केंद्रीय बजट से MP की अपेक्षा: पहले सप्ताह में मिले GST की राशि, लंबित परियोजनाओं को मिले मंजूरी
केंद्र सरकार के वर्ष 2019-20 के बजट से मध्य प्रदेश को काफी अपेक्षाएं हैं। सबसे जरूरी जीएसटी की राशि का मामला है।
जेएनएन, भोपाल। केंद्र सरकार के वर्ष 2019-20 के बजट से मध्य प्रदेश को काफी अपेक्षाएं हैं। सबसे जरूरी जीएसटी की राशि का मामला है। जीएसटी की जो राशि दूसरे पखवाड़े के अंतिम दिन में मिलती है, वो पहले सप्ताह में मिले। सरकार को शुरुआती हफ्ते में कर्मचारियों के वेतन-भत्ते देने सहित अन्य जरूरी कामों के लिए राशि की दरकार होती है। केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा 42 फीसदी से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए। मनरेगा सहित अन्य केंद्रीय योजना की राशि के भुगतान में विलंब न हो और लंबित परियोजनाओं को भी मंजूरी दी जाए। किसानों को फसल का वाजिब दाम मिले और बाजार व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी प्रदेश से जुड़े मुद्दे उठाए थे। वित्त मंत्री तरुण भनोत का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्य के पास नया कर लगाने के अधिकार बेहद सीमित हो गए हैं। जीएसटी की राशि केंद्र सरकार अभी हर माह 20 तारीख के बाद देती है। यह राशि पहले सप्ताह में मिलनी चाहिए। इसकी मांग हमारी ओर से लगातार उठाई जा रही है। महीने के अंतिम दिनों में राशि मिलने से दिक्कत होती है। हमारी जरूरत शुरुआती सप्ताह में ज्यादा होती है।
इसके अलावा केंद्रीय योजनाओं की राशि के भुगतान में विलंब होता है। इसका असर योजनाओं की गति पर पड़ता है। यह राशि समय पर मिलनी चाहिए। मनरेगा में मजदूरी और सामग्री की बड़ी राशि केंद्र में अटक जाती है। मजदूरों को भुगतान करने के लिए राज्य को इंतजाम करना होता है। इस व्यवस्था को सुधारा जाना चाहिए। राज्य की तकरीबन 20 परियोजनाओं के प्रस्ताव मंजूरी के लिए लंबे समय से अटके हुए हैं, इन्हें तत्काल मंजूरी दी जाए। किसानों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए उपज का वाजिब दाम दिया जाए। इसके लिए नए सिरे से फार्मूले तय किए जाएं। बाजार व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाए। भाजपा ने संकल्प पत्र में किसानों को एक लाख रुपए का कर्ज जीरो परसेंट ब्याज पर देने का वादा किया है, इसे लागू किया जाए।