Budget 2022: छोटे शहरों को निर्यात हब बनाने पर होगा सरकार का ध्यान! बड़ी घोषणाओं की उम्मीद
बजट में निर्यात प्रोत्साहन पर सरकार का खास ध्यान होगा। देश के कोने-कोने से निर्यात की शुरुआत की कोशिश होगी। अभी गुजरात महाराष्ट्र तमिलनाडु आंध्र प्रदेश जैसे गिने-चुने राज्यों से देश का 60 प्रतिशत से अधिक निर्यात किया जाता है।
नई दिल्ली, राजीव कुमार। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में पहली बार भारत 400 अरब डालर के वस्तुओं का निर्यात करने जा रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय आगामी वित्त वर्ष 2022-23 में वस्तुओं के निर्यात को 500 अरब डालर तक ले जाने की तैयारी में अभी से जुट गया है। आगामी पहली फरवरी को पेश होने वाले बजट में भी इसकी झलक दिख सकती है। बजट में निर्यात प्रोत्साहन पर सरकार का खास ध्यान होगा। देश के कोने-कोने से निर्यात की शुरुआत की कोशिश होगी। अभी गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे गिने-चुने राज्यों से देश का 60 प्रतिशत से अधिक निर्यात किया जाता है।
बिहार सहित कई राज्यों से देश के निर्यात में ना के बराबार हिस्सेदारी है। बजट में इस भागीदारी को बढ़ाने के उपाय किए जा सकते हैं। वस्तुओं का निर्यात बढ़ने से मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ोतरी होगी, जिससे रोजगार बढ़ेगा। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) के माध्यम से सभी जिलों से निर्यात शुरू करने की पहल शुरू तो कर दी है लेकिन पर्याप्त फंड के अभाव में इस काम में उम्मीद के मुताबिक तेजी नहीं आई है। आगामी वित्त वर्ष के बजट में सभी जिलों में निर्यात केंद्र खोलने और वहां से निर्यात की शुरुआत करने के लिए विशेष वित्तीय व्यवस्था की जा सकती है।
कई छोटे-छोटे शहरों में कई खास उत्पाद पाए जाते हैं, जिनके निर्यात की पूरी गुंजाइश होती है, लेकिन सुविधा के अभाव में यह संभव नहीं हो पाता है। सूत्रों के मुताबिक, आगामी बजट में निर्यात प्रोत्साहन के लिए दूसरा प्रमुख उपाय निर्यात की लागत को कम करना होगा। मुख्य रूप से लॉजिस्टिक सुविधा प्रदान करके लागत में कमी की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, बजट में प्रति कंटेनर निर्यात के हिसाब से निर्यातकों को कुछ रियायत दी जा सकती है और इस काम के लिए विशेष कोष की घोषणा हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए क्लस्टर के रूप में खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि दी जा सकती है। अन्य इंसेंटिव के लिए रेमिशन ऑफ ड्यूटीज एंड टैक्सेज ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (रोडटेप) की घोषणा पहले ही हो चुकी है। बजट में ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात और सप्लाई चेन को दुरुस्त रखने की दिशा में भी सरकार की तरफ से पहल की जा सकती है।
अभी एक सीमा तक ही ई-कॉमर्स के माध्यम से निर्यात किया जा सकता है। ई-कॉमर्स निर्यात बढ़ने से छोटे-छोटे शहर या ग्रामीण इलाके से भी निर्यात का काम शुरू हो सकता है। क्रेडलिक्स के निदेशक प्रमित जोशी कहते हैं कि सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम का असर निर्यात पर अब दिखने लगेगा लेकिन निर्यात से जुड़े निर्माण की प्रतिस्पर्धा क्षमता को और बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए निर्यात क्षेत्र का पूरी तरह से डिजिटाइजेशन किया जाना चाहिए।
आगामी बजट में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के नियमों में भी बदलाव की घोषणा की जा सकती है। विशेष आर्थिक क्षेत्रों को मिलने वाले इंसेंटिव की अवधि खत्म हो रही है। ऐसे में इस बात की आशंका है कि कहीं SEZ से मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट बाहर न निकल जाएं क्योंकि SEZ में निर्मित वस्तुओं को घरेलू बाजार में बेचने पर उन्हें आयातित वस्तु माना जाता है और उनपर शुल्क लगता है।
SEZ के मैन्युफैक्चरर भारतीय रुपये में भुगतान नहीं ले सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार बजट में SEZ में निर्मित वस्तुओं को घरेलू बाजार में बिना शुल्क के बेचने की इजाजत के साथ SEZ के अन्य नियमों को भी मैन्युफैक्चरर के हित में बदल सकती है।