Train को और तेज दौड़ाने के लिए Budget 2022 में हो सकते हैं खास ऐलान
रेल मंत्रालय ने हाईटेक ट्रेनों वैगनों और लोको की शुरुआत के साथ बेड़े का आधुनिकीकरण करते हुए माल गलियारों और High Speed Rail की दीर्घकालिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के खर्च को पूरा करने के लिए यह डिमांड की है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। रेलवे को इस साल बजट में बड़ा फंड मिल सकता है। क्योंकि सरकार नेशनल ट्रांसपोर्टर को बड़े बदलाव के लिए सपोर्ट करने के लिए तैयार है। बजट 2022-23 में Indian Railways की योजनाएं के लिए बजट अनुमानों के 20% तक बढ़ाने की संभावना है, जो इसके आवंटन को करीब 2.5 ट्रिलियन रुपये तक ले जाएगा। जानकारों की मानें तो रेल मंत्रालय ने अपने योजना पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी की मांग की है।
रेल मंत्रालय ने हाईटेक ट्रेनों, वैगनों और लोको की शुरुआत के साथ बेड़े का आधुनिकीकरण करते हुए माल गलियारों और High Speed Rail की दीर्घकालिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के खर्च को पूरा करने के लिए यह डिमांड की है। साथ ही वह सभी रूटों का इलेक्ट्रिफिकेशन भी कर रहा है और ट्रेन यात्रा को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए सिग्नलिंग सिस्टम में बदलाव कर रहा है। हालांकि इस बारे में अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
दूसरी तरफ देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) ने एविएशन फ्यूल पर लगने वाले सेंट्रल एक्साइज को 11 फीसदी से घटाकर पांच फीसदी करने और विमानों के कलपुर्जों पर सीमा शुल्क खत्म करने की मांग की है। कंपनी के सीईओ रोनोजॉय दत्ता ने कहा कि सिविल एविएशन इंडस्ट्री को अपने रेवेन्यू का 21 प्रतिशत हिस्सा अप्रत्यक्ष कर के रूप में चुकाना पड़ता है जो पहले से खस्ताहाल इस सेक्टर की कमर तोड़ देगा।
दत्ता ने वित्त मंत्रालय से विमान ईंधन पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क को 11 प्रतिशत से घटाकर पांच फीसदी करने की मांग करते हुए कहा कि विमानों के कलपुर्जों पर लागू सीमा शुल्क को खत्म करने की जरूरत है। नागर विमानन क्षेत्र देश में आर्थिक वृद्धि एवं रोजगार के लिए महत्वपूर्ण ढांचागत आधार मुहैया कराता है। इसके बावजूद उद्योग को अपने राजस्व का 21 फीसदी अप्रत्यक्ष कर के रूप में सरकार को चुकाना पड़ता है और बहुत कम इनपुट क्रेडिट मिलता है।
इंडिगो के सीईओ ने कहा कि विमानन उद्योग से कर भुगतान के लिए 21 प्रतिशत मार्जिन कमाने की उम्मीद करना गैरवाजिब है। खास तौर पर पहले से ही गंभीर रूप से बीमार क्षेत्र के लिए यह और भी बुरी बात है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा था कि भारतीय एयरलाइन कंपनियों को वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 20,000 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ सकता है। महामारी की तीसरी लहर आने से यह आशंका और बढ़ गई है। (Pti इनपुट के साथ)