Investment Tips: 'सेक्टर पर मत जाइए, अच्छी कंपनियों पर लगाइए दांव'
लंबी अवधि के निवेशक इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं कि सबसे खराब सेक्टरों में भी बहुत अच्छी कंपनियां हैं और अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टरों में भी खराब कंपनियां हैं।
नई दिल्ली, धीरेंद्र कुमार। जब भी मुझसे कोई यह पूछता है कि अगले कुछ वर्षों के दौरान शेयर बाजार में अमुक सेक्टर का क्या हाल रहने या होने वाला है, तो मैं सवाल करने वाले के बारे में सोचने लगता हूं। ऐसा नहीं कि इस सवाल का जवाब है नहीं, या दिया नहीं जा सकता। लेकिन मेरे सोच में पड़ने की वजह यह होती है कि अगर निवेशक को इन सवालों के जवाब मिल भी जाएं, इससे यह पता नहीं चलेगा कि इनके जवाब उसे भविष्य में बेहतर रिटर्न हासिल करने में कैसे मददगार साबित होंगे। लॉकडाउन और कोरोना संकट के मौजूदा दौर में भी अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर में चुनिंदा कमजोर कंपनियां और बेहद कमजोर प्रदर्शन कर रहे सेक्टर में चुनिंदा अच्छी कंपनियां हैं जो बेहतर रिटर्न दे रही हैं। मुख्य मुद्दा इस बात का है कि आप सेक्टर में नहीं, बल्कि अच्छी कंपनियों में निवेश करते हैं।
आजकल मुझे सेक्टर शब्द से थोड़ी एलर्जी होने लगी है। पिछले तीन सप्ताह के दौरान निवेश के बारे में चार लंबे ऑनलाइन सवाल-जवाब के सेशन में शामिल होने का मौका मिला। चार में से तीन सत्र में मैं सवालों के जवाब दे रहा था और एक में मैं ऑडिएंस के तौर पर शामिल था। पिछले ऑनलाइन सेशन में सवालों के जवाब नासिम निकोलस तालेब दे रहे थे।
ऑनलाइन बातचीत के इन चारों सत्रों में से एक में किसी ने सेक्टर्स के बारे में स्टैंडर्ड इंडियन इक्विटी इन्वेस्टमेंट से संबंधित सवाल पूछा। उनका सवाल था कि अब कौन सा सेक्टर अच्छा प्रदर्शन करेगा। इस सवाल के साथ समस्या यह नहीं है कि इसका जवाब नहीं दिया जा सकता है बल्कि यह सवाल पूछा ही नहीं जाना चाहिए। चलिए, मान लेते हैं कि कोई व्यक्ति ऐसा है जो भविष्य के बारे में सटीक अनुमान लगा सकता है और वह आपको सही जवाब दे भी देता है। लेकिन बुनियादी सवाल यह है कि इसका जवाब आने वाले महीनों और वर्षों में निवेश करने और अच्छा रिटर्न हासिल करने में आपकी मदद कैसे करेगा।
इस सवाल का जवाब अगर आपको मिल भी जाए, तो भी निवेश के मामले में कोई खास मदद नहीं मिलेगी। इसकी वजह यह है कि आप किसी सेक्टर में नहीं, बल्कि किसी न किसी कंपनी में ही निवेश करेंगे। लंबी अवधि के निवेशक इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं कि सबसे खराब सेक्टरों में भी बहुत अच्छी कंपनियां हैं और अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टरों में भी खराब कंपनियां हैं। कहने का मतलब यह है कि खराब दौर से गुजर रहे सेक्टरों में भी कई कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही होती हैं और यह संभव है कि वे आने वाले समय में बड़े पैमाने पर रकम बना सकें।
