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Financial Planning: बेहतर रिटर्न, पर्याप्त लिक्विडिटी के लिए जरूर आजमाएं ये टिप्स, नहीं बिगड़ेगी आपकी वित्तीय सेहत

Investment Tips कुछ मायनों में फाइनेंशियल पोर्टफोलियो भी मनुष्य के जीवन की तरह होते हैं। मनुष्य जिस तरह अपना वजूद बनाने के लिए महामारी से जूझता है उसी तह फाइनेंशियल पोर्टफोलियो का चक्र भी नीचे जाता है और उसे उस हालात से चुनौतियों मिलती हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 02:03 PM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 06:25 PM (IST)
Financial Planning: बेहतर रिटर्न, पर्याप्त लिक्विडिटी के लिए जरूर आजमाएं ये टिप्स, नहीं बिगड़ेगी आपकी वित्तीय सेहत
एक मजबूत और स्वस्थ पोर्टफोलियो बनाने के लिए योजना बनाने और अनुशासन की जरूरत पड़ती है।

नई दिल्ली, अजित मेनन। इस समय दुनिया दो हिस्सों में विभाजित है-आशावाद और निराशावाद के बीच। एक तरफ बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन शुरू होने से उम्मीद है तो दूसरी ओर दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के लगातार जारी रहने से निराशा का माहौल है। भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने मायूसी का माहौल बना दिया है। इससे जो भारी चुनौतियां पैदा हुई हैं, उससे मुकाबले के लिए हमारे मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे संकट में हम यह उम्मीद और दुआ कर सकते हैं कि हालात जल्द ही नियंत्रित हो जाएंगे।

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कोविड की खिलाफ लड़ाई में सबसे जरूरी है कि इम्यूनिटी का मजबूत होना। अब तक आए आंकड़ों से पता चलता है कि जिन लोगों को अन्य बीमारियां हैं, उन्हें सामान्य सेहत वाले लोगों की तुलना में कोरोना से ज्यादा जोखिम है। इम्यूनिटी सिर्फ ऐसे संकट के वक्त अच्छे और स्वस्थ रहन-सहन से नहीं बढ़ती। हालांकि इम्यूनिटी के मामले में जीन अहम रोल अदा करते हैं लेकिन संतुलित पोषण, निरंतर व्यायाम, पर्याप्त नींद और सकारात्मक मानसिक स्थिति से ही एक लंबे वक्त में अच्छी इम्यूनिटी तैयार होती है। इम्यूनिटी हासिल करने का कोई शॉर्ट-कट तरीका नहीं है क्योंकि इसके लिए वर्षों का अनुशासन और कोशिश चाहिए। 

कुछ मायनों में फाइनेंशियल पोर्टफोलियो भी मनुष्य के जीवन की तरह होते हैं। मनुष्य जिस तरह अपना वजूद बनाने के लिए महामारी से जूझता है उसी तह फाइनेंशियल पोर्टफोलियो का चक्र भी नीचे जाता है और उसे उस हालात से चुनौतियों मिलती हैं। 

एक स्वस्थ व्यक्ति महामारी और उसके बाद फिर से खड़ा होकर समृद्धि की राह पर चल पड़ता है । इसी तरह एक स्वस्थ पोर्टफोलियो भी संकट से उबरने के दौरान और  इसके बाद ज्यादा तेजी से आगे बढ़ता है। 

एक मजबूत और स्वस्थ पोर्टफोलियो बनाने के लिए योजना बनाने और अनुशासन की जरूरत पड़ती है। इसमें वर्षों के अनुशासन की जरूरत होती है।

हम जानते हैं कि मनुष्य एक साथ कई बीमारियों से घिरा हो सकता है। पिछले कुछ सालों के अनुभव से मैंने जाना है कि फाइनेंशियल पोर्टफोलियो की बीमारियां क्या होती हैं। इसलिए मैंने सोचा कि इस बारे में आपको अपने नजरिये से अवगत कराया जाए। 

अगर किसी वित्तीय संकट के बाद कोई फाइनेंशियल पोर्टफोलियो दोबारा सेहतमंद नहीं बन पाता है तो इसकी क्या वजहें हैं? इसकी वजह है पोर्टफोलियो में बहुत सारे गैर लिक्विड एसेट का होना, कुछ सिक्योरिटी और एसेट क्लास में बहुत सारा निवेश , एसेट क्लास के बीच डाइवर्सिफिकेशन की कमी और असंतुलित एसेट आवंटन , पोर्टफोलियो में एक दूसरे से जुड़े हुए कई एसेट का होना। 

