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Budget 2021: तेज स्पीड इंटरनेट और हर स्टूडेंट तक गैजेट सुनिश्चित करे बजट, एजुटेक को मिले बढ़ावा

कोरोना काल में देशभर में स्कूल-कॉलेज बंद रहे और छात्रों व शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा की ओर आना पड़ा। इसी तरह ऑनलाइन एजुकेशन के फायदे भी लोगों को पता चले। भले ही कोरोना वैक्सीन आ गई हो लेकिन शिक्षा क्षेत्र में अब ब्लैंडेड एजुकेशन की आवश्यकता जोर पकड़ रही है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 11:22 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 08:01 AM (IST)
Budget 2021: तेज स्पीड इंटरनेट और हर स्टूडेंट तक गैजेट सुनिश्चित करे बजट, एजुटेक को मिले बढ़ावा
Budget 2021 ( P C : Flickr )

नई दिल्ली, कुलपति प्रो. केजी सुरेश। पिछले एक साल से अधिक समय से ऐसे बहुत कम विषय रहे हैं, जो सुखदायक हों या जिनसे संतोष किया जा सके। अब सबकी निगाहें आम बजट पर हैं, जो एक फरवरी को पेश होने जा रहा है। शिक्षा क्षेत्र को भी इस बजट से कई सारी उम्मीदें हैं। बीते दिनों शिक्षा क्षेत्र पर सरकार का फोकस सबने देखा है। चाहे वो नई शिक्षा नीति लाना हो या मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करना, लेकिन कोरोना महामारी ने शिक्षा क्षेत्र की जरूरतों को कई अधिक बढ़ा दिया है। कोरोना संकट से पैदा हुई वित्तीय स्थिति को देखते हुए नई शिक्षा नीति की अनुशंसा के अनुसार, शिक्षा के लिए छह फीसद बजट मुश्किल लगता है, लेकिन शिक्षा के लिए बजट में पिछले साल से अधिक आवंटन की उम्मीद जरूर करते हैं।

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ब्लैंडेड एजुकेशन की है आवश्यकता

कोरोना काल में देशभर में स्कूल-कॉलेज बंद रहे और छात्रों व शिक्षकों को ऑनलाइन शिक्षा की ओर आना पड़ा। इसी तरह ऑनलाइन एजुकेशन के फायदे भी लोगों को पता चले। भले ही कोरोना वैक्सीन आ गई हो, लेकिन शिक्षा क्षेत्र में अब ब्लैंडेड एजुकेशन की आवश्यकता जोर पकड़ रही है। अब सिर्फ किसी बिल्डिंग के अंदर दी जाने वाली शिक्षा ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों माध्यमों से शैक्षणिक गतिविधियों के जारी रहने की जरूरत है।

ब्रॉडबैंड सेवाओं का हो विस्तार

ऑनलाइन एजुकेशन में सबसे बड़ी रुकावट है इंटरनेट की समस्या। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में बैंडविड्थ की समस्या है। ऐसे में वाई-फाई और ब्रॉडबैंड सेवाओं के विस्तार की जरूरत है। कोरोनाकाल के दौरान कई समृद्ध राज्यों में भी इंटरनेट संबंधी समस्याएं देखी गई थीं। बजट में दूरसंचार क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाकर इससे निपटा जा सकता है। इससे ऑनलाइन एजुकेशन को मजबूती मिलेगी। ऑनलाइन एजुकेशन में दूसरी रुकावट है, छात्रों के पास गैजेट्स की कमी। कुछ राज्य सरकारें विद्यार्थियों को लैपटॉप बांटने की योजनाएं लेकर आई थीं, लेकिन वे सफल नहीं हो पायीं। विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन एजुकेशन के लिए कम से कम एक स्मार्टफोन तो होना ही चाहिए। सरकार बजट में शिक्षण संस्थाओं को गेजेट्स प्रदान करने का प्रावधान ला सकती है, जिससे ये संस्थान विद्यार्थियों तक इन्हें पहुंचा सकें।

वर्तमान समय की मांग है एजुटेक

कोरोना काल में एजु-टेक में काफी ग्रोथ देखने को मिली। यह वर्तमान समय की मांग है। बजट में इस पर जरूर फोकस होना चाहिए। आम लोगों पर एजुटेक का खर्च कम आए, इस बारे में सरकार को कदम उठाने चाहिए। इस तरह के कदम बजट में उठाए जाएं कि स्कूल-कॉलेज कम खर्च में ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को एजुटेक का लाभ दे पाएं। जब हम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की बात कर रहे हैं, तो प्राइवेसी एक अहम मुद्दा है। इससे निपटने के लिए भारतीय तकनीकी प्लेटफॉर्म्स के विकास पर ध्यान देने की जरूरत है। सरकार को भारतीय एजुटेक प्लेटफॉर्म्स व इस क्षेत्र से जुड़े उद्यमों को प्रमोट करने के कदम उठाने चाहिए। इसके लिए एजुटेक कंपनियों को टैक्स में छूट भी दी जा सकती है। एजुकेशन फोर ऑल और टेक्नोलॉजी फोर ऑल की तरह ही एजुटेक फोर ऑल की बात भी होनी चाहिए।

उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाएं

जब हम भारत में शिक्षा की बात कर रहे हैं, तो यह भारतीय भाषाओं के उल्लेख के बिना संभव नहीं है। उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की कमी खलती है। जब हम सबके लिए शिक्षा की बात कर रहे हैं, तो भारतीय भाषाओं में उच्च शिक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। इसके लिए भी बजट में कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही जो विद्यार्थी विजुअली चैलेंज से जुझते हैं, उनके लिए कंटेंट में वृद्धि करने की जरूरत है। इस तरह हम समावेशी शिक्षा की बात कर सकते हैं और बजट में इसके लिए आवंटन किये जाने की आवश्यकता है।

NEP की तरह ही आए NMLM भी

हम ब्लैंडेड एजुकेशन की बात कर रहे हैं, जिसमें ऑनलाइन लर्निंग का खास महत्व है। इस तरह बच्चों का इंटरनेट पर एक्सपोजर बढ़ा है। ऐसे में फेक कंटेंट की समस्या हमारे सामने आ सकती है। एक मीडिया संस्थान का कुलपति होने के नाते मेरा मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की तरह ही राष्ट्रीय मीडिया साक्षरता मिशन (NMLM) की भी देश को आवश्यकता है। इससे फेक कंटेंट के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सकता है और ऐसा करके भारत मीडिया साक्षरता मिशन लाने वाला विश्व का पहला देश बन जाएगा।

(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति हैं।)


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