Financial Planning Tips: वित्तीय आजादी के लिए एक्सपर्ट की सलाह अनुसार इस तरह बनाए योजना, सुखमय होगा जीवन
Financial Planning वित्तीय आजादी पाने के लिए आपको कुछ बेसिक कार्य करने होंगे। आपको वित्तीय लक्ष्य तय करना होगा बजट बनाना होगा अपने कर्ज को मैनेज करना होगा स्थिर जीवनशैली अपनानी होगी धन जुटाने के लिए सोच-समझकर निवेश करना होगा और जानकारी व परामर्श हासिल करना होगा।
नई दिल्ली, ओमकेश्वर सिंह। वित्तीय आजादी का मतलब अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर अच्छा और आश्वस्त महसूस करना होता है। आप इस बात को लेकर आश्वस्त रहते हैं कि आप अपनी मौजूदा और लंबी अवधि की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर पाने में सक्षम हैं। वित्तीय आजादी पाने के लिए मैराथन में दौड़ने जैसे अनुशासन और समर्पण की जरूरत होती है। वित्तीय आजादी पाने के लिए आपको कुछ बेसिक कार्य करने होंगे। आपको वित्तीय लक्ष्य तय करना होगा, बजट बनाना होगा, अपने कर्ज को मैनेज करना होगा, स्थिर जीवनशैली अपनानी होगी, धन जुटाने के लिए सोच-समझकर निवेश करना होगा और जानकारी व परामर्श हासिल करना होगा।
फाइनेंशियल प्लानिंग की शुरुआत कैसे करें?
शुरुआत के लिए ये चीजें महत्वपूर्ण हैं:
- हेल्थ इंश्योरेंस (कैशलेस)- पांच लाख रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक का (यह निर्भर करता है कि आपकी उम्र क्या है।)
- टर्म लाइफ इंश्योरेंस- यह आपकी सालाना आय का 10 गुना होना चाहिए।
- इसके बाद 5:15:50 के सिद्धांत को अपनाइए। यह प्रारंभिक निवेश का सबसे अच्छा सिद्धांत है।
5%: अपनी आय की पांच फीसद राशि से इमरजेंसी फंड क्रिएट कीजिए। इसके लिए लिक्विड या अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म फंड्स में निवेश कीजिए।
15%: अपनी आमदनी की 15 फीसद राशि का इस्तेमाल रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए किया जाना चाहिए। इसके लिए अपनी उम्र के हिसाब से इक्विटी डाइवर्सिफाइड फंड्स, हाइब्रिड फंड्स और डेट फंड्स में निवेश करिए।
50%: अपनी मासिक आय की 50 फीसद राशि का इस्तेमाल अपने जीवनयापन के खर्च के लिए कीजिए। आमदनी में बढ़ोत्तरी के साथ इसमें कमी आएगी और निवेश बढ़ेगा।
30%: अगर आप छुट्टियों पर जाना चाहते हैं या कार, घर खरीदना चाहते हैं या बच्चे के करियर या शादी इत्यादि के लिए पैसे इकट्ठा करना चाहते हैं तो अपनी आमदनी के 30 फीसद हिस्से से एक बढ़िया फंड बना सकते हैं।
जल्द निवेश करना क्यों जरूरी है?
