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Budget 2022: बजट में फिनटेक क्रांति पर हो सकता है जोर, सेक्टर को बढ़ावा दिए जाने की उम्मीद

Budget 2022 Expectations साल 2022-23 के बजट में फिनटेक सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाने की उम्मीद है। सेक्टर के लिए सरकार पहले भी ऐसा कर चुकी है। सरकार की तरफ से मिलने वाले प्रोत्साहन की अहमियत को भी नकारा नहीं जा सकता है।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 10:45 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:13 AM (IST)
Budget 2022: बजट में फिनटेक क्रांति पर हो सकता है जोर, सेक्टर को बढ़ावा दिए जाने की उम्मीद
Budget 2022: बजट में फिनटेक क्रांति पर हो सकता है जोर, सेक्टर को बढ़ावा दिए जाने की उम्मीद

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना काल के बाद की भारतीय इकोनॉमी में एक सेक्टर जो सबसे ज्यादा संभवानाओं वाले सेक्टर के तौर पर स्थापित हुआ, वह फिनटेक सेक्टर है। वैसे तो देश में पहले से उपलब्ध मजबूत आइटी का ढांचा, प्रतिभाशाली आइटी प्रोफेशनल्स और विशाल घरेलू बाजार ने फिनटेक सेक्टर को पनपने का एक बढि़या माहौल दिया है। इसके साथ ही, सरकार की तरफ से मिलने वाले प्रोत्साहन की अहमियत को भी नकारा नहीं जा सकता। आम बजट 2021-22 में भी वित्त मंत्री ने फिनेटक सेक्टर की सहूलियत के लिए कई कदम उठाये थे। पिछले एक वर्ष के भीतर भारत में 43 नए यूनिकॉर्न (100 करोड़ डॉलर से ज्यादा की मूल्यांकन वाली (स्टार्ट-अप) कंपनियां स्थापित हो चुकी हैं। डिजिटल भुगतान को बेहद आसान बनाते हुए समूचे वित्तीय सेक्टर में बड़े बदलाव की जमीन तैयार हो चुकी है और सबसे अहम बात, भारत को तकनीकी आधारित इकोनॉमी में तब्दील होने के संकेत मिल रहे हैं।

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फिनटेक क्रांति के इस माहौल में दैनिक जागरण ने कुछ फिनटेक कंपनियों से बात की है और उद्योग जगत की तरफ से वित्त मंत्रालय से की गई फिनटेक सेक्टर से संबंधित मांगों का अध्ययन किया। इससे पता चलता है कि बेहद तेजी से आगे बढ़े रहे इस उद्योग की राह में चुनौतियां भी कम नहीं है और इस उद्योग को सरकार से काफी उम्मीदें हैं। कई कंपनियों ने कहा है कि जितनी तेजी से फिंनटेक प्लेटफार्म पर आम ग्राहकों का डाटा शेयर किया जा रहा है, उससे डाटा की सुरक्षा को पूरी तरह से चाक चौबंद करना भी जरूरी हो गया है। उद्योग चैंबर फिक्की ने उम्मीद जताई है कि प्रस्तावित डाटा सुरक्षा विधेयक को जल्दी से कानूनी जामा पहनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। साथ ही हर छोटी-बड़ी फिनटेक कंपनी के लिए अलग-अलग केवाइसी के नियम को आसान बनाना चाहिए तथा वित्तीय सेक्टर की सभी तकनीक आधारित कंपनियों के लिए एक केवाइसी (ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने वाला नियम) होनी चाहिए।

फिनटेक की एक मांग यह है कि बैंक के लिए कुल वितरित कर्ज को एनबीएफसी के जरिए वितरित करने की मौजूदा सीमा पांच फीसद से बढ़ा कर सात फीसद करने का ऐलान किया जाए। बताते चलें कि कई फिनटेक एनबीएफसी के तौर पर काम कर रहे हैं और पहले वो बैंक से फंड हासिल करते हैं, फिर बाद में उसे ग्राहकों के बीच देते हैं। बजट पूर्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब अर्थविदों के साथ बैठक की थी, जो उसमें भी फिनटेक को लेकर सबसे ज्यादा फोकस देने के सुझाव आये थे। एक बड़ा कारण यह बताया गया था कि यहां लघु और मझोले उद्योगों को अभी भी पर्याप्त कर्ज नहीं मिल पा रहा। छोटे और मझोले उद्योगों को 11,000 अरब रुपये का कर्ज मिल रहा है जबकि इन्हें इसके अतिरिक्त 27,000 अरब रुपये का संस्थागत कर्ज और मिलनी चाहिए।

इस कमी को फिनटेक के जरिए ही दूर किया जा सकता है क्योंकि अब बड़े संस्थागत बैंकों के लिए ना तो कार्यालय खोल कर यह काम करना संभव है और ना ही ये तकनीकी पर भारी भरकम राशि खर्च कर सकते हैं। स्पाइस मनी के संस्थापक दिलीप मोदी का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र को फोकस करने वाले फिनटेक को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है, जो ग्रामीण जनता की जरूरत के हिसाब से तकनीक लाएं और उन्हें आसानी से हर तरह का कर्ज मुहैया कराएं।

कुछ दूसरे फिनटेक उद्यमियों ने कहा है कि आरबीआइ की तरफ से गठित जयंत कुमार दास समिति की कई सिफारिशों को इस साल हरी झंडी मिलने के आसार हैं। ऐसे में आम बजट के जरिए सरकार भी उचित माहौल बनाने में बड़ा योगदान कर सकती है।


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