बजट 2018: जेटली के पिटारे से इन मोर्चों पर है देशवासियों को राहत की दरकार
जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से आगामी बजट में नेशनल इंप्लॉयमेंट पॉलिसी (राष्ट्रीय रोजगार नीति) की घोषणा की जा सकती है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। 1 फरवरी 2018 को जब देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली अपना आखिरी पूर्णकालिक बजट पेश कर रहे होंगे तो पूरा देश उन्हें गौर से सुन रहा होगा। देश के आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े उद्योगों तक को वित्त मंत्री के पिटारे से काफी कुछ उम्मीदें हैं। गौरतलब है कि आगामी आम बजट एनडीए सरकार का आखिरी पूर्णकालिक और जीएसटी लागू होने के बाद पहला आम बजट होगा।
रोजगार का मोर्चा सरकार के लिए बड़ी चुनौती: साल 2014 के आम चुनावों में जिन वादों के साथ नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई थी, उनमें सबसे प्रमुख रोजगार का मुद्दा था। यही एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विपक्ष बार-बार उन्हें घेरने की कोशिश करता है। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से आगामी बजट में नेशनल इंप्लॉयमेंट पॉलिसी (राष्ट्रीय रोजगार नीति) की घोषणा की जा सकती है। इस नीति को देश के उद्योग जगत में गुणवत्ता वाली नौकरियों के सृजन का ब्लूप्रिंट माना जा सकता है।
छात्रों को उम्मीद (स्टूडेंट लोन): देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवा है जिसमें से अधिकांश विद्यार्थी हैं जो कि आमतौर पर अपनी उच्च शिक्षा के लिए लोन लेते हैं। विद्यार्थियों को उम्मीद है कि इस तरह के लोन पर 100 फीसद की कटौती कर दी जाए, यानी ऐसे लोन ब्याजमुक्त होने चाहिए। देश के तमाम बैंकों की ओर से लिए जाने वाला एजुकेशन लोन 50,000 से 75 लाख के बीच होता है। यह लोन बैंकों की ओर से 12.5 फीसद की दर पर मुहैया करवाया जाता है। छात्रों को उम्मीद है कि इस ब्याज दर में काफी कमी की जाएगी।
स्टार्टअप उद्यमियों को एंजल टैक्स हटने की उम्मीद: डिजिटल इंडिया यानी कि स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना केंद्र सरकार के प्रमुख मुद्दों में से एक है। स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया योजना इसी की एक बानगी है। नोटबंदी और जीएसटी के लागू होने के बाद डिजिटल माध्यमों ने सरकार की काफी मदद की। लिहाजा इस बार के आम बजट में भी स्टार्टअप के मोर्चे पर राहत की उम्मीद लगाई गई है। इस राहत में एंजल टैक्स को हटाया जाना प्रमुख रुप से शामिल है। यह टैक्स साल 2012 में लाया गया था। आपको बता दें कि सीबीडीटी की ओर से तय किए गए उद्यम के उचित मूल्य के ऊपर एंजल इन्वेस्टर्स से से जुटाए गए किसी भी निवेश पर यह टैक्स देना होता है।
टैक्स स्लैब में इस बार भी राहत की उम्मीद: टैक्स स्लैब या टैक्स के मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद हर बार के आम बजट में लगाई जाती है। ऐसी उम्मीद की जा रही है कि 20 फीसद की टैक्स स्लैब को घटाकर 10 फीसद कर दिया जाए। मौजूदा टैक्स स्लैब के हिसाब से 5 से 10 लाख तक की सालाना आय पर 20 फीसद टैक्स। वहीं 10 लाख से ऊपर की निजी आय पर 30 फीसद का टैक्स देना होता है।
होम लोन के मोर्चे पर भी राहत की उम्मीद: अपना खुद का घर खरीदना हर किसी का सपना होता है जिसके लिए वो आम तौर पर लोन लेते हैं। ऐसे में इस बार के आम बजट में भी होम लोन की दरों में थोड़ी राहत की उम्मीद लगाई जा रही है। वर्तमान समय में आयकर की धारा 80सी के तहत होमलोन की मूल राशि पर आयकर की छूट लागू है। हालांकि 1,50,000 रुपए की छूट सीमा (कैप) पीपीएफ और एलआईसी जैसी योजनाओं पर भी उपलब्ध करवाई जाती है। होमलोन पर टैक्स छूट काफी कम है। यही वजह है कि अधिकांश लोग लोन लेकर खुद का घर खरीदने के बजाए किराए के घर में रहने को तरजीह देते हैं। लिहाजा इस मोर्चे पर भी आम लोगों को जेटली के बजट से राहत की दरकार है।