निवेश की शुरुआत जल्द करने से आपको अपनी बचत राशि की कम्पाउंडिंग एवं अनुशासन का फायदा मिलता है। नीचे दिया गया इलेस्ट्रेशन कंपाउंडिंग की ताकत को दिखाता है। नीचे दी गई सारणी यह दिखाती है कि एक लाख रुपये का निवेश 30 साल में चक्रवृद्धि ब्याज से कितना हो जाता है और साधारण ब्याज से कितना रह जाता है।
रिटर्न की सालाना दर
|
8%
|
10%
|
12%
|
15%
|
निवेश की गई एकमुश्त राशि
|
1,00,000
|
1,00,000
|
1,00,000
|
1,00,000
|
शुरुआती राशि + साधारण ब्याज
(इसमें प्राप्त ब्याज का दोबारा निवेश नहीं किया गया)
(A)
|
3,40,000
|
4,00,000
|
4,60,000
|
5,50,000
|
शुरुआती रकम + चक्रवृद्धि ब्याज (ब्याज को समान दर पर दोबारा निवेश किया गया)
(B)
|
10,10,000
|
17,40,000
|
30,00,000
|
66,20,000
|
एकत्र संपत्ति में अंतर (B-A)
|
6,70,000
|
13,40,000
|
25,40,000
|
60,70,000
|
कंपाउंडिंग के जरिए एक लाख 30 साल में कितना गुना बढ़ा
|
10.1
|
17.4
|
30.0
|
66.2
|
नीचे दिया गया इलस्ट्रेशन इस बात को दिखाता है कि रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए निवेश में देर होने पर किस तरह आपको हर महीने ज्यादा बड़ी धन राशि को इंवेस्ट करना होता है और देरी से निवेश शुरू करने से आपको कितना नुकसान होता है। प्रतिशत में दिखाया गया बदलाव पूर्व की शुरुआती आयु से अब तक हुए बदलाव को दिखाता है। 12 प्रतिशत के सालाना CAGR को आधार मानकर यह गणना की गई है।
|
@ 25 साल की आयु से निवेश करने पर
|
@ 35 साल की आय से निवेश करने पर
|
@ 45 साल की आयु से निवेश करने पर
|
निवेश की राशि (प्रति माह)
|
5,000
|
7,000
|
11,667
|
निवेश की गई कुल राशि
|
21,00,000
|
21,00,000
|
21,00,000
|
60 साल की आयु में रिटायरमेंड फंड का वैल्यू
|
3,21,54,797
|
1,31,51,926
|
58,28,436
|
10-10 साल की देरी से आपके रिटायरमेंट फंड में कितनी कमी आ गई
|
|
59.10%
|
55.68%
|
फाइनेंशियल प्लानिंग से जुड़ी दिक्कतों का समाधान कैसे किया जाए?
फाइनेंशियल प्लानिंग के लिहाज से देखा जाए तो खर्चों के बाद बची राशि का निवेश या बचत अच्छी चीज नहीं है। हमें इसके विपरीत करना चाहिए। कहने का अभिप्राय है कि पहले निवेश/ बचत करनी चाहिए और बाकी बची राशि का इस्तेमाल खर्चों के लिए करना चाहिए। फाइनेंशियल प्लानिंग के तहत लक्ष्य तय करिए और उसे अमल में लाने और अनुशासन में रहने पर ध्यान केंद्रित कीजिए। निवेश की बुनियादी चीजें बहुत सरल होती हैं, इसके साथ बने रहिए। जीवन से जुड़ी घटनाएं अप्रत्याशित और अनिश्चित होती हैं। ऐसी अनिश्चित परिस्थितियों के लिए उचित फाइनेंशियल प्लानिंग का होना आवश्यक है।
फाइनेंशियल प्लानिंग में किस तरह की गलतियों से बचना चाहिए?
निवेश शुरू करने के लिए उपयुक्त समय और बचत का इंतजार नहीं करना चाहिए। छोटी रकम से भी काफी बड़ी रकम का सृजन किया जा सकता है। निवेश शुरू करने के लिए बड़ी धनराशि आने का इंतजार मत कीजिए। महंगाई दर को पीछे छोड़ने की ताकत कंपाउंडिंग और अनुशासन में होती है और ये साधारण सिद्धांत हैं, लेकिन इसे समझना मुश्किल है क्योंकि इसे बड़ा आकार लेने में समय लगता है। यह रातों-रात नहीं हो जाता। धीरज रखिए, पर्याप्त समीक्षा कीजिए और सोच-समझकर निर्णय कीजिए, आनन-फानन में नहीं।
अलग-अलग परिस्थितियों में फाइनेंशियल प्लानिंग से जुड़े कदम
एकल निवेशक
-पांच लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस और सालाना आय के 10 गुना के बराबर का टर्म इंश्योरेंस
-5-15-50 नियम का पालन कीजिए और 15% का निवेश डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स (फ्लेक्सी कैप, मिड कैप, लार्ज कैप और ELSS में कीजिए)
विवाहित निवेशक
-10 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस (फैमिली फ्लोटर) और सालाना आय की 10 गुनी राशि तक का टर्म इंश्योरेंस
-5-15-50 नियम का पालन कीजिए और 15% का निवेश डाइवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स (फ्लेक्सी कैप, मिड कैप, लार्ज कैप और ELSS में कीजिए)
रिटायर्ड निवेशक
-15 लाख रुपये तक का हेल्थ इंश्योरेंस (फैमिली फ्लोटर और गंभीर बीमारियों की कवरेज भी)
-सालाना आय की 10 गुना राशि का टर्म इंश्योरेंस
-तीन डेट (गिल्ट, कॉरपोरेट और बैंकिंग व पीएसयू फंड)
-और एक हाइब्रिड बैलेंस एडवांटेज फंड। मासिक खर्च के लिए इन चार फंड्स में से किसी एक में समान राशि का SWP
(लेखक सैमको ग्रुप में RankMF के प्रमुख हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)