Social Welfare Budget 2022: सरकार का इस बार सामाजिक कल्याण पर होगा फोकस, कर्मचारियों और मनरेगा पर हो सकती हैं ये घोषणाएं
Social Welfare Budget 2022 Expectation कोरोना महामारी के चलते इस बार सामाजिक क्षेत्र की प्राथमिकता बनी रहेगी। आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। बता दें कि नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने से ही बजट में हर साल सामाजिक क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ती रही है।
नई दिल्ली, जेएनएन (Budget 2022-23 for Social Welfare)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज आम बजट पेश करेंगी। कोरोना महामारी के चलते इस बार के आम बजट में सामाजिक क्षेत्र की प्राथमिकता बनी रहेगी। सरकार द्वारा जारी आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों ने इसके संकेत भी दे दिए हैं। बता दें कि नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने से ही सरकार के बजट में हर साल सामाजिक क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ती रही है और पिछले साल 2021-22 के दौरान केंद्र और राज्य दोनों को मिलाकर सरकार के कुल खर्च का अकेले सामाजिक क्षेत्र पर 26.6 फीसद खर्च किया गया था। इस साल भी महामारी के प्रभाव के चलते सरकार सामाजिक कल्याण व्यय में इजाफा कर सकती है। वित्त मंत्री इसको लेकर कई बड़े ऐलान भी कर सकती हैं, आइए जानते हैं क्या हो सकती हैं घोषणाएं -
वेतनभोगी कर्मचारियों को मिल सकता है वर्क फ्रॉम होम अलाउंस
आज के बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी हो सकती है। यह आंकड़ा मौजूदा 50,000 रुपये से दोगुना होकर 1 लाख रुपये हो सकता है। बजट 2022 में वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अलाउंस भी पेश किए जा सकते हैं। ऐसे खर्चों के लिए अधिक कटौती से टेक-होम वेतन में वृद्धि होगी।
मनरेगा में मजदूरी के साथ कार्यदिवसों में हो सकता है इजाफा
चुनावों के चलते इस बार सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को उच्च आवंटन दे सकती है। देश की करीब 25 फीसदी ग्रामीण आबादी उन पांच राज्यों में है जहां फरवरी-मार्च में चुनाव होने हैं। इसलिए, यह उम्मीद है कि सरकार ग्रामीण और कृषि कल्याण खर्च को बढ़ाए। सरकार खाद्य सब्सिडी, मनरेगा, पीएम-किसान और उर्वरक सब्सिडी जैसे कल्याणकारी खर्चों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। इसके साथ ही सरकार मनरेगा (MGNREGA) पर एक बड़ा ऐलान कर सकती है। कोरोना में हुए नुकसान को देखते हुए वित्त मंत्री मजदूरी और कार्यदिवसों की संख्या भी बढ़ा सकती है।
कल्याणकारी योजनाओं पर होगा ज्यादा फोकस
2021-22 में सामाजिक क्षेत्र में जीडीपी का केवल 3.1 फीसद ही खर्च किया जा सका है। आर्थिक सर्वेक्षण से यह साफ हो गया है कि सरकार का मुख्य जोर स्वास्थ्य के साथ-साथ उज्जवला, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास और हर घर में नल से जल जैसी कल्याणकारी योजनाओं पर ज्यादा रहा है। इसी वजह से सामाजिक क्षेत्र में किये गए कुल खर्च में से शिक्षा की हिस्सेदारी लगातार कम होती रही। जानकारों की मानें तो इस बार सरकार सामाजिक कल्याण व्यय में बड़ा इजाफा कर सकती है। कुलमिलाकर सरकार इस बार कर्मचारियों और मजदूरों को कई बड़े तोहफे दे सकती है।