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Budget Gyan: जब निर्मला सीतारमण ने बजट नहीं, बहीखाता किया था पेश, जानें इसका मतलब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट पेश करेंगी। 2019 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया और फिर जुलाई 2019 में फुल आम बजट आया।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 12:34 PM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 03:56 PM (IST)
Budget Gyan: जब निर्मला सीतारमण ने बजट नहीं, बहीखाता किया था पेश, जानें इसका मतलब
जब निर्मला सीतारमण ने बजट नहीं, बहीखाता किया था पेश, जानें इसका मतलब

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट पेश करेंगी। 2019 में लोकसभा चुनाव होने के कारण फरवरी 2019 में अंतरिम बजट पेश किया गया और फिर जुलाई 2019 में फुल आम बजट आया। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पांच बार तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश किया था। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सीतारमण पूर्णकालिक महिला रक्षामंत्री बनीं थी। मोदी सरकार-2 में वह देश की पहली महिला वित्तमंत्री बनीं।

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2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट को लेकर अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही एक परंपरा को तोड़ दिया। दरअसल, वित्त मंत्री जब भी बजट पेश करने आते हैं तो ब्रीफकेस लेकर आते हैं, लेकिन निर्मला सीतारमण ने ब्रीफकेस वाली इस परंपरा को तोड़ दिया। वह लाल रंग की मखमली कवर वाली फाइल में बजट लेकर संसद पहुंचीं थीं। लाल रंग का मखमली कवर वाला बजट कैमरों के सामने आते ही चर्चा का विषय बना गया।

इस कदम से पारंपरिक बजट ब्रीफकेस की जगह बहीखाते के इस्तेमाल को अंग्रेजों के द्वारा थोपी गई पश्चिमी दासता को खत्म करने के तौर पर भी देखा गया। मालूम हो कि बजट शब्द फ्रेंच शब्द बोगेट से आया है, जिसका मतलब ब्रीफकेस होता है। जबकि, बहीखाते को अंग्रेजी में अर्थ स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट कहते हैं। बहीखाते के ऊपर लगा अशोक स्तंभ इस बात का इशारा करता है कि अब बजट से पश्चिमी सोच को पूरी तरह से बाहर कर दिया गया है। बजट में सरकार अपने अकाउंट को ही जनता के सामने रखती है। वार्षिक बजट में उन स्रोतों के बारे में जानकारी होती है जिनसे सरकार के पास पैसे आते हैं। इसके अलावा बजट में विभिन्न मदों की डिटेल होती है, जिसके तहत सरकार खर्च करती है।

क्या है ब्रीफकेस का इतिहास

आजादी के बाद पहले वित्त मंत्री आरके शंकमुखम चेट्टी बजट पेश करने के लिए ब्रीफकेस लेकर संसद पहुंचे थे। 1958 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया। फिर यह परंपरा आगे बढ़ती गई। हालांकि, कृष्णामचारी और मोरारजी देसाई बजट ब्रीफकेस लेकर संसद नहीं पहुंचे, बल्कि वे अपने साथ फाइल लेकर आए थे।


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