कृष्ट होते हैं। जब कोई निवेशक बैंकिंग क्षेत्रक में निवेश करके आजमाना चाहता है, तो उसे यह तय नहीं करना पड़ता कि एचडीएफसी बैंक का शेयर खरीदा जाए या एसबीआई का। वह सेक्टर फंड खरीद सकता है और पूरे शेयर में होने-वाले उतार चढ़ाव के प्रति (गलत शेयर चुनने के जोखिम को निवारित कर) निवेश कर सकता है।
थीम और सेक्टरों के बीच क्या अंतर हैं?
सेक्टोरल फंड का मतलब ऐसे फंडों से है जो ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं जो विशेष उद्योग समूह या सेक्टर (जैसे फार्मा, बैंकिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि) के भाग होते हैं। विषय आधारित यानी थीम बेस्ड फंड थोड़े व्यापक होते हैं (जैसे ग्रामीण उपभोग, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं और वस्तुएं (ESG), उपभोग, ऊर्जा, आदि)।
सेक्टरों और थीम आधारित फंडों में निवेश करने से पहले निवेशकों को क्या ध्यान रखना चाहिए?
सेक्टर या थीम बेस्ड फंड अधिक अस्थिर और जोखिम भरे होते हैं। सेक्टर फंड डायवर्सिफायड इक्विटी फंडों की तुलना में बहुत अधिक अस्थिर होते हैं। डायवर्सिफायड फंडों में कई सेक्टर शामिल होते हैं जहां उनके बीच होने वाली गतिविधियां एक दूसरे को प्रतिसंतुलित करती हैं। सेक्टर फंडों में, अंतर्निहित स्टॉक एक साथ चलते हैं - इस प्रकार अस्थिरता की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। अधिकतर निवेशकों को सेक्टर फंड का उपयोग लंबी अवधि के निवेश के अवसरों के रूप में करने से पूर्व पुन: विचार करना चाहिए क्योंकि उनमें जोखिम अधिक होता है। दीर्घकालिक धन सृजन के लिए, अन्य परिसंपत्ति वर्गों के साथ-साथ लिए जाने वाले डायवर्सिफायड फंड सर्वाधिक प्रभावी होते हैं।
सेक्टर फंडों में ठीक समय चुनने का महत्व : सेक्टर फंड तब लोकप्रिय हो पाते जब विगत समय में उनसे मिलने वाले रिटर्न में अच्छी बढ़ोत्तरी होती रही हो, और हो सकता है ऐसा समय आने पर खरीदना बहुत देर से खरीदना साबित हो। उदाहरण के लिए - फार्मा फंड, इस सेक्टर में हाल ही में आई कमजोरी के कारण ये लोकप्रिय नहीं हो रहे हैं। आज रणनीतिगत रूप से खरीदारी करने वाले निवेशक भविष्य में निराश हो सकते हैं क्योंकि बाजार कुशल और दूरंदेशी प्रतीत होते हैं। लेकिन, मूल्यांकन या भविष्य में वृद्धि की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निवेश का विचार बनाने वाले निवेशक किसी सेक्टर या थीम आधारित फंडों की ओर आकर्षित हो सकते हैं। किसी उद्योग या थीम आधारित फंडों से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए बाजार में सही समय पर निवेश करना कुछ स्तर तक महत्वपूर्ण होता है। यह ऐसा क्षेत्र है जिसमें बहुत कम ही निवेशक दक्ष होते हैं।
सेक्टर/थीम आधारित खरीदारी का अंतर्निहित मनोविज्ञान : सेक्टर फंड तभी लोकप्रिय होते हैं जब हर कोई उनके बारे में बात कर रहा हो। इसका अर्थ यह है कि जो भी लोग इसकी खरीदारी कर रहे हों वे सर्वाधिक मूल्यांकनों पर खरीदारी कर रहे हों। और यह नीति जो दीर्घकालिक निवेशकों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे विशेष सेक्टर या थीम आधारित फंड में निवेश करने से पहले पिछले रिटर्न्स या पहले की लोकप्रियता के आधार पर उसे खरीदने की आपाधापी न करें। अधिकांश निवेशकों को डायवर्सिफायड म्युचुअल फंड की खरीदारी करने के लिए कदम बढ़ाना चाहिए। वे जोखिम और प्राप्त होने वाले प्रतिफलों के आधार पर सर्वोत्तम दीर्घकालिक अवसर प्रदान करते हैं।
सेक्टर फंड, शेयरों और म्युचुअल फंड की बीच के प्रोडक्ट समझे जा सकते हैं। सेक्टर फंड को शेयरों और म्युचुअल फंड के बीच के मानने का नजरिया बेहतर है। किसी खास शेयर को खरीदे बिना, किसी सेक्टर/थीम की लघु-मध्यम अवधि वृद्धि के आधार पर खरीदारी हेतु उत्सुक रहने वाले निवेशक, सेक्टर फंड का सही प्रकार से उपयोग कर सकते हैं।
निष्कर्ष यह है कि सेक्टरों और थीम में खरीदारी करने से पहले निवेशकों को सावधान रहना चाहिए। वे अधिक अस्थिर होते हैं और पोर्टफोलियो में उनकी प्रभावशीलता को अधिकतम करने के लिए बाजार में सही समय पर निवेश करने की कुछ सूझबूझ की आवश्यकता होती है। अधिकांश निवेशकों के लिए अपनी दीर्घकालिक आवश्यकताएं पूरी करने हेतु डायवर्सिफायड म्युचुअल फंड बेहतर विकल्प होते हैं।
(लेखक मोतीलाल ओसवाल एसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रमुख, पैसिव फंड बिजनेस हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)