NBFCs के कारोबारी विकास के लिए डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन है अहम, नए सर्वे में सामने आई बात
कोविड-19 संकट ने कंपनियों के समक्ष गंभीर चुनौती तो पेश की ही है साथ ही उन्हें डिजिटल टूल्स के इस्तेमाल की ओर भी मोड़ा है। इससे नई टेक्नोलॉजी की अहमियत सामने आई है और कारोबारी विकास एवं परिचालन का ऑनलाइन एवं डिजिटल फॉर्मेट लाना संभव हुआ है।
नई दिल्ली, लाडिस्लाव सिमिसेक। कोविड-19 संकट ने कंपनियों के समक्ष गंभीर चुनौती तो पेश की ही है, साथ ही उन्हें डिजिटल टूल्स के इस्तेमाल की ओर भी मोड़ा है। इससे नई टेक्नोलॉजी की अहमियत सामने आई है और कारोबारी विकास एवं परिचालन का ऑनलाइन एवं डिजिटल फॉर्मेट लाना संभव हुआ है। पारंपरिक एनबीएफसी के लिहाज से देखें तो कोविड से पहले तक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कुछ ही सेवाओं तक सीमित था। हालांकि महामारी के कारण बने अनिश्चितता के माहौल ने टेक्नोलॉजी को अपनाने की गति बढ़ाई है और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन को सबसे आगे और बिजनेस डायनामिक्स के केंद्र में लाकर स्थापित कर दिया है।
होम क्रेडिट इंडिया की ओर से हाल में कराए गए कस्टमर सर्वे के मुताबिक, 90 फीसद लोगों ने कहा कि वे इस हालात में बाहर जाने से बच रहे हैं। 86 फीसद लोगों ने कहा कि वे अगले 1-2 साल किसी यात्रा से बचना चाहेंगे। इसलिए एनबीएफसी के लिए इस न्यू नॉर्मल को अपनाना और अपनी सेवाओं को डिजिटल करना जरूरी हो गया है। एचसीआईएन में हमने बहुत पहले से ही इस रणनीति को अपनाया है, लेकिन पिछले साल महामारी आने के बाद से इसे और गति दी गई है। वस्तुत: ज्यादातर आईटी प्रोजेक्ट्स एवं गतिविधियां मौजूदा डिजिटल सफर को गति देने या एनालॉग प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण पर फोकस कर रही हैं।
81 फीसद प्रतिभागी अपनी नौकरी या कारोबार को लेकर डरे हुए हैं और 46 फीसद ने कहा कि उन्होंनें घर के खर्चों के लिए कर्ज लिया है। ऐसे में एनबीएफसी को ज्यादा क्रेडिट प्रोडक्ट उपलब्ध कराने पर जोर देना चाहिए, जिससे ग्राहकों की जरूरतें पूरी हो सकें।
साझेदारी के जरिये डिजिटाइजेशन की रणनीति
वर्तमान समय में एनबीएफसी पहले की तुलना में बहुत ज्यादा टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रही हैं और लीड जनरेशन, कस्टमर ऑनबोर्डिंग, अंडरराइटिंग, क्रेडिट/लोन वितरण एवं कलेक्शन की पूरी वैल्यू चेन में साझेदारी बढ़ाने पर जोर दे रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल) और बड़े पैमाने पर डाटा से कर्जदाताओं को हर ग्राहक की जरूरत को समझने और एक अल्टरनेटिव क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल बनाने में मदद मिल रही है। इसके साथ-साथ मोबाइल एवं स्मार्टफोन की बढ़ती उपलब्धता से एनबीएफसी के लिए ग्राहकों से जुड़ना आसान हो गया है। आज ग्राहक मोबाइल फोन की मदद से आवेदन, ई-केवाईसी और डिस्बर्समेंट के लिए ई-सिग्नेचर तक कर्ज लेने की हर प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं।
इस दिशा में मदद के लिए होम क्रेडिट इंडिया ने भारत के सबसे बड़े डिजिटल क्रेडिट प्लेटफॉर्म मोबीक्विक से हाथ मिलाया है और उसके साथ होम क्रेडिट मनी एप लॉन्च किया है, जो मोबाइल एप्लीकेशन बेस्ड वॉलेट है, जिसमें यूजर्स की पेमेंट और क्रेडिट की पूरी डिजिटल व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है। एप को इस बात को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है कि यूजर ई-कॉमर्स पेमेंट, क्यूआर पेमेंट, बिल पेमेंट और मनी ट्रांसफर जैसे सभी पेमेंट कर सकें।
कस्टमाइज्ड प्रोडक्ट्स की पेशकश
सभी एनबीएफसी इनोवेटिव प्रोडक्ट विकसित करने पर जोर दे रही हैं और असंगठित क्षेत्र के कम आय वाले शहरी ग्राहकों पर केंद्रित हैं। ऐसी परिस्थिति में एनबीएफसी के लिए यह जरूरी हो गया है कि ऐसा बिजनेस मॉडल अपनाएं जो टेक्नोलॉजी आधारित हो। लगातार क्रिएटिव एवं ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से प्रोडक्ट पेश करने के लिए कंपनियों को कर्ज देने के मौजूदा तरीकों से आगे बढ़कर सोचने की जरूरत है। ग्राहकों को ध्यान में रखकर पर्सनलाइजेशन और फ्लेक्सिबिलिटी के इस लक्ष्य को पाने में टेक्नोलॉजी मददगार होगी।
टेक्नोलॉजी की मदद से ग्राहक उस तरह से लेनदेन कर सकेंगे, जैसे चाहेंगे। ग्राहकों तक निजी पहुंच के लिए टेक्नोलॉजी की मदद से टार्गेटेड और ऑटोमेटेड मैसेज भेजे जा सकते हैं। एप की मदद से कर्ज लेने वाले को सीधे उसकी जरूरत के हिसाब से प्राइसिंग ऑफर दिए जा सकते हैं। एक ऐसा मोबाइल सॉल्यूशन तैयार हो सकता है, जो ग्राहकों को तेज और हर समय लोन से जुड़ी ऐसी सूचनाएं दे सकता है, जो उनके अनुकूल हैं और आसानी से समझ में भी आ सकती हैं। सीधे ग्राहकों की पहुंच में आने वाले आकर्षक कस्टम ऑफर्स के कई लाभ हैं।
(लेखक होम क्रेडिट इंडिया के चीफ इन्फॉर्मेशन ऑफिसर हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)