ठीक इसके उलट, अच्छे सेक्टर की कंपनियों का भी अगर नेतृत्व कमजोर हो या उनमें और तरह की दिक्कतें हों, तो वे ब़़डे पैमाने पर रकम गंवा सकती हैं। ऐसे माहौल में अगर वह कंपनी उस सेक्टर के मानकों से थोड़ा भी भटक जाए, तो असर और गहरा हो सकता है। मैं कोई अनुमान नहीं लगा रहा हूं। ऐसा करना इस लेख की भावना के खिलाफ होगा। लेकिन आप चौंकिएगा नहीं, अगर ट्रैवेल और बैकिंग जैसे सेक्टर्स में यही बात सामने आए। क्योंकि यह माना जा रहा है कि दूसरे सेक्टर्स की तुलना में इन सेक्टर्स के बारे में यह बात भरोसे के साथ कही जा सकती है कि आने वाले वर्षों में इनमें क्या हो सकता है।
यह साफ है कि इक्विटी इन्वेस्टिंग बॉटम अप एक्टिविटी है न कि टॉप डाउन। म्युयचुअल फंड ठीक इसका उलटा है। लेकिन इस पर शायद अगले सप्ताह या कभी और बातचीत की जा सकती है। आप सही कंपनी और स्टॉक्स में निवेश करके कमाई करते हैं। इसके विपरीत इंडस्ट्रीज, सेक्टर्स, इकोनॉमी और यहां तक कि ग्लोबल इकोनॉमी के बारे में भी आपके फैसले सटीक होने का फायदा बस नाम मात्र ही है। इससे मौजूदा समय में निवेश के लिहाज से इकोनॉमी के बारे में जो चर्चा हो रही है उसका कोई खास मतलब नहीं निकलता है। मेरा यह मतलब नहीं है कि इकोनॉमिक रिवाइवल अहम नहीं है। हमारा जीवन, नौकरियों और कारोबार के लिहाज से ये बहुत अहम हैं। लेकिन इस तरह के सवाल निवेशक के तौर पर आपकी मदद नहीं करते हैं।
पिछले सप्ताह वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन यूट्यूब चैनल पर निवेशकों के साथ सवाल-जवाब के दौरान एक और सवाल आया था जो हल्का लग रहा था लेकिन इस पर थोड़ी गहराई से सोचने की जरूरत थी। एक व्याक्ति ने पूछा कि अगले 25 से 30 वर्षों में लार्ज-कैप, मिड-कैप और स्मॉल-कैप इंडेक्सों का रिटर्न कितना होगा। पहली नजर में इस तरह के सवाल को खारिज करना आसान है। मैंने भी अपना जवाब यह कहते हुए शुरू किया कि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं। हालांकि, रिटर्न के बारे में कोई सटीक अनुमान नहीं लगाया जा सकता है लेकिन एक फ्रेमवर्क है जिसके दायरे में कोई व्यक्ति इस सवाल पर गौर कर सकता है। निश्चित तौर पर शुरुआती बिंदु पहले के 30 वर्ष होंगे। इस अवधि में सेंसेक्स पहली जून, 1990 के 800 अंक का 37 गुना हो गया है। क्योंकि इस तरह का प्रदर्शन दोहराया जा सकता है या नहीं आर अगर हां तो इसका आधार क्या है, यह जानने का कोई स्पष्ट जरिया नहीं है।
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सच यह है कि मुझे इसके बारे में नहीं पता और पता होना ज्यादा मायने भी नहीं रखता है। मायने यह बात रखती है कि महंगाई दर और फिक्स्ड इनकम रिटर्न की तुलना में इक्विटी का प्रदर्शन कैसा रहता है। लगभग 25 वर्ष पहले ऐसा दौर था जब फिक्स्ड इनकम रिटर्न काफी ऊंचे थे। मुझे वह समय भी याद है जब भारत सरकार का टैक्स फ्री बांड 11 फीसद ब्याज दे रहा था। लेकिन उस समय में हम ऐसे दौर में जी रहे थे जब महंगाई बहुत तेजी से बढ़ रही थी। इकोनॉमी में पूंजी का बहुत अभाव था और बस आंकड़े तेजी से बढ़ रहे थे। उस समय महंगाई दर और फिक्स्ड इनकम रिटर्न इतना अधिक था कि इसने इक्विटी रिटर्न को बहुत बड़ा बना दिया था लेकिन यह आपकी रकम की वैल्यू में कुछ खास इजाफा नहीं कर रहा था। अगले 25 वर्षों में अगर महंगाई दर दो से तीन फीसद और इक्विटी रिटर्न छह से आठ फीसद रहता है तो मुझे खुशी होगी। पहले की तुलना में यह रिटर्न बहुत कम है लेकिन निवेशकों के लिए यह एक सौगात से कम नहीं होगी।
(लेखक वैल्यू रिसर्च के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)