वित्त मंत्री ने किसानों को दिया भरोसा, कहा- कृषि सुधार से न एमएसपी प्रभावित होगी और न ही खरीद प्रणाली
Union Budget 2021 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने इसके प्रभावों का जिक्र भी अपने बजट भाषण में विस्तार से किया। इससे यह भी साफ हो गया कि कृषि सुधार को मजबूती से लागू किया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि सुधारों पर भले ही कुछ किसान संगठन नाराज होकर दिल्ली की सीमा पर मोर्चा जमाए बैठे हों, लेकिन आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया का इन सुधारों से न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रभावित होगी और न ही उपज की सरकारी खरीद। किसानों के हित में ये दोनों प्रणाली जैसे चल रही थी वैसे ही जारी रहेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसके प्रभावों का जिक्र भी अपने बजट भाषण में विस्तार से किया। इससे यह भी साफ हो गया कि कृषि सुधार को मजबूती से लागू किया जाएगा। केंद्र में सत्तारूढ़ राजग सरकार के कार्यकाल के दौरान एमएसपी पर हुई सरकारी खरीद का ब्योरा भी बजट भाषण का हिस्सा था। आम बजट में जहां माइक्रो इरिगेशन को तरजीह दी गई है, वहीं ऑपरेशन ग्रीन का दायरा बढ़ाकर उसमें 22 और जिंसों को शामिल कर लिया गया है।
गेहूं, धान, दलहन और कपास की उपज की साल दर साल सरकारी खरीद के मामले में राजग सरकार का प्रदर्शन पिछली संप्रग सरकार के मुकाबले बहुत अच्छा है। गेहूं खरीद वर्ष 2013 में जहां 33,874 करोड़ रुपये की हुई तो वहीं वर्ष 2019-20 में लगभग दोगुना बढ़कर 62,802 करोड़ रुपये हो गया। जबकि वर्ष 2020-21 में गेहूं किसानों को उनकी उपज का 75 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की प्राप्ति हुई।
2020-21 में धान खरीद की धनराशि 1.73 लाख करोड़ रुपये तक होने का अनुमान
इसी तरह धान की खरीद वर्ष 2013-14 में संप्रग कार्यकाल के दौरान 63,928 करोड़ रुपये की हुई। जबकि वर्ष 2019-20 में राजग कार्यकाल में धान खरीद की यह धनराशि 1.42 लाख करोड़ रुपये पहुंच गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में जोर देकर कहा कि वर्ष 2020-21 में धान खरीद की यह धनराशि 1.73 लाख करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। खरीद का यह लाभ 1.54 करोड़ किसानों को मिला है।
राजग सरकार में दालों का बफर स्टॉक भी बना
दलहन खरीद में तो राजग सरकार ने जबर्दस्त पहल करते हुए दालों का बफर स्टॉक भी बना दिया। वर्ष 2013-14 में कुल 236 करोड़ रुपये की दलहन फसलों की खरीद हुई। जबकि वर्ष 2019-20 में दलहन फसलों की खरीद 8,285 करोड़ रुपये पहुंच गई। वर्ष 2020-21 में यह 10,530 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। राजग सरकार के दौरान दलहन की खरीद संप्रग कार्यकाल के मुकाबले 40 गुना अधिक है। कपास किसानों से वर्ष 2013-14 के दौरान कुल मात्र 90 करोड़ रुपये की खरीद हुई थी। जबकि 27 जनवरी 2021 तक 25,974 करोड़ रुपये की खरीद हो चुकी है।
सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने के लिए आम बजट में माइक्रो इरिगेशन को विशेष तरजीह देने का प्रविधान किया गया है। इसके लिए 10,000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है। यह योजना नाबार्ड के तहत पहले से ही 5000 करोड़ रुपये से चलाई जा रही थी। इसमें बजट से 5000 करोड़ रुपये जोड़ा गया है। कृषि क्षेत्र में कृषि उपज के संवर्धन के लिए विशेष प्रविधान किया गया है। निर्यात बढ़ाने के लिए पहले से चल रही ऑपरेशन ग्रीन स्कीम में टमाटर, प्याज और आलू के दायरे को बढ़ाकर इसमें जल्दी खराब होने वाली 22 अन्य और ¨जसों को शामिल कर लिया गया है।