बजट 2022 में एजुकेशन पर होगा जोर, डिजिटल शिक्षा पर फोकस है जरूरी : एक्सपर्ट
Budget expectations 2022 उम्मीद भी की जा रही है कि राष्ट्रीय शिक्षा मिशन (समग्र शिक्षा) और अध्यापक प्रशिक्षण प्रोग्राम पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा जो भारत जैसे बड़े आकार के देश के लिए महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, सिद्धार्थ गुप्ता। बजट 2022-23 की घोषणा होने वाली है, ऐसे में ज़्यादातर अध्यापक, छात्र और अन्य हितधारक उम्मीद कर रहे हैं कि आगामी बजट में शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाएगा, जिससे न केवल कोविड संबंधी चुनौतियां दूर करने में बल्कि नई शिक्षा नीति 2020 को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी। आगामी बजट में जीडीपी का 6 फीसदी आवंटन शिक्षा के लिए किया जाना चाहिए जो 2014-19 के वर्षों में 2 से 3 फीसदी रहा है।
ऐसी उम्मीद भी की जा रही है कि राष्ट्रीय शिक्षा मिशन (समग्र शिक्षा) और अध्यापक प्रशिक्षण प्रोग्राम पर भी विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा जो भारत जैसे बड़े आकार के देश के लिए महत्वपूर्ण है।
नए कोविड वैरिएन्ट के मामले अब तक बढ़ रहे हैं, इस बीच आगमी बजट 21वीं सदी के लिए न सिर्फ पाठ्यक्रम बल्कि डिलीवरी प्रणाली के संदर्भ में भी शिक्षा पर पुनर्विचार करने, इसे नया आयाम देने का अवसर प्रदान करेगा। पाठ्यक्रम को इतना प्रासंगिक एवं रोचक बनाना चाहिए ताकि छात्र लर्निंग का आनंद उठा सकें। नाकि पुराने पड़ चुके सिद्धान्तों को बार-बार पढ़ते रहें, जिनका आज के दौर में कोई महत्व नहीं है।
इसलिए युवाओं को डिजिटल एवं प्रत्यास्थ कौशल प्रदान कर रोजगार में सक्षम बनाना चाहिए। उनकी स्किलिंग, रीस्किलिंग एवं अप-स्किलिंग को भी महत्व देना चाहिए, तभी देश के युवा विकसित होती डिजिटल अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकेंगे। इसके लिए सरकार, ऐड-टेक प्लेयर्स एवं ऐड-टेक सेक्टरों को एकजुट होकर काम करना होगा, उन्हें शिक्षा के डिजिटलीकरण के लिए ठोस नींव बनानी होगी और एक आधुनिक कार्यप्रणाली निर्धारित करनी होगी।
सरकार को ठोस बुनियादी ढांचे से युक्त डिजिटल एवं फिज़िकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना चाहिए। इसी तरह शिक्षा की गुणवत्ता को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। साथ ही आज के दौर में डिजिटल शिक्षा को भी प्रोत्साहन देना भी ज़रूरी है। ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए आधिकारिक निर्देश एवं बुनियादी ढांचे की स्थापना करना भी ज़रूरी है क्योंकि आने वाले समय में ऑनलाईन परीक्षाओं का महत्व बढ़ सकता है।
सरकार को ऐड-टेक प्लेयर्स के साथ मिलकर दिशानिर्देश जारी करने होंगे, ठोस बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा और शिक्षा संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए उचित प्रक्रिया तैयार करनी होगी। शिक्षा एक ऐसी सर्विस है, जो निर्विवादित और निर्बाध रूप से जारी रहनी चाहिए। महामारी के पिछले दो सालों के दौरान हमने पाया कि हमारा ऐड-टेक सेक्टर वास्तव में इसके लिए सक्षम है। सरकार को ऐड-टेक के साथ साझेदारियों के द्वारा हमारी शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना होगा ताकि शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाया जा सके और निर्बाध रूप से इसकी उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके।
इसके अलावा उच्च शिक्षा में उदारीकरण और इनोवेशन को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है, जिससे एक छात्र का भविष्य निर्धारित होता है। युवाओं को आधुनिक तकनीकों जैसे एआई और बिग डेटा के साथ अपनी पसंद का करियर चुनने की आज़ादी देने से राष्ट्रनिर्माण और इनोवेशन्स को बढ़ावा दिया जा सकता है। किंतु इसके लिए सशक्त प्रशासन की आवश्यकता है ताकि चीज़ें तेज़ गति से आगे बढ़ सकें और भारत विश्वस्तरीय मंच पर दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हो।
अंत में भारतीय अर्थव्यवस्था के औपचारीकरण के साथ, अपस्किलिंग, रीस्किलिंग के लिए संरचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने तथा इंडिया इंक के नेतृत्व में ओद्यौगिक-अकादमिक साझेदारियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और सरकार को छपे विचार इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
(लेखक मर्सर|मैटल में CEO हैं। छपे विचार उनके निजी हैं।)