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Budget 2021: सेक्शन 80C में मिलने वाली टैक्स छूट को बढ़ाकर किया जाए 3 लाख रुपये, एक्सपर्ट्स की हिमायत

Budget 2021 विकास को बढ़ावा देने के लिए उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाना ज़रूरी है जिसके लिए निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन देना होगा। सरकार ने कई बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को लांच किया है और कई ऐसी परियोजनाओं की शुरुआत का प्रस्ताव भी दिया है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 10:00 AM (IST)Updated: Tue, 26 Jan 2021 07:24 AM (IST)
Budget 2021: सेक्शन 80C में मिलने वाली टैक्स छूट को बढ़ाकर किया जाए 3 लाख रुपये, एक्सपर्ट्स की हिमायत
महामारी का सबसे बुरा असर लोगों की नौकरियों पर पड़ा है।

नई दिल्ली, सलिल भंडारी/सौरभ बासेर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार एक फरवरी, 2021 को वित्त वर्ष 2021-22 का केंद्रीय बजट पेश करने जा रही है। पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महामारी के मद्देनजर ‘अभूतपूर्व’ केन्द्रीय बजट पेश करने का वादा किया है। इसी बीच अच्छी खबर यह है कि कोविड-19 के बाद कुछ सेक्टरों में सुधार आने लगा है और अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी है, किंतु अर्थव्यवस्था को पूरी तरह सामान्य अवस्था में लाने और स्थायी विकास को सुनिश्चित करने के लिए बहुत अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।  

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महामारी का सबसे बुरा असर लोगों की नौकरियों पर पड़ा है, बहुत से लोगों को इस दौरान अपनी नौकरियां खोनी पड़ीं। आज भी हालात पहले जैसे नहीं हुए हैं। कुछ सेक्टर जैसे हॉस्पिटेलिटी, रिटेल, एंटरटेनमेंट, निर्माण, रियल एस्टेट आदि अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए जूझ रहे हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय समुदाय का चीन से ध्यान हटने के कारण भारत के पास अपार संभावनाएं हैं, भारत विश्वस्तरीय कारोबार योजनाओं में अपने लिए स्थान बना सकता है। सरकार इसके बारे में जानती है और इसीलिए आगामी केन्द्रीय बजट से ढेरों उम्मीदें हैं। बजट में प्रभावी ऐलान उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाकर तथा इनकी आपूर्ति को सुनिश्चित कर अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। 

विकास को बढ़ावा देने के लिए उत्पादों और सेवाओं की मांग बढ़ाना ज़रूरी है, जिसके लिए निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहन देना होगा। सरकार ने कई बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को लांच किया है और कई ऐसी परियोजनाओं की शुरुआत का प्रस्ताव भी दिया है। उद्योग जगत में निवेश को बढ़ावा देने के लिए 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2023 के बीच 3 साल की अवधि के लिए प्लांट एवं बिल्डिंग में निवेश  पर 33 फीसदी विशेष भत्ता दिया जाना चाहिए, जो समाज के सभी वर्गों के लिए फायदेमंद होगा। 

वे कंपनियां जिन्हें वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान नकद नुकसान हुआ है, उन्हें अलग सम्पत्ति वर्ग के तहत इस नुकसान की भरपाई के लिए पूंजी मुहैया करायी जानी चाहिए, और कोविड लोन के रूप में बैंकों से लोन उपलब्ध कराए जाने चाहिए, ताकि ये कंपनियां बैंकिंग विनियामक प्रावधान के तहत तभावी एनपीए न बनें। सरकार बकाया कोविड ऋण के लिए बैंकों को अतिरिक्त राशि या बॉन्ड जारी कर सकती है। इससे कंपनियों पर तीन-तरफा प्रभाव पड़ेगा, जहां एक ओर उनका अस्तित्व बना रहेगा, वहीं दूसरी ओर वे आर्थिक विकास में भी योगदान दे सकेंगी। नई परियोजनाओं में निवेश से नौकरियों का सृजन होगा और कंपनियों के लिए आय के अवसर भी बढ़ेंगे। साथ की कर से होने वाले राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।

वेतनभोगी वर्ग की बात करें तो वे सबसे ज्यादा लोन चुकाते हैं। इस साल बहुत से लोगों की नौकरियां गई हैं या वेतन में कटौती हुई है। ऐसे में आगामी बजट में वेतनभोगी वर्ग पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता हैः 

1. धारा 80 सी के तहत कटौती की सीमा  को 1.5 लाख रुपये से 3 लाख रुपये करने की जरूरत, क्योंकि इसमें पिछले छह सालों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

2. चिकित्सा की लागत अधिक है और आज यह दर्द सभी महसूस कर रहे हैं।  महामारी के बाद की इस दुनिया में स्वास्थ्य बीमा अनिवार्यता बन गई है। धारा 80 डी के तहत समग्र सीमा को आम व्यक्ति के लिए बढ़ाकर रु 75000 तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए रु 1 लाख किया जाए। 

3. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों पर जीएसटी न्यूनतम हो, ताकि व्यक्तिगत पॉलिसीधारक के लिए प्रीमियम की लागत कम हो जाए।

4. वेतनभोगी वर्ग को 50000 रुपये की मानक कटौती दी गई है। इसमें संशोधन कर रु 1 लाख किया जाए। 

5. एलएलपी के साझेदारों को कारोबार आय के रूप में वेतन दिया जात है, जबकि कंपनी के निदेशकों को मिलने वाले वेतन पर कर नहीं लगाया जाता। यह अंतर को दूर किया जाए, इससे उन सभी छोटे एवं मध्यम कारोबारों को फायदा होगा जो एलएलपी के रूप में निगमित हैं। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक 2020 में तकरीबन 10 मिलियन नए डीमैट खाते खोले गए हैं। भारतीय कारोबार को विकसित होने के लिए उचित पूंजी की आवश्यकता है, उचित निवेश के द्वारा उनके लिए लिक्विडिटी बनाए रखना आसान होगा। वर्तमान में दीर्घकालिक पूंजी पर रु 1 लाख की सीमा पर छूट दी जाती है, जिसे बढ़ाकर रु 2.50 लाख किया जाना चाहिए। इसके अलावा गोल्ड, डेट म्यूचुअल फंड एवं रियल एस्टेट में निवेश के फायदों को भी विस्तारित किया जाना चाहिए। 

 

(सलिल भंडारी BGJC associates & LLP के संस्थापक हैं और सौरभ बासेर BGJC associates & LLP में पार्टनर हैं। इन लेखकों के प्रकाशित विचार निजी हैं।)     


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