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Budget 2022 में अतिरिक्त कर बोझ डालने से बचेगी सरकार : SBI

इकोनॉमी में सुधार के जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं उसके साथ वित्त मंत्री कोई भी छेड़छाड़ नहीं करेंगी। यह विचार एसबीआइ का है जिसने बुधवार को बजट संभावनाओं पर जारी अपनी रिपोर्ट में विस्तार से सरकार की वित्तीय स्थिति का आकलन किया है।

By Ashish DeepEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 08:54 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 08:54 AM (IST)
Budget 2022 में अतिरिक्त कर बोझ डालने से बचेगी सरकार : SBI
बजट का उद्देश्य लक्ष्य तय करने के बजाय मौजूदा रिकवरी को और स्थिर बनाने का होगा। (Pti)

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। आगामी बजट में सरकार शायद ही अतिरिक्त वैल्थ टैक्स (Wealth Tax) लगाये या आम जनता पर टैक्स का कोई अतिरिक्त बोझ डाले। वजह यह है कि कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद वित्त वर्ष 2021-22 में सरकारी खजाने की स्थिति उम्मीद से बेहतर है और सरकार पर राजकोषीय घाटे को काबू में करने का कोई दबाव भी नहीं है। ऐसे में इकोनॉमी में सुधार के जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं, उसके साथ वित्त मंत्री कोई भी छेड़छाड़ नहीं करेंगी। यह विचार एसबीआइ का है जिसने बुधवार को बजट संभावनाओं पर जारी अपनी रिपोर्ट में विस्तार से सरकार की वित्तीय स्थिति का आकलन किया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी बजट का उद्देश्य अब भी लंबी दूरी के लक्ष्य तय करने के बजाय मौजूदा रिकवरी को और स्थिर बनाने का होगा। ऐसे में राजकोषीय घाटे को चालू वित्त वर्ष के मुकाबले अगले वित्त वर्ष के दौरान थोड़ा कम किया जाएगा और यह जीडीपी के मुकाबले 6.5 फीसद के स्तर पर रहेगा। अगर यह माना जाए कि अगले वित्त वर्ष भी चालू वित्त वर्ष की तरह खर्चे में 8 फीसद का इजाफा किया जाता है और सभी तरह की राजस्व प्राप्तियों में 10.8 फीसद का इजाफा होता है तो वर्ष 2022-23 में 16.5 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा ( जीडीपी का 6.3 फीसद) होगा।

चालू वित्त वर्ष के बचे हुए दो महीनों में अगर एलआइसी का विनिवेश हो जाता है तो सरकार के पास तीन लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम होगी (बजटीय अनुमान से ज्यादा)। इस रकम का इस्तेमाल राजकोषीय घाटे के अंतर को पाटने में किया जाएगा। वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा बजटीय अनुमान के मुताबिक ही 6.8 फीसद रहने की उम्मीद है।

इस हालात के बावजूद केंद्र और राज्यों की तरफ से उधारी लेने में कोई बड़ी कमी देखने को नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार की तरफ से वर्ष 2022-23 में कुल 12 लाख करोड़ रुपये की उधारी और राज्यों की तरफ से नौ लाख करोड़ रुपये की उधारी ली जाएगी। यानी कुल उधारी 21 लाख करोड़ रुपये की होगी जबकि चालू वित्त वर्ष में यह राशि 19.7 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है।

एसबीआइ की रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की इकोनोमी में 9.2 फीसद की वृद्दि दर हासिल होने का अनुमान लगाया गया है, लेकिन अगले वित्त वर्ष के दौरान विकास दर के घट कर 8 फीसद के करीब आ जाने की बात कही गयी है।


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