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'Budget 2021 : रियल एस्टेट सेक्टर में राजकोषीय प्रोत्साहन के साथ टैक्स के मोर्चे पर रिलीफ की जरूरत'

वैश्विक स्तर पर रियल-एस्टेट क्षेत्र को किसी भी अर्थव्यवस्था की बेहतरी मापने का एक विश्वसनीय संकेतक माना गया है और भारत के परिप्रेक्ष्य में भी यही सच है। यह सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग सात फीसद हिस्सा है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 11:31 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 08:08 AM (IST)
'Budget 2021 : रियल एस्टेट सेक्टर में राजकोषीय प्रोत्साहन के साथ टैक्स के मोर्चे पर रिलीफ की जरूरत'
आयकर कटौती के तहत बिना किसी सीलिंग के पूरी तरह से होम लोन पर ब्याज की अनुमति दी जानी चाहिए।

नई दिल्ली, निरंजन हीरानंदानी। वैश्विक स्तर पर रियल-एस्टेट क्षेत्र को किसी भी अर्थव्यवस्था की बेहतरी मापने का एक विश्वसनीय संकेतक माना गया है और भारत के परिप्रेक्ष्य में भी यही सच है। यह सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग सात फीसद हिस्सा है, जबकि टोटल वर्क फोर्स की बात करें तो 270 सहायक उद्योगों पर गुणक प्रभाव के साथ निर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्र में कुल कर्मचारियों की संख्या का लगभग 15% कार्यरत हैं। यह कृषि के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा रोजगार देनेवाला क्षेत्र है और 2030 तक इसके 1 ट्रिलियन यूएस डॉलर की बाजार हिस्सेदारी तक पहुंचने और 2025 तक देश की जीडीपी में 13 फीसद योगदान करने का अनुमान है। अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और अनुमानित प्रभावों के संदर्भ में देखें तो भारत में निर्माण उद्योग 14 प्राथमिक क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर है।  

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कोविड महामारी जैसे अवरोधों ने इस शिथिल सेक्टर को और अंधेरे में धकेल दिया। सरकारी निकायों द्वारा राजकोषीय प्रोत्साहन और समय पर नीतिगत हस्तक्षेप ने उम्मीद की किरण के रूप में कार्य किया, जिससे क्षेत्र को संकट से उबारने में मदद मिली। आत्मनिर्भर भारत के तहत रियल एस्टेट सेक्टर के लिए घोषित विभिन्न उपायों ने ग्राहक भावना को बढ़ावा दिया है और भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रियल एस्टेट क्षेत्र में भी बेहतरी के आसार दिखे हैं। हमें विश्वास है कि आगामी केंद्रीय बजट 2021 वर्तमान गति को रफ्तार देने के लिए अपेक्षित बूस्टर डोज प्रदान करेगा, जो भारत को 5 ट्रिलियन यूएस डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर करने में मददगार होगा।

बजट पूर्व परामर्श प्रक्रिया के तहत भारत की रियल एस्टेट एपेक्स बॉडी नारेडको ने सरकारी प्राधिकार के समक्ष अपनी अपेक्षा सूची के साथ प्रतिनिधित्व किया, जिससे डिमांड और सप्लाई गैप को संबोधित करने में मदद मिलेगी:

आर्थिक सहायता योजना (सबवेंशन स्कीम) : आरबीआई और नेशनल हाउसिंग बैंक को घर खरीदारों को सीधे लाभ के लिए आर्थिक योजनाओं पर प्रतिबंध हटाने पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि कोविड संकट के कारण अनिश्चित रोजगार परिदृश्य में वे होम लोन ईएमआई और हाउस रेंट दोनों का भुगतान करने के लिए निश्चित रूप से संघर्ष कर रहे हैं।

लोन की मात्रा : आरबीआई ने 30 लाख रुपये या उससे कम के किफायती घरों के होम लोन के लिए 90 फीसद तक ऋण-से-मूल्य अनुपात की अनुमति दी है। हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए एमआईजी और एचआईजी सहित अन्य आवासों के लिए भी समान सुविधा की अनुमति दी जानी चाहिए।

