आम बजट 2018 से रेलवे को इन तीन क्षेत्रों में बड़े आवंटन की उम्मीद, जानिए
इस बार के आम बजट में रेलवे को उम्मीद से कम आवंटन होने की उम्मीद है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। साल 2017 में आम बजट में विलय के बाद इस बार बेशक रेलवे को ज्यादा आवंटन मिलने की उम्मीद न हो, लेकिन फिर भी रेलवे को तीन प्रमुख क्षेत्रों के लिए बड़े आवंटन की उम्मीद हैं। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको इन्हीं तीन क्षेत्रों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी 2018 को अपना चौथा पूर्णकालिक बजट पेश करेंगे।
रेलवे को बजट में ज्यादा आवंटन की उम्मीद नहीं: इस बार बजट में रेलवे को उम्मीद से कम आवंटन हो सकता है। चालू वित्त वर्ष में रेलवे के खर्च का ग्राफ बहुत ऊंचा नहीं है। नए स्रोतों से आमदनी के प्रयास भी पूर्णतया फलीभूत नहीं हुए हैं। ऐसे में संरक्षा मद में आवंटन बढ़ने के अलावा रेलवे को बजट से ज्यादा उम्मीद नहीं है। इस बार बजट में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। लेकिन इसका ज्यादातर लाभ सड़क और बंदरगाह मंत्रालय को मिलेगा। जबकि रेलवे और विमानन क्षेत्रों को थोड़े से ही संतोष करना पड़ सकता है। इसका कारण इनका प्रदर्शन है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले महीने कहा था कि हाईवे और बंदरगाह क्षेत्र ने संतोषजनक प्रदर्शन किया है। परंतु रेलवे को स्टेशन विकास, ट्रेनों की गुणवत्ता और बुलेट ट्रेन परियोजना के मामले में अभी बहुत कुछ करना शेष है। पिछले बजट में रेलवे को 55 हजार करोड़ रुपये की सकल बजटीय सहायता के साथ कुल 1.30 लाख करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्राप्त हुई थी। एक लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय संरक्षा कोष के गठन का एलान भी किया गया था। इसी के साथ रेलवे को चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने को कहा गया था। इनमें संरक्षा, पूंजीगत एवं विकासात्मक कार्य, स्वच्छता तथा वित्त एवं लेखा सुधार शामिल थे। इनमें पूंजीगत एवं विकासात्मक कार्यो को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में संतोषजनक प्रगति हुई है। लिहाजा इन मदों में बजटीय आवंटन बढ़ने की पूरी संभावना है। परंतु विकासात्मक व पूंजीगत कार्यो पर पिछले बजट की राशि के पूरी तरह खर्च न होने के कारण आवंटन में कमी संभव है।
रेलवे को इन तीन क्षेत्रों पर है बड़े बजट की उम्मीद: रेलवे को तीन प्रमुख मोर्चों सेफ्टी, स्पीड और कंफर्ट में राहत की उम्मीदें हैं। जानिए...इन मोर्चों पर रेलवे को हैं क्या कुछ राहत की उम्मीदें...
सेफ्टी: दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क हर दिन लाखों यात्रियों को सफर करवाता है, लेकिन इसका सेफ्टी रिकॉर्ड उतना बेहतर नहीं है। आंकड़ों के हिसाब से बीते तीन सालों में करीब 650 लोगों की रेल दुर्घटनाओं में मौत हो गई थी। वित्त वर्ष 2017 के शुरुआती 8 महीनों के दौरान 49 ट्रेन दुर्घटनाओं में करीब 48 लोगों की मौत हो गई और 188 लोग घायल हो गए थे। साल 2017 के अगस्त महीने के दौरान सबसे बड़ी रेल दुर्घटना उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खतौली क्षेत्र में हुई। कलिंगा उत्कल एक्सप्रेस में हुई इस दुर्घटना में करीब 23 लोगों की मौत हुई थी जबकि 156 लोग बुरी तरह से घायल हुए थे। बीते साल रेल मंत्री ने घोषणा की थी कि रेलवे ट्रैक के सुधार और सुरक्षा एवं रखरखाव श्रेणी के लिए 15000 करोड़ के अतिरिक्त खर्चे की घोषणा की थी। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि बजट 2018-19 में इन योजनाओं को फंड के जरिए समर्थन देने की कोशिश की जाएगी ताकि उनकी दीर्घकालिक व्यवहारिकता को सुनिश्चित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, रेलवे स्टेशनों के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए मंत्रालय को अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता होगी। साथ ही रेलवे स्टेशनों के बुनियादी ढांचे के उन्नयन के लिए भी मंत्रालय को भी और पूंजी की आवश्यकता होगी।
स्पीड: सुरक्षा एवं अपग्रेड के अलावा, विकासशील भारत की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय रेलवे के विशाल नेटवर्क के लगातार विस्तार की भी आवश्यकता है। इस प्रकार, यह उम्मीद लगाई जा रही है कि वित्त मंत्रालय की ओर से रेलवे विस्तार, आधुनिकीकरण, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ट्रेनों की पहुंच के लिए बड़ा आवंटन किया जाएगा। पीएम मोदी की ओर से जल्द ही देशवासियों को बुलेट ट्रेन की सौगात दिए जाने की घोषणा के बाद से ही ट्रेनों की स्पीड रेलवे के प्रमुख मुद्दों में शुमार हो चुका है। रेलवे के अधिकारियों के मुताबकि रेलवे को चार प्रमुख कॉरिडोर, दिल्ली से चेन्नई, चेन्नई के हावड़ा, चेन्नई से मुंबई और हावड़ा से मुंबई के लिए 40,000 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। एक बार इन कॉरिडोर के पूरा होने के बाद इन पर ट्रेनों को 160 से 200 किमी की रफ्तार से दौड़ाया जा सकेगा।
कंफर्ट: रेलवे के नवनियुक्त चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो रेलवे को ‘वी केयर’ ट्रैक पर दौड़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सभी ग्राहक-यात्री और फ्रेट क्लाइंट दोनों को हमारी उस देखभाल का आभास होना चाहिए जो कि हमारा प्रयास है। लोहानी का मानना है कि यात्रियों की सुविधा के लिए भारत के सबसे बड़े ट्रांसपोर्टर माने जाने वाले रेलवे में एक बड़े बदलाव की आवश्यकता है। मौजूदा समय में रेलवे की प्रमुख चुनौतियों में समय पर न आना है। साथ ही वो हाइजीन मानकों को लेकर भी परेशान है और वो सुरक्षा एवं यात्रियों के कंफर्ट के मुद्दों को लेकर लंबे समय से जूझ रहा है। ऐसे में इस बार के आम बजट में इस मोर्चे पर रेलवे को कई सारी राहतों की उम्मीदें हैं।