Budget 2022: 'सामाजिक परिवर्तन के लिए जरुरी है प्रभावकारी इनोवेशन'
Budget 2022 Expectations भारत को डिजिटलाइज करने और जन धन-आधार-मोबाइल (जेएएम) की तिकड़ी के माध्यम से महामारी के दौरान प्रशासन को बेहतर करने के लिए भारत को प्रौद्योगिकी के स्तर पर समृद्ध करने की भूमिका को भी समझना होगा।
नई दिल्ली, अतुल सतीजा। मोदी सरकार (Modi Government) केंद्रीय बजट 2022-23 (Union Budget 2022) पेश करने वाली है। जहां एक ओर भारत ने विकास के कई मानकों पर उल्लेखनीय सुधार किया है, तो दूसरी ओर विकास के कई संकेतकों के मामले में स्थिति खराब भी हुई है। यह आवश्यक है कि इस साल सरकार बड़े पैमाने पर सामाजिक बदलाव और लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए सुधारों पर जोर देने के साथ ही सोशल सेक्टर पर फोकस करे। स्वास्थ्य, आजीविका और शिक्षा फोकस वाले क्षेत्र रहेंगे।
सामाजिक विकास के क्षेत्र में उठाए गए कदम भारत को भविष्य में महामारी की किसी भी संभावित लहर से उबरने में मददगार साबित होंगे। हमारे अनुभव दिखाते हैं कि हम इस महामारी के कारण किसी भी तरह से सामाजिक-आर्थिक संकट एवं असमानता को सहन नहीं कर सकते हैं। महामारी के इस तीसरे वर्ष में होने जा रही बजट घोषणाएं विभिन्न सेक्टर एवं उनसे जुड़े लोगों से संबंधित व्यवस्थित बदलाव के प्रयासों पर केंद्रित होनी चाहिए, जिससे आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ सकें।
महामारी के कारण असमानता की खाई बढ़ी है। सरकार को इस महामारी के कारण गरीबी के दलदल में फंस गए या इससे प्रभावित होने वाली ऐसी आबादी पर फोकस करना चाहिए, जो इस संकट काल में गरीबी की गिरफ्त में आ गए हैं। मौजूदा दौर के भारत में लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाना प्राथमिकता में होना चाहिए। 36.4 करोड़ से ज्यादा लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए बड़े पैमाने पर आर्थिक सशक्तीकरण के कार्यक्रमों की जरूरत होगी।
महामारी के कारण मुश्किलों से भरे समय में भी भारत के पास इनोवेशन एवं उद्यमिता पर फोकस बढ़ाते हुए विकास के पथ पर बढ़ने और असमानता को कम करने का अवसर है, जिससे गरीबी-मुक्त होने में सक्षम हुआ जा सकता है। जनवरी, 2022 के पहले 10 दिनों में देश में तीन यूनीकॉर्न बने हैं। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया है।
उद्यमिता के क्षेत्र में भारत की क्षमता में वह शक्ति है, जिससे इस बात का निर्धारण हो सकता है कि कैसे भारत इनोवेशन करेगा, आर्थिक एवं रोजगार के अवसर सृजित करेगा, व्यवस्था से जुड़े मसलों का समाधान करेगा, नए बाजार सृजित करेगा और सही कंपनियों को एक मंच प्रदान करेगा।
हाल के दौर में सामने आई चुनौतियों से निपटने के लिए जिस तरह से एग्री-टेक, वाटर सॉल्यूशंस, हेल्थ-टेक आदि से जुड़े मल्टी स्टेकहोल्डर समूहों ने कदम उठाए हैं, वह सामाजिक नवोन्मेष के क्षेत्र में हमारी क्षमता का प्रमाण हैं। 2021 में उद्यमिता एवं नवोन्मेष ने ही भारत को आगे बढ़ाया।
इसी के साथ हमें भारत को डिजिटलाइज करने और जन धन-आधार-मोबाइल (जेएएम) की तिकड़ी के माध्यम से महामारी के दौरान प्रशासन को बेहतर करने के लिए भारत को प्रौद्योगिकी के स्तर पर समृद्ध करने की भूमिका को भी समझना होगा। आम जन की दैनिक गतिविधियों में डिजिटल टेक्नोलॉजी अपनाने से लोगों को करीब 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज जैसे कदमों का लाभ उठाने में मदद मिली।
हालांकि, अभी भी डिजिटल के मामले में असमानता है, क्योंकि मात्र 20 प्रतिशत भारतीय ही डिजिटल सेवाओं का प्रयोग करना जानते हैं। भारत को गरीबी मुक्त करने के हमारे साझा लक्ष्य को साकार करना महत्वपूर्ण है। निजी क्षेत्र, सिविल सोसायटी, अकादमिक जगत और इनोवेशन से जुड़े लोग सरकार की प्रतिबद्धता और केंद्रीय बजट से सामने आने वाली दिशा में सहयोग के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
(लेखक द/नज फाउंडेशन के संस्थापक एवं सीईओ हैं और यह उनके निजी विचार हैं।)