Budget 2022: बैंकों का कर-मुक्त एफडी की अवधि घटाकर पांच से तीन साल करने का सुझाव
बैंकों ने इक्विटी से जुड़ी बचत योजना (ईएलएसएस) जैसे म्यूचुअल फंड उत्पादों की तर्ज पर कर लाभ के लिए सावधि जमाओं (एफडी) की अवधि को घटाकर तीन साल करने का सुझाव दिया है। इस समय पांच साल की अवधि की एफडी योजनाओं पर कर लाभ मिलता है
नई दिल्ली, पीटीआइ। बैंकों ने इक्विटी से जुड़ी बचत योजना (ईएलएसएस) जैसे म्यूचुअल फंड उत्पादों की तर्ज पर कर लाभ के लिए सावधि जमाओं (एफडी) की अवधि को घटाकर तीन साल करने का सुझाव दिया है। इस समय पांच साल की अवधि की एफडी योजनाओं पर कर लाभ मिलता है। कोई भी व्यक्ति पांच साल की एफडी योजना में धन निवेश करके आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत आयकर कटौती का दावा कर सकता है। धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये की सीमा तक विभिन्न मदों में निवेश करके कर छूट हासिल की जा सकती है।
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने सरकार को सौंपे गए बजट पूर्व प्रस्ताव में कहा, ‘‘कर बचत के लिए बाजार में उपलब्ध अन्य वित्तीय उत्पादों (जैसे ईएलएसएस) की तुलना में एफडी कम आकर्षक हो गया है और यदि लॉक-इन अवधि कम हो जाती है, तो इससे यह उत्पाद अधिक आकर्षक बन जाएगा तथा बैंकों को अधिक धनराशि मिल सकेगी।’’ आईबीए ने अपने प्रस्ताव में कहा कि लॉक-इन अवधि मौजूदा पांच साल से घटाकर तीन साल की जानी चाहिए।
इसके अलावा बजट प्रस्ताव में बैंकों ने वित्तीय समावेश के लिए किए गए उपायों तथा डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने पर किए गए खर्च के लिए विशेष छूट की मांग भी की गई है। बैंक चाहते हैं कि कराधान से संबंधित मामलों के तेजी से निपटान के लिए एक विशेष विवाद समाधान प्रणाली की स्थापना की जाए।
आईबीए ने आगे कहा कि कमजोर क्षेत्र को बढ़ावा देने, डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने और वित्तीय समावेशन के तहत सरकार की विभिन्न योजनाओं को लागू करने के लिए बैंक बहुत सारी गतिविधियां करते हैं।
आईटी का व्यय करके, बैंक जनता को लाभ देते हैं अर्थात व्यापार करने में आसानी, डिजिटल बैंकिंग, आदि। कराधान से संबंधित मामलों के तेजी से निपटान के लिए बैंक एक विशेष विवाद समाधान तंत्र भी चाहते हैं।
इसमें कहा गया है कि बैंकों की अपीलों में पर्याप्त मात्रा में राशि शामिल होती है लेकिन इन्हें छोटी राशि वाली अपीलों के समान माना जाता है।