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Budget 2021: वित्त मंत्री के बही खाते से युवाओं को मिला ये उपहार, जाने

कोविड-19 महामारी का असर स्पष्ट तौर पर युवाओं पर देखा जा सकता है। पिछले साल बेरोजगारी की दर बढ़ाने में भी महामारी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इस कसर को खत्म करने के लिए बजट 2021 में वित्त मंत्री ने कोशिशें की हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 02:08 PM (IST)Updated: Mon, 01 Feb 2021 02:08 PM (IST)
Budget 2021: वित्त मंत्री के बही खाते से युवाओं को मिला ये  उपहार, जाने
युवावर्ग के लिए बजट में हैं उम्मीदें

नई दिल्ली, एजेंसी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना वायरस संक्रमण से फैले महामारी के चपेट में आए युवा वर्ग के बिगड़े भविष्य को संवारने के लिए रोजगार के नए अवसरों को उपलब्ध कराने का वादा किया। सोमवार को बजट 2021 में उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। जानें वित्त मंत्री ने अपने बही खाते में युवाओं के लिए क्या कुछ समेटा है-  

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टेक्सटाइल व मेडिकल क्षेत्र में रोजगार के अवसर 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने कार्यकाल का तीसरा बजट आज पेश किया। उन्होंने बताया कि टेक्सटाइल सेक्टर में निवेश के बाद युवाओं को नौकरी के अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इसके निर्यात पर फोकस किया जाएगा और इससे जुड़े 7400 परियोजनाओं की शुरुआत होगी।  उन्होंने बताया कि इस साल मेडिकल के क्षेत्र में सबसे ज्यादा फोकस किया जा रहा है। वहीं वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि मेडिकल सेक्टर में नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं की भारी संख्या में भर्तियां होंगी। 

 पब्लिक सेक्टर प्रोजेक्ट में भी हैं मौके

वित्त मंत्री ने युवाओं को देश का भविष्य बताते हुए कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में चल रहे पब्लिक प्रोजेक्ट्स में युवाओं को रोजगार मिलेंगे।  इसमें बंगाल में चल रहे राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना में भर्तियां की जाएंगी।  शिपगार्ड में युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

बता दें कि इस बार कोरोना काल के मद्देनजर बजट को कागज में नहीं बल्कि डिजिटली पेश किया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में बजट पेश करते हुए इस बात का भी जिक्र किया कि महामारी के संकट में यह बजट तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये का है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचकर 2.1 लाख करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया।सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 1.05 लाख करोड़ और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 80 हज़ार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा था।


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