आयकर कटौती : आयकर कटौती के तहत बिना किसी सीलिंग के पूरी तरह से होम लोन पर ब्याज की अनुमति दी जानी चाहिए। 2 लाख रुपए के होम लोन पर आईटी अधिनियम 1961 की धारा 24 के तहत ब्याज कटौती की वर्तमान सीमा को हटा दिया जाना चाहिए या समग्र मांग के कारण इसकी सीमा 5 लाख रुपये तक बढ़ जानी चाहिए। इसके अलावा, घर की संपत्ति से नुकसान को पूरी तरह से आय के अन्य प्रमुख स्रोतों के विरुद्ध समायोजित करने की अनुमति दी जानी चाहिए। असमायोजित नुकसान के मामले में, इसे पूरी तरह से बाद के वर्षों के लिए आगे बढ़ाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

 

दीर्घकालिक पूंजी लाभ : हाउस प्रॉपर्टी की बिक्री से दीर्घकालिक पूंजी लाभ पर 10 फीसद (इक्विटी शेयरों के लिए धारा 112 के समान प्रावधान) पर कर लगाया जाना चाहिए। साथ ही, लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट के समान करने के लिए हाउस प्रॉपर्टी की होल्डिंग अवधि को मौजूदा 24/36 महीने से घटाकर 12 महीने कर दिया जाना चाहिए।

ऋणों का एकबारगी पुनर्गठन : हाल ही में आरबीआई ने एक चेतावनी के साथ पुनर्गठन की अनुमति दी है कि बैंक केवल उन्ही उधारकर्ताओं के ऋणों का पुनर्गठन कर सकते हैं, जिनका अतिदेय 1 मार्च, 2020 तक 30 दिनों से अधिक का न हों और वे एनपीए न हों। अधिकांश इकाइयों को इसका लाभ नहीं मिलेगा। वित्तपोषण उद्यम के साथ आपसी समझौते के अनुसार सभी इकाइयों के लिए पुनर्गठन अनुमति पर इकाई की आवश्यकता मानक इकाई हो सकती है और उधारकर्ता के पास एक सकारात्मक आधार होगा।

स्वामी (SWAMIH) फंड : रियल एस्टेट सेक्टर की मदद के लिए 25000 करोड़ रुपए के फंड के लिए स्वामी फंड की स्थापना एक प्रशंसनीय पहल है, जिसकी इंडस्ट्री द्वारा काफी सराहना की गई है। हालांकि, यह निधि वैसी दबावग्रस्त परियोजनाओं जिनकी जरूरतें करीब 1,25,000 करोड़ हों, के अंतिम समय के धन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। यदि अनुमति मिले तो कई एचएफसी / एनबीएफसी रियल एस्टेट सेक्टर के लिए ऐसे फंड स्थापित करने को तैयार हैं, और यह तेजी से मूल्यांकन और प्रतिबंधों की भी अनुमति देगा।

किफायती रेंटल हाउसिंग : इस बजट में रेंटल और किफायती हाउसिंग को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। किराये के आवास के लिए, एचआरए कर छूट में वृद्धि, व्यावसायिक इमारतों की तरह किराये की परियोजनाओं के लिए त्वरित मूल्यह्रास दर और किराये की आय से नुकसान का 'वहन' करने की अनुमति देने से फर्क पड़ेगा। इसी तरह, सस्ती हाउसिंग परियोजनाओं के लिए रियायती ऋण दर को सक्षम करते हुए, किफायती आवास के पूरा होने की अवधि को छह साल तक बढ़ाने से लाभ होगा। क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) का सभी सेगमेंट के लिए विस्तार से घर खरीदारों को मदद मिलेगी। वैकल्पिक रूप से, किराये की आय को पूरी तरह से कर कटौती योग्य बनाया जाना चाहिए।

