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Budget 2021: MSME सेक्टर को इस बार के बजट से हैं कई उम्मीदें, जानें किन मोर्चों पर मिल सकती है राहत

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी आगामी बजट में एमएसएमई के लिए विशेष प्रावधान करने का संकेत दे चुकी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार ने कोरोना काल में काफी समझदारी से वित्तीय प्रबंधन किया और खर्च को निश्चित सीमा तक ही बढ़ाया गया।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 09:03 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 12:16 PM (IST)
Budget 2021: MSME सेक्टर को इस बार के बजट से हैं कई उम्मीदें, जानें किन मोर्चों पर मिल सकती है राहत
सरकार को एमएसएमई को नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल के लिए वित्तीय सहायता देने का प्रावधान करना होगा।

नई दिल्ली, राजीव कुमार। कोरोना काल की चुनौतियों को अवसर में बदलने के लिए सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की घोषणा की। लेकिन इस अभियान को सफल बनाने के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 फीसद तो देश के निर्यात में 48 फीसद की हिस्सेदारी रखने वाले एमएसएमई को आत्मनिर्भर बनाना होगा। यही वजह है कि आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में सरकार को एमएसएमई मंत्रालय के लिए भी अन्य बड़े मंत्रालयों की तरह बजटीय प्रावधान करना होगा।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी आगामी बजट में एमएसएमई के लिए विशेष प्रावधान करने का संकेत दे चुकी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सरकार ने कोरोना काल में काफी समझदारी से वित्तीय प्रबंधन किया और खर्च को निश्चित सीमा तक ही बढ़ाया गया। इसलिए बजट में एमएसएमई के लिए नए प्रावधान की पूरी गुंजाइश है।

विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना काल में सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत एमएसएमई के लिए कई खास प्रावधान किए, लेकिन चालू वित्त वर्ष 2020-21 में एमएसएमई मंत्रालय के लिए सिर्फ 3510.43 करोड़ रुपए का वित्तीय प्रावधान किया गया। इनमें से 2500 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) के मद में, 856.52 करोड़ रुपए एमएसएमई के तहत काम करने वाले खादी ग्रामोद्योग को और 653.91 करोड़ रुपए क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी (सीएलसीएस) के मद में दिए गए।

कोरोना काल में एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपए के कोलैट्रल फ्री लोन, स्ट्रेस्ड एमसएमई के लिए 20,000 करोड़ तो अच्छी रेटिंग वाले एमएसएमई के लिए फंड ऑफ फंड के लिए 50,000 करोड़ दिए गए।

बोल्ड बजट की उम्मीद

फेडरेशन ऑफ इंडियन स्माल मीडियम इंटररप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज के मुताबिक पिछले दो-तीन महीने से जीएसटी संग्रह अधिक हो रहा है और आगे भी इसकी उम्मीद की जा रही है। इसलिए सरकार थोड़ा जोखिम लेते हुए एमएसएमई को बोल्ड बजट दे सकती है। फिस्मे के मुताबिक पिछले एक साल में तय लक्ष्य से अधिक एमएसएमई से सार्वजनिक खरीदारी की गई, लेकिन एमएसएमई से होने वाली खरीदारी में आम सहभागिता को बढ़ाने के लिए सरकार को बजट में अलग से प्रावधान करना होगा। कोरोना काल के दौरान जो एमएसएमई एनपीए हो गए हैं, उनके लिए भी सरकार को कोई न कोई नया रास्ता निकालना होगा।

चैंबर ऑफ इंडियन माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के प्रेसीडेंट मुकेश मोहन गुप्ता के मुताबिक इस साल के बजट में एमएसएमई के भुगतान में होने वाली देरी का समाधान निकलना चाहिए। क्योंकि अभी के कानून के मुताबिक 45 दिन के भीतर एमएसएमई को भुगतान नहीं मिलने पर एमएसएमई फैसिलिटेशन सेंटर जा सकता है, लेकिन वहां पहले से ही तीन-तीन साल पुराने मामले चल रहे हैं। 

लोन सुविधा के लिए बने पोर्टल

नए एमएसएमई की लोन सुविधा के लिए एक ऐसे पोर्टल का निर्माण होना चाहिए जहां नए एमएसएमई के लोन की सैद्धांतिक मंजूरी मिल सके। अभी इस प्रकार की सुविधा सिर्फ पहले से काम कर रहे एमएसएमई के लिए है। अभी नए एमएसएमई को कर्ज लेने में सबसे अधिक दिक्कत आती है क्योंकि उनका कारोबार चल नहीं रहा होता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक एमएसएमई को पूरी तरह से डिजिटल बनाने के लिए सरकार को बजट में इंसेंटिव का प्रावधान करना चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि एमएसएमई को कोई भी वित्तीय संस्था आसानी से लोन दे सकेगी। पूरी तरह से डिजिटल कारोबार करने से हर छोटे एमएसएमई की बैलेंस शीट अपने आप तैयार हो जाएगी।

सरकार को एमएसएमई को नवीनतम तकनीक के इस्तेमाल के लिए वित्तीय सहायता देने का प्रावधान करना होगा। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत के आधे एमएसएमई अन्य देशों के एमएसएमई की तरह तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं और वे अब भी परंपरागत तरीके से कारोबार कर रहे हैं। इससे उनकी उत्पादकता कम होती है और लागत अधिक। सरकार की तरफ से तकनीक की सुविधा मुहैया होने से उनका पूरा कारोबार बदल सकता है।


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