अच्छी बात यह है कि आप पोर्टफोलियो में लगने वाली बीमारियों को मनुष्य की बीमारियों और स्वास्थ्य में होने वाले गड़बड़ी की तुलना में जल्दी ठीक कर सकते हैं। हम अक्सर देखते हैं कि बिजनेसमैन अपनी संपत्तियों को या तो अपने बिजनेस में लॉक कर देते हैं या फिर रियल एस्टेट, जिसमें बहुत कम लिक्वडिटी होती है।

जब भी गंभीर आर्थिक संकट आता है कारोबारों के पास लिक्विडिटी सूखने लगती है और बिजनेस को चलाए रखने के लिए औने-पौने दाम पर रियल एस्टेट को बेचना पड़ता है। या फिर ज्यादा ब्याज दर पर पैसा लेना पड़ता है, जिससे पोर्टफोलियो को स्थायी नुकसान पहुंचता है। 

दूसरी ओर, वेतनशुदा लोग अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा उन कंपनियों के ईसोप ( ESOP) में रख छोड़ते हैं, जिनमें वे काम कर रहे होते हैं। जिन कंपनियों में वे काम करते हैं, उनके भविष्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता समझ में आती है लेकिन आज की उथल-पुथल भरी दुनिया में कहीं भी चल रहा कोई इनोवेशन पहले से जमी हुई इंडस्ट्री को उलट-पुलट सकता है। इसलिए किसी एक कंपनी में आपके ज्यादातर शेयर होना अच्छा आइडिया नहीं हो सकता। 

इसी तरह किसी एक एसेट क्लास या आपस में बेहद नजदीकी तौर पर जुड़े एसेट क्लास भी पोर्टफोलियो के लिए बीमारी बन सकते हैं। हर एसेट क्लास एक चक्र से गुजरता है। किसी में यह चक्र छोटा होता है तो किसी भी यह चक्र वर्षों लंबा होता है। जब निवेशक को कैश फ्लो की जरूरत हो और उसके एसेट क्लास का चक्र नीचे जा रहा हो उसकी वित्तीय सेहत पर लंबा असर होगा। अगर एक दूसरे से जुड़ी बहुत सारे एसेट भी हों तो भी ज्यादा मदद नहीं मिलेगी। कुछ निवेश किसी भी तरह की वोलेटिलिटी से बचने के लिए सुरक्षित एसेट क्लास का विकल्प चुनते हैं। इनमें लिक्वडिटी की चुनौतियां नहीं होतीं लेकिन लंबी अवधि में उनमें महंगाई से ज्यादा रिटर्न देने की क्षमता का अभाव भी दिख सकता है। 

एक अच्छा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर्स/रजिस्टर्ड इनवेस्टमेंट एडवाइजर एक हेल्दी पोर्टफोलियो बनाने में मदद करता है। मेरा पोर्टफोलियो एक एक्सपर्ट मैनेज करता है। मेरी सलाह है कि हमेशा एक अनुभवी, काबिल और भरोसमंद गाइड को अपने साथ रखें । इससे जोखिम कम करने में मदद मिलती है। इससे आपके निजी पूर्वाग्रह खत्म होते हैं, जो आपके लंबी अवधि के बचत और निवेश उद्देश्यों पर उल्टा असर डाल सकते हैं। 

यह काफी चुनौतीपूर्ण दौर है और जिंदगी पटरी पर कब लौटेगी, इस बारे में अनुमान लगाना कठिन है। लेकिन इसराइल अमेरिका और ब्रिटेन में आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण हो चुका है। वहां जिंदगी थोड़ी बहुत पाबंदियों के साथ पटरी पर लौट  रही है। हमारे देश की कुछ खास चुनौतियां है। उसमें इस स्थिति तक आने में थोड़ा ज्यादा समय लग सकता है लेकिन हम भी जल्दी सामान्य जिंदगी में लौटेंगे। तब तक हम कोरोना के खिलाफ कोई ढील नहीं दे सकते। हम सब जानते हैं कि सही तरीके से मास्क पहनना, हाथ धोना, एक दूसरे से दूरी पर खड़े होना और वेंटिलेशन वाली जगहों पर रहना अपने और अपने नजदीकियों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। इसलिए सतर्क रहिये, सुरक्षित रहिये।

(लेखक पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड के सीईओ हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)


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