Budget 2022: 'सैलरीड क्लास को घर खरीदने में मिले ज्यादा टैक्स छूट'
वर्तमान में भारत की एक तिहाई आबादी शहरों में रहती है और 2030 तक इसके 50 प्रतिशत तक हो जाने का अनुमान है। एकल परिवारों की ओर बदलाव और शहरीकरण में वृद्धि के साथ परिवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

नई दिल्ली, आईएएनएस: वर्तमान में भारत की एक तिहाई आबादी शहरों में रहती है और 2030 तक इसके 50 प्रतिशत तक हो जाने का अनुमान है। एकल परिवारों की ओर बदलाव और शहरीकरण में वृद्धि के साथ परिवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 66 प्रतिशत युवा आबादी (35 वर्ष से कम आयु के) के युवा गृह ऋण के रूप में उभर रहे हैं। यह भी सच है कि गृह-ऋण बाजार 26-35 वर्ष की आयु वर्ग के युवा उधारकर्ताओं (लगभग 25 प्रतिशत) और 36-45 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों (लगभग 28 प्रतिशत) द्वारा संचालित है। ये सभी सक्रिय होम-लोन ऑडियंस हैं और संयुक्त रूप से वार्षिक उत्पत्ति का 53 प्रतिशत हिस्सा हैं।
ये युवा कर्जदार होम-लोन बाजार में बदलाव की वजह बने हैं। अफोर्डेबल सेगमेंट के भीतर, पिछले 4-5 वर्षों में 15-35 लाख रुपये के होम-लोन की मात्रा में वृद्धि, खरीदारों की पसंद को उच्च टिकट साइज की ओर स्थानांतरित करने का संकेत देती है। पिछले 5 वर्षों में भी मध्यम श्रेणी और उच्च टिकट साइज के ग्रामीण आवास की मांग में वृद्धि जारी है। पिछले 5 वर्षों में 35-75 लाख रुपये के टिकट साइज के वार्षिक वॉल्यूम में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले 5 वर्षों में 75 लाख रुपये से अधिक के टिकट साइज के वार्षिक वॉल्यूम में हिस्सा 0.37 प्रतिशत से बढ़कर 0.87 प्रतिशत हो गया है।
हालांकि, 15 लाख रुपये के टिकट साइज के वार्षिक वॉल्यूम में पिछले 5 वर्षों में गिरावट आई है, जिसका मुख्य कारण 2 लाख रुपये के बहुत छोटे आकार के टिकट साइज सेगमेंट की मांग में गिरावट है। वेतनभोगी वर्ग के लिए गृह ऋण लेने और अचल संपत्ति खरीदने की दिशा में प्रयोज्य आय की कमी एक निवारक कारक रही है। चूंकि रियल-एस्टेट में इनपुट लागत की दरों में वृद्धि हुई है, वेतनभोगी वर्ग के पास वित्तीय संस्थानों से गृह-ऋण के लिए संपर्क करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है। ऐसे में उन्होंने वित्तीय संस्थानों की बड़ी ब्याज दरों सहित अन्य शुल्कों का सामना करना होता है, जो काफी ज्यादा होती है।
इससे जुड़े टैक्स बेनिफिट की बात करें तो, होम-लोन में मूल राशि का पुनर्भुगतान सेक्शन 80C के तहत कटौती के योग्य है, जिसकी ऊपरी सीमा 1.50 लाख रुपये प्रति वर्ष है। चूंकि, एक ही खंड (80 सी), पीएफ, पीपीएफ और जीवन बीमा पॉलिसियों आदि सहित कई अन्य निवेशों का लेखा-जोखा रखता है, खरीदार के लिए इस खंड से किसी भी लाभ का फायदा उठाना असंभव हो जाता है।
चूंकि आयकर अधिनियम की धारा 20 (बी) के तहत ब्याज भुगतान के लाभ के तौर पर गृह-ऋण के ब्याज पर 2 लाख रुपये प्रति वर्ष की सीमा है। और, गृह-ऋण आकार में बड़ा होने के कारण खरीदार इसका भी ज्यादा फायदा नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में खरीदार केंद्रीय बजट-2022 में इस सीमा में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि पिछले कई वर्षों में यह सीमा नहीं बढ़ाई गई है।
(लेखक एम3एम इंडिया प्राइवेट लिमिडेट के डायरेक्टर पंकज बंसल है और यह उनके निजी विचार हैं।)
Edited By Lakshya Kumar