Crude Oil Prices Fall: छह महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा Crude Oil, इकोनोमी को मिल रहे शुभ संकेत; जनता को राहत संभव
छह महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा कच्चा तेल बुधवार को डालर के मुकाबले रुपया 29 पैसे हुआ मजबूत पहले दो हफ्तों में एफआइआइ ने किया 22452 करोड़ रुपये का निवेश महंगाई की दर में भी लगातार तीन महीनों से गिरावट जारी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से लगातार नीचे आने का सिलसिला जारी है जो ना सिर्फ देश की इकोनोमी के लिए एक बहुत ही शुभ समाचार है बल्कि इससे आम जनता को भी महंगे पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। वैसे बुधवार को बाजार के साथ ही मुद्रा बाजार, शेयर बाजार से भी काफी अच्छे संकेत मिले हैं जिसका पूरी इकोनोमी पर चौतरफा सकारात्मक असर पड़ने की बात कही जा रही है। कच्चे तेल की कीमत बुधवार को 91 डालर प्रति बैरल के करीब आ गई है। यह 16 फरवरी, 2022 के बाद कच्चे तेल का सबसे नीचला स्तर है। इसके साथ ही डालर के मुकाबले रुपया भी 26 पैसे मजबूत हो कर 79.45 के स्तर पर बंद हुआ है।
रुपये की मजबूती और कच्चे तेल की नरमी का असर शेयर बाजार पर दिखा है। मुंबई शेयर बाजार का सूचंकाक 418 अंकों की तेजी के साथ 60,260 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी भी 119 अंकों की छलांग के साथ 17,944 पर बंद हुआ है। भारतीय इकोनोमी के प्रति विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) का भरोसा भी बहाल होता दिख रहा है। इस पूरे वित्त वर्ष भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे एफआइआइ ने अगस्त, 2022 के पहले दो हफ्तों के दौरान 22,452 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है यानी जितना पैसा भारत से निकाला है उससे ज्यादा का निवेश किया है।
जानकारों का कहना है कि एफआइआइ के भरोसे की एक वजह यह भी है कि थोक महंगाई की दर फरवरी, 2022 के बाद से सबसे न्यूनतम स्तर 13.93 फीसद पर है जबकि खुदरा महंगाई की दर जुलाई, 2022 में तीन महीने बाद सात फीसद से नीचे (6.71 फीसद) पर आई है।
घाटे की भरपाई करने के मूड में तेल कंपनियां
कच्चे तेल के छह महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाने का फायदा देश की आम जनता को कब मिलेगा, इसको लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। लेकिन उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में नरमी का फायदा कंपनियां ग्राहकों को देंगी। तेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि आम जनता को यह फायदा तभी मिलेगा जब कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक 90 डालर प्रति बैरल से नीचे रहे। दूसरी शर्त यह है कि डालर के मुकाबले रुपया स्थिर रहे। क्रूड फरवरी के बाद 91 डालर से बढ़ कर 140 डालर प्रति बैरल तक चला गया था।
इसकी वजह से मार्च-अप्रैल में तेल कंपनियों ने पेट्रोल की खुदरा कीमत में 9.20 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी। अंतिम वृद्धि 06 अप्रैल, 2022 को की गई थी। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल माह में क्रूड के लिए औसतन 102.97 डालर प्रति बैरल, मई के लिए 109.51 डालर प्रति बैरल, जून के लिए 116.61 डालर और जुलाई के लिए 105.31 डालर की कीमत भारतीय कंपनियों ने अदा की है।
मई से जुलाई तक महंगाई क्रूड खरीदने के बावजूद घरेलू कीमतें तेल कंपनियों ने नहीं बढाई हैं। इस वजह से देश की तीनों बड़ी तेल कंपनियों आईओसी, एचपीसीएल व बीपीसीएल को भारी घाटा उठाना पड़ा है। इसलिए अब जबकि क्रूड सस्ती हुई है तो तेल कंपनियां पहले अपने घाटे की भरपाई करने के मूड में हैं।