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BUDGET शब्दावली: बजट से पहले इन शब्दों पर हो रही है खूब चर्चा, जान लीजिए इनका मतलब

लोकतांत्रिक देशों में चुनावी साल के दौरान सरकारें फुल बजट न पेश कर अंतरिम बजट पेश करती हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 08:42 AM (IST)
BUDGET शब्दावली: बजट से पहले इन शब्दों पर हो रही है खूब चर्चा, जान लीजिए इनका मतलब
BUDGET शब्दावली: बजट से पहले इन शब्दों पर हो रही है खूब चर्चा, जान लीजिए इनका मतलब

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। देश के भीतर जहां एक ओर वित्त मंत्रालय में आगामी अंतरिम बजट 2019 की तैयारियां चल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ बजट भाषण के दौरान इस्तेमाल होने वाले तमाम शब्दों पर चर्चाएं भी आम हैं। इस बार के अंतरिम बजट से पहले जिन शब्दों की चर्चाएं ज्यादा हैं उनमें वोट ऑन अकाउंट, कॉरपोरेट टैक्स और राजकोषीय घाटा प्रमुख है। साथ ही बजट से पहले पेश होने वाले आर्थिक सर्वेक्षण पर भी खूब बातें हो रही हैं। अगर आप इन सब का मतलब नहीं जानते हैं तो हमारी बजट सीरीज की यह खबर आपके काम की है। हम इन्हीं शब्दों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं।

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क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey): यह वित्त मंत्रालय की तरफ से पेश की जाने वाली आधिकारिक आर्थिक रिपोर्ट होती है, जिसमें बताया जाता है साल भर के दौरान देश के विकास की हालत कैसी रही। आम बजट से पहले देश के वित्त मंत्री आर्थिक सर्वेक्षण (इकॉनमिक सर्वे) पेश करते हैं। इस रिपोर्ट में सरकार की अहम विकास की योजनाओं के प्रदर्शन की समीक्षा के साथ नीतिगत पहल का उल्लेख होता है। देश का पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में प्रस्तुत किया गया था। मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम इस रिपोर्ट को तैयार करती है।

अंतरिम बजट या वोट ऑन अकाउंट (Interim Budget/Vote on Account): लोकतांत्रिक देशों में चुनावी साल के दौरान सरकारें फुल बजट न पेश कर अंतरिम बजट पेश करती हैं। दरअसल यह बजट चुनावी वर्ष में नई सरकार के गठन तक खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता होती है। इस बजट में ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जाता है, जो नीतिगत और जिसे पूरा करने के लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़े या फिर कानून में बदलाव की जरूरत हो। इस बजट में डायरेक्ट टैक्स में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाता, हालांकि सरकारें इंपोर्ट, एक्साइज या सर्विस टैक्स में राहत दे देती हैं।

आम तौर पर हर सरकार की अपनी राजकोषीय योजनाएं होती हैं और वह उसी के मुताबिक धन का आवंटन करती हैं। इस बार का अंतरिम बजट 1 फरवरी को वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में पेश करेंगे।

कॉरपोरेट टैक्स (Corporate Tax): कंपनियों के मुनाफे पर लिया जाने वाला टैक्स कॉरपोरेट टैक्स कहलाता है। पिछले बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कॉरपोरेट टैक्स में कमी कर कारोबारी जगत को राहत दी थी। 2017-18 के बजट में सरकार ने 250 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले कारोबार पर इस टैक्स को कम कर 25 फीसद कर दिया था, जबकि इससे अधिक के टर्नओवर के कारोबार पर इस टैक्स की दर को यथावत 30 फीसद रखा था।

राजकोषीय घाटा (Fiscal Defecit): सरकार की कुल राजस्व आय और खर्च के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इससे पता चलता है कि सरकार को अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए कितने अतिरिक्त धन की जरूरत होगी, जिसे उधार लिया जाना है। हालांकि राजस्व की गणना करते हुए, कर्ज की रकम की गणना नहीं की जाती है। चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार कुल जीडीपी के मुकाबले 3.3 फीसद राजकोषीय घाटे (6.24 लाख करोड़ रुपये) का लक्ष्य रखा है।


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