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कारोबार करने के तरीके बदल देगी जीएसटी व्यवस्था

विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी देश में बिजनेस करने के तौर तरीकों को बदलकर रख देगा

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sat, 08 Jul 2017 12:53 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jul 2017 12:53 PM (IST)
कारोबार करने के तरीके बदल देगी जीएसटी व्यवस्था
कारोबार करने के तरीके बदल देगी जीएसटी व्यवस्था

जीएसटी भारत के कारोबार करने के तरीके को बदल देगा। इससे एकल बाजार बनने से नई क्षमताओं का निर्माण होगा। राज्यों के बीच माल व सेवाओं की आवाजाही से लेनदेन की लागत में कमी आएगी। हालांकि विभिन्न क्षेत्रों में इसके पूरी तरह लागू होने तक इसका व्यापक असर क्या और कितना होगा इसे मापना बहुत जल्दबाजी होगी। फिर भी इस रूपांतरकारी सुधार के बारे में हम सकारात्मक हैं। हमें यकीन है कि भारतीय रिटेल समेत सभी क्षेत्रों व संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत अच्छा होगा।

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अन्य विकसित देशों के अनुभव से हम जानते हैं कि जीडीपी में वृद्धि के लिए सक्षम परिवहन प्रणाली बुनियादी जरूरत है। परिवहन प्रणाली के दो अहम तत्व होते हैं। पहला सक्षम इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरा देशभर में माल का मुक्त व निर्बाध आवागमन। पहली आवश्यकता के लिए सरकार काफी निवेश कर रही है और भौतिक व डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए संसाधनों का आवंटन कर रही है। दूसरी आवश्यकता के लिए जीएसटी हल लेकर आया है- अब ‘एक राष्ट्र, एक बाजार, एक टैक्स’ से माल की मुक्त आवाजाही के रास्ते से सारे अवरोध हट जाएंगे।

यह कर सुधार निर्माताओं व खुदरा विक्रेताओं को यह सुविधा देगा कि वे 29 मालगोदामों/कैरियर एंड फारवडिर्ंग एजेंटों के साथ काम करने के बजाय चार या पांच बड़े व सक्षम मालगोदामों/वितरण केंद्रों के साथ काम करें। इस प्रकार उन्हें आपूर्ति श्रृंखला के मध्यवर्तियों को हटाने में मदद मिलेगी। वे बड़े पैमाने पर किफायतें हासिल कर सकेंगे। इस प्रकार लागतों पर जो बचत होगी उसका फायदा भारत की मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था के उपभोक्ताओं को कम कीमतों के रूप में मिलेगा। जीएसटी के विशाल सकारात्मक असर से मध्यम अवधि व दीर्घकाल में जीडीपी में वृद्धि होगी।

जीएसटी से आवश्यक वस्तुओं की कीमतें नीचे आएंगी क्योंकि व्यापारियों को खरीद पर चुकाए गए कर के साथ आउटपुट टैक्स की देनदारी से मुक्ति मिल जाएगी। इस प्रकार मूल्य श्रृंखला में अप्रत्यक्ष करों का असर कम हो जाएगा। इसके अलावा, मुनाफाखोरी रोकने के उपायों का तात्पर्य है कि जीएसटी का फायदा अनिवार्य रूप से अंतिम ग्राहकों तक पहुंचेगा। इसके अतिरिक्त जीएसटी में दरों का ढांचा इस अभिनव तरीके से तय किया गया है कि विशुद्ध आधार पर हम आशा करते हैं कि घरों के बजट को राहत मिलेगी।

लोग जीएसटी कानून में कई दरों की बात कर रहे हैं। मैं सोचता हूं कि सरकार व जीएसटी काउंसिल ने जांच-परखकर ऐसा किया है। इसकी बहुत जरूरत थी। वर्तमान प्रणाली विविध दरों के ढांचे को आवश्यक बनाती है ताकि विभिन्न क्षेत्रों को भविष्य में अलग-अलग क्षेत्रों को अधिक संयुक्त दर ढांचे की ओर बढ़ने का वक्त मिले। अगर जीएसटी में एक ही दर होती तो उससे अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ी हलचल मच जाती और खाद्य जैसे कुछ खास क्षेत्रों में बुरा असर पड़ता।

देश में लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग परिचालन जिस तरह से होता है, जीएसटी के लागू हो जाने से उसमें माल व सेवाओं की पहुंच में सुधार हो जाएगा। भारत में आपूर्ति श्रृंखला व खुदरा परिचालन जीएसटी के अमल से ज्यादा सक्षम हो जाएंगे।

अंतत: यह भी काबिलेगौर है कि जीएसटी गैर-पंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं के साथ सौदा करने वाली कंपनियों पर कर बाध्यता लगाता है। ऐसा होने से अनौपचारिक अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा कर के दायरे में आ जाएगा। इससे राजस्व अर्जन बढ़ेगा। नतीजतन, विभिन्न सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से करदाताओं तक पहुंचेगा। नोटबंदी के बाद से जीएसटी अगला कदम है जो अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने की ओर है। इससे व्यवस्था में बहुत अधिक क्षमताएं विकसित होंगी। भारत बहुत बड़ा देश है, जाहिर है कि बदलाव के इस दौर में संचालन संबंधी छोटे-मोटे मुद्दे तो सामने आएंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है जिसे हम सब मिलजुलकर बदल न सकें। इस कर सुधार के बाद आखिरकार उपभोक्ता और देश दोनों विजेता होंगे। जीएसटी के अमल में आने से ग्राहकों को उन उत्पादों व सेवाओं पर लगाए गए टैक्स की बेहतर समझ हो जाएगी जिन्हें वे खरीद रहे हैं।

सरकार 17 सालों से जीएसटी को लागू करने का प्रयास कर रही थी। इतने सालों के बाद जीएसटी का लागू होना सपने के सच होने जैसा है। इससे यह भी पता चलता है कि यह सारी प्रक्रिया कितनी जटिल थी। इसलिए मौजूदा जीएसटी ढांचे को इस संदर्भ में देखना चाहिए। अब जीएसटी वास्तविकता बन चुका है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम इसे न केवल कर सुधार के तौर पर सराहें बल्कि इसे व्यापार करने के नितांत नए तरीके के रूप में देखें। इसका इरादा ग्राहकों, निर्माताओं और पूरी अर्थव्यवस्था का कल्याण करने का है। हालांकि शुरुआत में परिवर्तन संबंधी कुछ दिक्कतें पेश आएंगी। अनुपालन के लिए लागत भी लगेगी। लेकिन दीर्घकाल में यह राष्ट्र को पहले से कहीं तेज रफ्तार विकास दर के दायरे में पहुंचा देगा।

(इस लेख के लेखक कृष अय्यर हैं जो कि वॉलमार्ट इंडिया के प्रेसीडेंट एवं सीईओ हैं)


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