Move to Jagran APP

Budget Expectations: प्रीमियम छूट में बढ़ोतरी, बीमा कंपनियों की प्रीमियम पर जीएसटी कटौती की मांग

इसके अलावा पेंशन उत्पादों को कर प्रोत्साहन में एनपीएस के साथ समानता दी जानी चाहिए। वार्षिकी उत्पादों के लिए मूल घटक के लिए कटौती की अनुमति की मांग की गई और केवल ब्याज वृद्धि पर फिक्स्ड डिपाजिट के समान कर लगाया जाना चाहिए।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 02:08 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 02:08 PM (IST)
Budget Expectations: प्रीमियम छूट में बढ़ोतरी, बीमा कंपनियों की प्रीमियम पर जीएसटी कटौती की मांग
Hike in premium exemption indication on GST cut on premium budget expectations of insurers

नई दिल्ली, आइएएनएस। बीमा क्षेत्र ने आगामी बजट में स्वास्थ्य बीमा पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दर में कमी के संकेत, स्वास्थ्य सुविधाओं को बुनियादी ढांचे का दर्जा देना, बीमा प्रीमियम के लिए कर कटौती में बढ़ोतरी जैसी कुछ इच्छाएं जाहिर की हैं। इसके अलावा उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी सरकार से देश में बीमा की पहुंच बढ़ाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है।

loksabha election banner

अनूप राव, एमडी सीईओ ने कहा कि भले ही जीएसटी दरें केंद्रीय बजट का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन बीमाकर्ता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में बीमा प्रीमियम पर दरों में कमी चाहते हैं। स्वास्थ्य बीमा एक आवश्यक वस्तु है और इसे पांच फीसद स्लैब में रखा जाना चाहिए। राव के अनुसार, आयकर अधिनियम की धारा 80डी में कर कटौती की सीमा को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 150,000 रुपये करने से स्वास्थ्य बीमा के प्रवेश में और मदद मिल सकती है। गंभीर बीमारियों की घटनाओं में वृद्धि ने इसे मध्यम-आय और निम्न-आय वर्ग के लिए एक असहनीय खर्च बना दिया है। इसलिए, स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के लिए एक उच्च कर कटौती सीमा की आवश्यकता है।

राव ने कहा, भारत में बीमा की कम जानकारी और सुरक्षा जाल के तहत आबादी के व्यापक हिस्से ​​​​को लाने की आवश्यकता को देखते हुए, छोटे आकार के बीमा उत्पादों जैसे सूक्ष्म बीमा, सचेत उत्पादों, आदि को जीएसटी से छूट दी जा सकती है। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए रूपम अस्थाना, (सीईओ और पूर्णकालिक निदेशक, लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस) ने कहा, भारत में बीमा की पैठ सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 4.2 फीसद है, जबकि वैश्विक औसत 7.4 फीसद है। अस्थाना ने कहा कि मार्च, 2021 तक भारत में गैर-जीवन बीमा की पहुंच मुश्किल से एक फीसद थी और सरकार से जीएसटी को 18 फीसद से कम करने का आग्रह किया।

इसके अलावा, पेंशन उत्पादों को कर प्रोत्साहन में एनपीएस के साथ समानता दी जानी चाहिए। वार्षिकी उत्पादों के लिए मूल घटक के लिए कटौती की अनुमति की मांग की गई और केवल ब्याज वृद्धि पर फिक्स्ड डिपाजिट के समान कर लगाया जाना चाहिए। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.