कंपनियों पर टैक्स के बोझ को कम करेगा इनपुट क्रेडिट का लाभ
जीएसटी की ओर से प्रस्तावित टैक्स की दरों का बोझ कम करने में इमपुट क्रेडिट कंपनियों की मदद करेगा
नई दिल्ली (आदिल शेट्टी)। अप्रत्यक्ष कर की मौजूदा व्यवस्था से जीएसटी के दौर में 30 जून की मध्य रात्रि से पदार्पण के लिए देश अब पूरी तरह तैयार है। जब से जीएसटी काउंसिल ने वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स की दरें तय की हैं तभी से आम आदमी इस बात का गणित लगाने की कोशिश कर रहा है कि यह उसके जीवन को कैसे प्रभावित करेगा। खासतौर पर बैंकिंग, इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड में किये जाने वाले निवेश पर क्या असर होगा। यह महत्वपूर्ण है कि पहली जुलाई 2017 से सर्विस टैक्स जीएसटी में तब्दील हो जाएगा। जीएसटी के तत्वावधान में इन तीनों क्षेत्रों के लिए टैक्स की दर 18 फीसद तय की गई है जो अभी तक 15 फीसद थी।
आइए देखते हैं कि जीएसटी की यह दर इन क्षेत्रों के लिहाज से हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करेगी।
बीमा सेक्टर
वर्तमान में प्रीमियम पर 15 फीसद सेवा कर मान्य है। लेकिन पहली जुलाई के बाद हेल्थ, टर्म और मोटर इंश्योरेंस की स्कीमों पर देय प्रीमियम पर टैक्स की दर 18 फीसद होगी। हालांकि कंपनियों को मिलने वाले टैक्स क्रेडिट की वजह से इसकी वास्तविक दर काफी कम रहने की उम्मीद है। हालांकि अलग-अलग स्कीमों के प्रीमियम पर टैक्स की वास्तविक दर अलग-अलग बैठेगी। उदाहरण के तौर पर यूलिप स्कीमों में केवल प्रशासनिक शुल्क, फंड मैनेजमेंट शुल्क और मोर्टेलिटी प्रीमियम पर टैक्स लगेगा, पूरे प्रीमियम पर नहीं। इसलिए क्षेत्र पर वास्तविक प्रभाव जीएसटी का क्या होगा, नियम और स्लैब रेट अंतिम तौर पर तय हो जाने के बाद ही इसका पता चलेगा। लेकिन एंडोमेंट पॉलिसी के प्रीमियम पर टैक्स की दर मौजूदा 1.88 फीसद से बढ़कर 2.25 फीसद हो जाएगी। हालांकि हमें एक महत्वपूर्ण बात का ध्यान रखना होगा कि जीएसटी कानून कहता है कि इनपुट क्रेडिट के तौर पर मिलने वाले लाभ का फायदा उपभोक्ता तक पहुंचाया जाना चाहिए। इसलिए अगर वित्तीय लेनदेन पर सेवाएं कुछ समय के लिए थोड़ा महंगी भले ही हो, लेकिन इसका लाभ अंतत: ग्राहकों तक नीचे पहुंचेगा।
म्यूचुअल फंड
जहां तक म्यूचुअल फंड का सवाल है, सभी फंड निवेशक से फंड प्रबंधन और डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन के नाम पर टोटल एक्पेंस रेश्यो वसूलते हैं। इसे उद्योग में टीईआर के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में म्यूचुअल फंड में टीईआर 1.25 फीसद से लेकर 2.75 फीसद के बीच लगाया जाता है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद यह इसमें चार से सात बेसिस प्वाइंट यानी 0.04 से 0.07 फीसद की वृद्धि हो जाएगी। इससे निवेशक की निवेश लागत में मामूली बढ़ोतरी होगी। मसलन अगर अभी कोई निवेशक 1.51 फीसद टीईआर देता है तो जीएसटी लागू होने के बाद उसके लिए यह दर 1.55 फीसद हो जाएगी।
बैंकिंग सेक्टर
जीएसटी लागू होने के बाद लेनदेन मामूली तौर पर महंगा होगा। सेवाएं मसलन क्रेडिट कार्ड पेमेंट, फंड ट्रांसफर, एटीएम ट्रांजैक्शन, कर्ज पर लगने वाली प्रोसेसिंग फीस पर अब 18 फीसद जीएसटी का भुगतान करना होगा। अभी तक इसके लिए लोगों को 14.5 फीसद सेवा कर और इसके साथ कृषि कल्याण सेस और स्वच्छ भारत सेस लगता था। हालांकि आगे चलकर इसे बैंकों को मिलने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट से संतुलित किया जा सकेगा। जीएसटी के तहत बैंक अब इनपुट क्रेडिट लेने के हकदार होंगे। कई सेवाएं मसलन सावधि जमा, बैंक खाता डिपॉजिट आदि जिन पर अभी कोई शुल्क नहीं है, जीएसटी में भी टैक्स से बाहर रखा गया है। हालांकि अभी किन सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है उनकी सूची का इंतजार हो रहा है। नए बैंक खाता खोलने पर भी किसी तरह का जीएसटी लागू नहीं होगा क्योंकि अभी भी यह सेवा कर के दायरे में नहीं आता।
(यह लेख बैंकबाजार डॉट कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने लिखा है।)