Move to Jagran APP

Economic Survey में पहली बार थालीनॉमिक्स: महंगाई में कमी से बढ़ी थाली खरीदने की क्षमता, बिहार और महाराष्ट्र में गिरावट

रिपोर्ट बताती है कि अगर 2015-16 के बाद से महंगाई पर काबू नहीं पाया गया होता तो पांच सदस्य वाले एक औसत परिवार को दो पौष्टिक थालियों के लिए सालाना 10887 रुपये अधिक खर्च करना पड़ता।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Fri, 31 Jan 2020 04:44 PM (IST)Updated: Sat, 01 Feb 2020 10:28 AM (IST)
Economic Survey में पहली बार थालीनॉमिक्स: महंगाई में कमी से बढ़ी थाली खरीदने की क्षमता, बिहार और महाराष्ट्र में गिरावट
Economic Survey में पहली बार थालीनॉमिक्स: महंगाई में कमी से बढ़ी थाली खरीदने की क्षमता, बिहार और महाराष्ट्र में गिरावट

नई दिल्‍ली (बिजनेस डेस्क)। आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में पहली बार 'थालीनॉमिक्स' यानी भोजन के अर्थशास्त्र को समझने की कोशिश की गई है। शाकाहारी और मांसाहारी थाली को खरीदने की क्षमता के आधार पर यह समझने की कोशिश की गई है कि देश में एक पौष्टिक थाली के लिए आम आदमी को कितना खर्च करना पड़ता है और महंगाई की वजह से उसकी खरीदारी यानी उसको वहन करने की क्षमता पर क्या असर हुआ है। 

loksabha election banner

रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 के बाद महंगाई में अगर कमी नहीं आती तो एक औसत परिवार को शाकाहारी भोजन के मामले सालाना करीब 11 हजार रुपये अधिक खर्च करने पड़ते।  

थालियों का वर्गीकरण शाकाहारी और मांसाहारी के तौर पर करते हुए पूरे भारत को चार क्षेत्रों (उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम) में बांटकर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। रिपोर्ट के महंगाई में कमी की वजह से मुताबिक शाकाहारी थाली की कीमतों में 2015-16 से गिरावट की शुरुआत हुई, जिसमें 2019 में कुछ इजाफा हुआ। 2019 (अप्रैल से अक्टूबर के बीच) में दालों और सब्जियों की कीमतों में हुई वृद्धि की वजह से शाकाहारी थाली की कीमतों में बढ़ोतरी हुई।

रिपोर्ट बताती है कि अगर 2015-16 के बाद से महंगाई पर काबू नहीं पाया गया होता तो पांच सदस्य वाले एक औसत परिवार को दो पौष्टिक थालियों के लिए सालाना 10,887 रुपये अधिक खर्च करना पड़ता। यानी 2015-16 के बाद से महंगाई में हुई कमी की वजह से औसत परिवार को खाने-पीने के सामान की कीमतों में आई गिरावट से सालाना 10,887 रुपये का लाभ हुआ। मांसाहारी थाली के मामले में लाभ की यह रकम सालाना 11,787 रुपये रही।

जनगणना 2011 के मुताबिक भारत में औसत परिवार में 4.8 व्यक्ति होते हैं और इसी आधार पर रिपोर्ट तैयार करते हुए एक औसत परिवार में पांच सदस्यों को शामिल किया गया है।

रिपोर्ट में एक मजदूर के अपने परिवार के लिए दो थालियों को खरीदने की क्षमता की भी गणना की गई है। इस आधार पर यह पाया गया कि 2006-07 से 2019-20 के बीच में शाकाहारी थाली को खरीदने की क्षमता में 29 फीसदी का सुधार हुआ, जबकि मांसाहारी थाली को खरीदने की क्षमता में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।

रिपोर्ट के मुताबिक थालियों की कीमतों से यह पता चलता है कि एक व्यक्ति को थाली खरीदने के लिए कितनी रकम चुकानी होगी लेकिन इससे यह पता नहीं चलता है कि वह आदमी बेहतर स्थिति में है या बदतर स्थिति में। यह जानने के लिए देखना आवश्यक है कि संबंधित अवधि में व्यक्तियों की आय में क्या परिवर्तन हुआ। यह जानने के लिए जरूरी है कि हम यह देखें कि एक श्रमिक को अपनी दैनिक मजदूर का कितना हिस्सा दो थालियों को खरीदने में खर्च करना पड़ता है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2006-07 में जहां एक मजदूर को पांच सदस्यों के परिवार के लिए दो थालियों को खरीदने में अपनी मजदूरी का करीब 70 फीसदी हिस्सा खर्च करना पड़ता था, वह 2019-20 (अप्रैल-अक्टूबर) में कम होकर 50 फीसदी हो गया। यही बात मांसाहारी थालियों के लिए भी रही। 2006-07 में जहां एक मजदूर को दो मांसाहारी थालियों को खरीदने के लिए अपनी दिहाड़ी का करीब 93 फीसदी खर्च करना पड़ता था, वह 2019-10 में कम होकर करीब 79 फीसदी हो गया।

2019-20 (अप्रैल-अक्टूबर 2019) में सबसे किफायती थाली झारखंड में रही, जहां एक मजदूर को अपनी रोजाना की मजदूरी का मात्र 25 फीसदी हिस्सा दो शाकाहारी थालियों को खरीदने में लगाना पड़ा। 2006-07 से 2019-20 (अप्रैल से अक्टूबर 2019) के बीच सभी राज्यों में शाकाहारी थाली को खरीदने की क्षमता में इजाफा हुआ। हालांकि, मांसाहारी थाली को खरीदने की क्षमता के मामले में बिहार और महाराष्ट्र में गिरावट देखी गई, जबकि अन्य राज्यों में खरीद क्षमता में इजाफा हुआ। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.