Insurance Budget 2022: कोरोना काल में बढ़ा बीमा का महत्व, इंश्योरेंस कंपनियों को बजट से बड़ी उम्मीदें
Budget 2022-23 for Insurance Sector स्वास्थ्य बीमा को और अधिक किफायती बनाने के लिए उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जीएसटी को मौजूदा 18 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने की मांग की है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Insurance Sector Budget 2022 (बीमा क्षेत्र का बजट) : साल 2020, 2021 और अब 2022 में भी देश की जनता कोरोना महामारी की मार झेल रही है। ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत और उसका महत्व काफी बढ़ गया है। हालांकि अभी देश की बड़ी आबादी हेल्थ इंश्योरेंस से दूर है। इस क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि हेल्थ इंश्योरेंस पर लगने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी के कारण लोग इससे दूर हैं। कई कंपनियों ने सरकार से जीएसटी को कम करने की मांग की है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसकी तरफ आकर्षित हों। इस बीच मंगलवार को बजट 2022 पेश होगा। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर को लेकर बड़ी घोषणाएं कर सकती है।
जीएसटी पर कटौती से मिलेगा लाभ
स्वास्थ्य बीमा को और अधिक किफायती बनाने के लिए उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जीएसटी को मौजूदा 18 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस कदम से लोगों को स्वास्थ्य बीमा खरीदने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। उनका कहना है कि पिछले 20 महीनों में कोरोना महामारी ने देश में तबाही मचाई है। दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में भर्ती हुए थे और चिकित्सा बिलों में भारी वृद्धि देखी गई थी। इसलिए, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को स्वास्थ्य बीमा के लिए जीएसटी को 18 फीसद से घटाकर 5 फीसद करने पर विचार करना चाहिए। यह कदम लोगों को चिकित्सा संकट और आपात स्थिति से खुद को बचाने के लिए स्वास्थ्य बीमा खरीदने की तरफ प्रोत्साहित करेगा।
कर लाभ के लिए अलग श्रेणी बनाने की मांग
लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों ने आम बजट में सेक्शन 80सी के तहत दी जाने वाली कर छूट में जीवन बीमा के लिए अलग श्रेणी बनाने की मांग की है। कंपनियों का कहना है कि फिलहाल इनकम टैक्स के सेक्शन 80 सी के तहत डेढ़ लाख रुपये के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। इसमें बीमा, पीपीएफ, आवास ऋण, ईएलएसएस से लेकर एनएससी में किया गया निवेश भी शामिल है। ऐसे में कंपनियां चाहती हैं कि जीवन बीमा में निवेश की एक अलग धनराशि रखी जाए। साथ ही एन्यूटी या पेंशन उत्पादों को कर छूट के दायरे में लाने का अनुरोध किया गया है। वर्तमान में पेंशन उत्पादों को वेतन के रूप में देखा जाता है इसलिए इन पर कर लगता है।
इसके अलावा बीमा क्षेत्र से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि सरकार 80डी के तहत मेडिक्लेम पर मिलने वाली टैक्स छूट की लिमिट को बढ़ाकर 50 हजार रुपये तक कर सकती है, जो फिलहाल 25 हजार रुपये है।