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Budget 2022: तैयार माल के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की संभावना, कच्चे माल के लिए मिल सकती है रियायत

Budget 2022 Expectations वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सरकार तैयार माल (फिनिश्ड गुड्स) के आयात पर लगने वाले शुल्क में बढ़ोतरी हो सकती है जबकि कच्चे माल पर लगने वाले आयात शुल्क में कमी कर सकती है।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Wed, 26 Jan 2022 10:40 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 07:18 AM (IST)
Budget 2022: तैयार माल के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की संभावना, कच्चे माल के लिए मिल सकती है रियायत
Budget 2022: तैयार माल के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की संभावना, कच्चे माल के लिए मिल सकती है रियायत

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आगामी वित्त वर्ष में रोजगार में बढ़ोतरी के लिए मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात की बढ़ोतरी पर सरकार का फोकस रहेगा। इस उद्देश्य को कामयाब बनाने के लिए आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में तैयार माल (फिनिश्ड गुड्स) के आयात पर लगने वाले शुल्क में बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं, कई प्रकार के कच्चे माल पर लगने वाले आयात शुल्क में रियायत दी जा सकती है ताकि वस्तुओं की लागत कम हो सके। इससे घरेलू स्तर पर महंगाई कम होगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पाद की बिक्री बढ़ेगी।

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कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर मेडिकल उपकरण निर्माताओं तक ने सरकार से इस प्रकार की मांग भी की है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार उन सभी सेक्टर से जुड़े फिनिश्ड गुड्स के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर सकती है, जिनके लिए पिछले एक-डेढ़ साल में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम की घोषणा की गई है ताकि घरेलू स्तर पर उन वस्तुओं के उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सके। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आयातित वस्तुएं सस्ती रहेंगी और भारत में बनने वाली वस्तुएं अपेक्षाकृत महंगी होंगी, जिससे उनकी बिक्री प्रभावित होगी।

मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तु, मेडिकल उपकरण, ऑटो पा‌र्ट्स जैसे कई आइटम के आयात पर शुल्क में बढोतरी हो सकती है। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के फोरम संयोजक राजीव नाथ ने बताया कि आयात शुल्क कम होने की वजह से ही हर साल चीन से मेडिकल उपकरण का आयात बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2020-21 में चीन से 9112 करोड़ रुपए का मेडिकल उपकरणों का आयात किया गया जो वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले 75 फीसद अधिक है।

नाथ ने बताया कि भारत में मेडिकल उपकरणों के आयात पर 0-7.5 फीसद तक का शुल्क लगता है, जो काफी कम है। एसोसिएशन की तरफ से सभी मेडिकल उपकरणों पर कम से कम 15 फीसद तक आयात शुल्क लगाने की मांग की गई है। भारत में इस्तेमाल होने वाले 80-85 फीसद मेडिकल उपकरणों का आयात किया जाता है। वैसे ही, घरों में इस्तेमाल होने वाले कई प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं पर लगने वाले आयात शुल्क को बढ़ाया जा सकता है।

जिन ऑटो पा‌र्ट्स को भारत में बनाने की पूरी गुंजाइश है और जिनके निर्माण के लिए पीएलआई स्कीम के तहत निर्माताओं की तरफ से आवेदन किए गए हैं, उनके आयात पर भी शुल्क में इजाफा हो सकता है। एल्युमीनियम पर भी आयात शुल्क में बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि एल्युमीनियम पर आयात शुल्क कम होने से घरेलू एल्युमीनियम उद्योग प्रभावित हो रहा है।

एल्युमीनियम स्क्रैप पर अभी सिर्फ 2.5 फीसद शुल्क है और एल्युमीनियम उत्पादक एसोसिएशन का मानना है कि इस वजह से भारतीय बाजार में आयातित एल्युमीनियम स्क्रैप का दबदबा है। अन्य प्रकार के एल्युमीनियम पर 7.5-10 फीसद का आयात शुल्क लगता है, जिसे 15 फीसद करने की मांग की गई है।

दूसरी तरफ कई प्रकार के कच्चे माल के आयात शुल्क में कटौती की जा सकती है ताकि फिनिश्ड गुड्स की लागत कम हो सके। इनमें इंजीनियरिंग क्षेत्र और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र मुख्य रूप से शामिल है।


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