एसईजेड को प्रोत्साहन : एसईजेड की सफल पहल की तर्ज पर, यह प्रस्तावित है कि सरकार ‘स्पेशल रेंटल जोन' स्थापित करने पर विचार कर सकती है, जहां विशेष शर्तों और नीतियों, कर और विनियामक आदि के साथ किराए के उद्देश्य से मुख्य रूप से संपत्तियां बनाई जाएंगी। इतना ही नहीं निवेश के लिहाज से यह आकर्षक बनाने के लिए उपलब्ध होगा और विशेष रूप से छात्रों, श्रमिकों और पलायन करने वाली आबादी के लिए किफायती आश्रय विकल्पों के साथ अतिरिक्त आवास बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा अन्य सुधार जैसे आईटी / आईटीईएस एसईजेड के लिए 31 मार्च 2025 से अधिसूचना की तारीख बढ़ाने, मैट की वापसी और गैर-प्रसंस्करण क्षेत्रों (एनपीए) के लिए उपयोग मानदंड में छूट, रियल एस्टेट की बेहतरी सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।

रेंटल हाउसिंग डिवेलपर्स को टैक्स बेनिफिट : रेंटल हाउसिंग में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए रेंटल हाउसिंग प्रॉपर्टी से होने वाले मुनाफे पर 10 साल की टैक्स छूट या हाउसिंग प्रॉपर्टिज से होने वाली आय पर 10 फीसद फ्लैट टैक्स से निवेश को मजबूती मिलेगी औऱ धीमी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, निर्माण या अधिग्रहण पर इनपुट क्रेडिट दी जानी चाहिए, जिसे 5 वर्षों में किराये की आय पर जीएसटी देयता के विरुद्ध समायोजित किया जाना चाहिए। 

किफायती आवास : किफायती आवास परियोजनाओं के लिए रियायती ऋण दर को सक्षम करते हुए, पूर्ण होने की अवधि को 6 साल तक के लिए बढ़ाने से किफायती आवास को लाभ होगा। सभी सेगमेंट के लिए होम लोन यानी क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (सीएलएसएस) पर ब्याज के तौर पर आर्थिक मदद से होम बायर्स को सपोर्ट मिलेगा। इसके अलावा, किफायती आवासीय अपार्टमेंट की परिभाषा के तहत जहां एरिया कैप 1 फीसद जीएसटी और 45 लाख रुपए मोनेटरी कैप के अधीन आती है, उसे संशोधित करते हुए मोनेटरी कैप को हटाने  की जरूरत है या वैकल्पिक रूप से लिमिट 1 करोड़ रुपये तक बढ़ाई जा सकती है।

विदेशी वाणिज्यिक उधार की अनुमति (ईसीबी) : वित्तपोषण की जरूरतों को पूरा करने और फंडिंग खाई को पाटने के लिए, रियल एस्टेट सेक्टर में संस्थाओं को ईसीबी मार्ग के माध्यम से धन जुटाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे सेक्टर को कम लागत वाले फंड की सुविधा मिलती है और दूसरे रास्ते खुलते हैं।

डेवलपर्स को ऋण : अन्य उद्योगों के साथ डेवलपर्स के ऋण का जोखिम कम किया जाना चाहिए। अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए ऋण से जुड़े जोखिम भार प्राथमिकता क्षेत्र के ऋणों के अनुरूप होगा। इसी तरह दूसरे रियल एस्टेट सेक्टर ऋणों से जुड़े जोखिम भार 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए। बैंकों को जमीन, प्रीमियम, अनुमोदन लागत और निर्माण लागत आदि सहित रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के सभी घटकों की फंडिंग करनी चाहिए। 

इस प्रकार, मांग में वृद्धि गति को बनाए रखने का वास्तविक सार है। उद्योग की अन्तर्धारा ऊपरी वक्र प्रवृत्ति का पता लगाने वाले जैविक विकास स्तर के बारे में हैं। वर्ष 2021 की बजट से पहले कभी भी सकारात्मक दृष्टिकोण पर अधिक जोर नहीं दिया गया है, जिसमें रियल एस्टेट क्षेत्र सरकारी निकायों के साथ हाथ से हाथ मिलाकर सतर्कता और आशावाद के साथ स्थिति को आगे बढ़ाने के लिए काम करना चाहता है।

(लेखक नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हीरानंदानी ग्रुप के एमडी हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)


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