Move to Jagran APP

जीएसटी ने बदले ऑनलाइन कारोबार के नियम

जीएसटी ने ऑनलाइन बिजनेस के तौर तरीकों में काफी बदलाव ला दिए हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 09 Jul 2017 01:58 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jul 2017 01:58 PM (IST)
जीएसटी ने बदले ऑनलाइन कारोबार के नियम

बनारस की गृहणी माला को कोहिमा की एक लड़की से दो साड़िया खरीदने का ऑनलाइन ऑर्डर मिला है। हर साड़ी की कीमत 2,000 रुपये है। उसको हर दिन ऐसे 20 ऑर्डर मिलते हैं। वह एक अच्छी डिजाइनर है, लेकिन उसे सामान बेचने का ज्ञान नहीं है। उसने अपने सामान बेचने के लिए एक ई-कॉमर्स वेबसाइट पर आकर्षक पेज बना रखा है। जैसे ही उसे ई-कॉमर्स वेबसाइट पर कोई ऑर्डर मिलता है, वह उसे पैक कर कूरियर कंपनी को दे देती है। इसके बाद खरीदार से पैसे लेने और बाकी सब काम ई-कॉमर्स कंपनी करती है। इस तरह ई-कॉमर्स के जरिये कारोबारी अपने उत्पाद और ग्राहक पर फोकस कर रहे हैं, जबकि अन्य चीजें आउटसोर्स कर सकते हैं।

loksabha election banner

ई-कॉमर्स में जोखिम और निवेश कम है। इसलिए यह गृहणियों, छात्रों, छोटे कारोबारियों, शिल्पकारों, निर्माताओं और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए आकर्षक विकल्प है। आज भारत में माला की तरह के 50,000 से अधिक उद्यमी अपने उत्पाद ई-कॉमर्स वेबसाइटों के माध्यम से बेच रहे हैं। ऐसे अधिकांश उद्यमी दिल्ली या मुंबई के नहीं, टियर-2 और टियर-3 शहरों के हैं। कपड़ों से लेकर मोबाइल फोन तक ई-कॉमर्स के जरिये बेचे जा रहे हैं।

जीएसटी ई-कॉमर्स के जरिये उत्पाद बेच रहे माला जैसे व्यक्तियों के जीवन में व्यापक बदलाव लाएगा। जीएसटी में इस क्षेत्र के लिए कई तरह के नियम लागू किए गए हैं। इसलिए इन नियमों को समझना बेहद जरूरी है। वेबसाइट के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री व आपूर्ति करने वाली कंपनियां ई-कॉमर्स ऑपरेटर और माला जैसे लोग आपूर्तिकर्ता यानी सप्लायर हैं।

जीएसटी के लागू होने पर ये दोनों ही टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। ई-कॉमर्स ऑपरेटर को करयोग्य आपूर्ति के एवज में वास्तविक सप्लायर को किए जाने वाले भुगतान पर एक प्रतिशत की दर से टैक्स की कटौती करनी होगी। इस तरह जो राशि काटी या संग्रहित की जाएगी, उसे स्नोत पर कर संग्रह (टीसीएस) कहा जाता है। इस तरह एक प्रतिशत टीसीएस के जरिये आपूर्तिकर्ता की पहचान हो जाएगी। बाद में वह शेष जीएसटी का भुगतान कर सकेगा। आपूर्तिकर्ता ई-कॉमर्स ऑपरेटर द्वारा किए गए टीसीएस भुगतान का क्रेडिट ले सकता है।

ई-कॉमर्स फर्म को टीसीएस की कटौती वास्तविक और सेवा के असल सप्लायर के खाते में धनराशि क्रेडिट किए जाने या आपूर्तिकर्ता को नकद या किसी अन्य माध्यम से रकम देने के अवसर पर करनी होगी। ई-कॉमर्स ऑपरेटर अपनी ओर से भी वस्तुएं व सेवाओं की बिक्री कर सकता है। इस मामले में सेवाओं और वस्तुओं की आपूर्ति को दूसरी सप्लाई की तरह ही समझा जाएगा। चूंकि वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति उसने खुद की है, इसलिए इस तरह के सौदों पर टीसीएस का नियम लागू नहीं होगा।

ई-कॉमर्स ऑपरेटर जो भी टीसीएस सरकार के खाते में जमा करेगा, वह पंजीकृत आपूर्तिकर्ता के कैश लेजर में प्रदर्शित होगी। आपूर्ति करने वाला इसका भुगतान के समय इस्तेमाल कर सकता है। ई-कॉमर्स ऑपरेटर के माध्यम से सप्लायर ने जो आपूर्ति की है, उसके एवज में वह अपने इलेक्ट्रॉनिक कैश लेजर में क्रेडिट क्लेम कर सकता है। जीएसटीएन इस आपूर्ति और ई-कॉमर्स फर्म की ओर से काटे गए टीसीएस की राशि का मिलान करेगा। अगर इस राशि और आपूर्ति का मिलान नहीं हो पाता तो जीएसटी नेटवर्क दोनों व्यक्तियों को इसकी सूचना देगा।

इस तरह जीएसटी लागू होने के बाद ई-कॉमर्स के माध्यम से उत्पाद बेचने के लिए एक फर्म को सामान्य करदाता के तौर पर जीएसटी के तहत पंजीकृत होना पड़ेगा और सभी तरह के रिटर्न दाखिल करने होंगे। यह उन फर्मो को भी करना होगा जो जीएसटी से छूट प्राप्त 20 लाख रुपये सालाना कारोबार सीमा के दायरे में आती हैं। कंपोजीशन स्कीम के व्यापारी भी ई-कॉमर्स के माध्यम से सामान नहीं बेच पाएंगे। यानी इस प्रावधान के चलते जो फर्मे जीएसटीएन में पंजीकृत नहीं हैं, वे ई-कॉमर्स कारोबार से बाहर ही रहेंगी।

फिलहाल ई-कॉमर्स के जरिये कारोबार करने वाली सभी कंपनियां कुछ समय के लिए राहत ले सकती हैं। शायद ई-कॉमर्स कारोबार पर जीएसटी के प्रावधानों के संभावित प्रभावों को देखते हुए सरकार ने 26 जून को इन प्रावधानों को कुछ समय के लिए टालने का फैसला किया है। इसका मतलब है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को आपूर्तिकर्ता को किए जा रहे भुगतान पर फिलहाल एक प्रतिशत टीसीएस करने की जरूरत नहीं होगी। इसी तरह ई-कॉमर्स के जरिये कारोबार कर रही छोटी फर्मो को जीएसटीएन के साथ पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आने वाले समय में ई-कॉमर्स फर्मे और सरल व्यवस्था की उम्मीद कर सकती हैं।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)
अजय श्रीवास्तव(आइटीएस अधिकारी और ‘द जीएसटी नेशन’ पुस्तक के लेखक)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.