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Budget 2024: समग्र खेती की जमीन पर उगेंगी किसानों की आय की फसलें

पशुपालन मछली पालन एवं खाद्य प्रसंस्करण की समग्र कृषि से किसानों की आय-फसलों की बढ़ोतरी होगी। कटाई के बाद की क्षति को कम करने के लिए भंडारण क्षमता बढ़ाने पर जोर-गेहूं-चावल की तरह तिलहन-दलहन में भी आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की कार्यनीति बनेगी।सरकार का मानना है कि किसान कल्याण की योजनाओं एवं कृषि में व्यापक सुधारों के चलते पिछले दस वर्षों में किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई है।

By Jagran News Edited By: Ankita Pandey Published: Thu, 01 Feb 2024 07:58 PM (IST)Updated: Thu, 01 Feb 2024 07:58 PM (IST)
समग्र खेती की जमीन पर उगेंगी किसानों की आय की फसलें

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नई योजनाएं खेती में किसानों को 'घाटे से मुनाफे' की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगी। परंपरागत खेती से किसानों की आय की रफ्तार एक सीमा पर आकर लगभग ठहर सी गई है। इसलिए कृषि की कार्यशैली में सुधार एवं किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अंतरिम बजट में पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, मछली पालन, खाद्य प्रसंस्करण के साथ-साथ विभिन्न फसलों की कटाई के बाद की क्षति को कम करने पर समग्रता में जोर दिया गया है।

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गेहूं-चावल की तरह तिलहन एवं दलहन में भी 'आत्मनिर्भरता' प्राप्त करने की तैयारी है। इसके लिए कार्यनीति बनाने की घोषणा की गई है। किसानों को 'अन्नदाता' बताते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का सबसे अधिक जोर कृषि क्षेत्र में मूल्य-व‌र्द्धन एवं किसानों की आय बढ़ाने पर है।

किसान कल्याण की योजनाओं एवं कृषि में व्यापक सुधार

सरकार का मानना है कि किसान कल्याण की योजनाओं एवं कृषि में व्यापक सुधारों के चलते पिछले दस वर्षों में किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई है, किंतु तेज वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए खेती की परंपरागत शैली को बदलना पड़ेगा।

इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण क्षमता में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखला, विपणन एवं ब्रांडिग सहित फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी और सार्वजनिक निवेश को भविष्य में बढावा देने की तैयारी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक उचित रखरखाव के अभाव में देश में खेतों से घर पहुंचने तक लगभग 15 से 20 प्रतिशत फसलें बर्बाद हो जाती हैं।

इसे रोकने के लिए भंडारण क्षमता में बड़े पैमाने पर वृद्धि पर काम किया जा रहा है। अभी देश में उत्पादन का सिर्फ 47 प्रतिशत अन्न भंडारण की ही व्यवस्था है।किसानों की समावेशी आय में वृद्धि के लिए सरकार कृषक-केंद्रित नीतियों के साथ ही एमएसपी में लगातार वृद्धि, फसल बीमा के माध्यम से नुकसान को न्यूनतम करना एवं स्टार्टअप के जरिए प्रौद्योगिकी एवं नवाचारों को बढ़ावा देकर सुगम किया जाएगा।

आत्मनिर्भर तिलहन अभियान

सरकार का लक्ष्य दलहन एवं तेलहन के आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की है। बजट में तेलहन की विभिन्न फसलों जैसे सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन एवं सूरजमुखी के उत्पादन-उत्पादकता बढ़ाने की कार्यनीति तैयार करने पर जोर दिया गया है। इसमें अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए अनुसंधान, आधुनिक तकनीक को प्रोत्साहन, बाजार संपर्क, खरीद, मूल्य-वर्धन और फसल बीमा को शामिल किया जाएगा। भारत में दाल का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। फिर भी दाल का सबसे बड़ा आयातक देश भी है। केंद्र का लक्ष्य अगले तीन वर्षों में दलहन में भी आत्मनिर्भर बनने का है।

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3000 करोड़ से होगा पशुपालन अवसंरचना का विकास

पशुपालन अवसंरचना पर तीन हजार करोड़ खर्च होंगे। बजट के तुरंत बाद कैबिनेट ने किसानों की आय में वृद्धि के प्रति गंभीरता दिखाते हुए पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (आईडीएफ) को अगले दो वर्षों तक विस्तार दे दिया है। इसपर वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 29,610.25 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।

इसके तहत डेयरी प्रसंस्करण, विभिन्न उत्पाद, मांस प्रसंस्करण, पशु चारा संयंत्र, नस्ल गुणन फार्म, पशु अपशिष्ट से धन प्रबंधन एवं पशु चिकित्सा वैक्सीन-दवा उत्पादन के लिए निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए केंद्र की ओर से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), नाबार्ड एवं एनडीडीबी के जरिए दो वर्ष के लिए बिना ब्याज 90 प्रतिशत तक ऋण एवं आठ वर्षों तक तीन प्रतिशत ब्याज अनुदान की सुविधा मिलेगी।

निजी कंपनियां, एफपीओ एवं एमएसएमई इसका लाभ उठा सकती हैं।केंद्र सरकार डेयरी संयंत्रों के आधुनिकीकरण एवं सु²ढ़ीकरण के लिए डेयरी सहकारी समितियों को 750 करोड़ रुपये के ऋण गारंटी कोष से लिए गए ऋण की 25 प्रतिशत तक ऋण गारंटी भी प्रदान करेगी। इस योजना से डेयरी, मांस और चारा क्षेत्र की प्रसंस्करण क्षमता दो से चार प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

मछली पालन में 55 लाख रोजगार सृजन

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को विस्तार देते हुए केंद्र सरकार ने नीली क्रांति अर्थात मछली पालन के प्रति भी संकल्प दिखाया है। इस योजना के माध्यम से 55 लाख रोजगार सृजित किए जाएंगे। साथ ही सी-फूड निर्यात एक लाख करोड़ करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बजट में कहा गया है कि पांच इंटीग्रेटेड एक्वापार्क बनाए जाएंगे। जलकृषि की उत्पादकता अभी तीन लाख टन प्रति हेक्टेयर है। इसे बढ़ाकर पांच लाख टन करने की तैयारी है। मत्स्य पालन के लिए अलग मंत्रालय बनाने के बाद से इनलैंड फिशरी और जलीय कृषि का उत्पादन दोगुना हो गया है।

 


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