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India Budget 2021: मोटी सैलरी पाने वालों को झटका, सालाना 2.5 लाख से अधिक PF अंशदान है तो ब्याज पर लगेगा टैक्स

India Budget 2021 इस प्रस्ताव के अनुसार अब कर्मचारी के सालाना पीएफ योगदान में 2.5 लाख से अधिक की राशि पर अर्जित ब्याज पर टैक्स लगेगा। टैक्स और निवेश एक्सपर्ट बलवंत जैन ने बताया कि इससे मोटा वेतन पाने वाले लोगों को नुकसान होगा।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 01 Feb 2021 05:03 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2021 07:41 AM (IST)
India Budget 2021: मोटी सैलरी पाने वालों को झटका, सालाना 2.5 लाख से अधिक PF अंशदान है तो ब्याज पर लगेगा टैक्स
India Budget 2021 P C : Pixabay

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मोटा वेतन पाने वाले और पीएफ में अधिक पैसा जमा कराने वाले लोगों को बजट से झटका लगा है। बजट 2021-22 में पीएफ (PF) में सालाना एक सीमा से ऊपर राशि पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। बजट में कहा गया कि उच्च आय पाने वाले कर्मचारियों द्वारा अर्जित आय के लिए टैक्स छूट को तर्कसंगत बनाने की दिशा में विभिन्न प्रोविडेंट फंड्स में 2.5 लाख रुपये से अधिक के सालाना योगदान पर अर्जित ब्याज पर कर छूट को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा गया है। यह प्रतिबंध एक अप्रैल 2021 को या इसके बाद के योगदान के लिए लागू होगा।

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इस प्रस्ताव के अनुसार, अब कर्मचारी के सालाना पीएफ योगदान में 2.5 लाख से अधिक की राशि पर अर्जित ब्याज पर टैक्स लगेगा। टैक्स और निवेश एक्सपर्ट बलवंत जैन ने बताया कि इससे मोटा वेतन पाने वाले लोगों को नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि अगर कोई कर्मचारी का साल भर का पीएफ योगदान 3 लाख रुपये होता है तो उसकी 50 हजार रुपये की अतिरिक्त पीएफ राशि पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा।

जैन ने बताया कि इस समय पीएफ राशि पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्स फ्री है और कोई भी अपनी पीएफ राशि पर मिलने वाले ब्याज को नहीं बताता, लेकिन इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद कर्मचारी को अपने आयकर रिटर्न में साल भर के 2.5 लाख से अधिक के पीएफ योगदान पर मिलने वाले ब्याज को बताना पड़ेगा।

यहां आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने पीएफ मनी पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा है। साल 2016 के बजट में भी इस तरह का प्रस्ताव लाया गया था। उस बजट में EPF की 60 फीसद राशि पर अर्जित ब्याज को टैक्स के दायरे में लाने का प्रस्ताव था। हालांकि, इस प्रस्ताव के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध होने लगा, तो इसे वापस ले लिया गया।


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