Budget 2021: रोजगार में वृद्धि के लिए सार्वजनिक खर्च के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भारी निवेश करे सरकार
एमएसएमई सेक्टर जो उत्पान गतिविधिओं का मुख्य क्षेत्र है और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है उसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष राहत प्रदान की जाए। इन कदमों में बकाया ऋणों में मोरेटोरियम ब्याज दर में कमी करना रियायती बिजली और श्रमिकों को इंसेंटिव देने जैसे कदम शामिल होने चाहिए।
नई दिल्ली, अमरजीत चोपड़ा। पूरी दुनिया कोविड-19 के रूप में अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है। यह चीन में उत्पन्न हुआ और पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया। इसके परिणामस्वरूप दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं को बड़े संकुचन का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बुरा जो हुआ है, वह है जनहानि। सौभाग्य से जल्द ही वैक्सीन को विकसित कर लिया गया, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली है। इस संकट के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश करेंगी। पूरा देश इस बजट से आस लगाए बैठा है। आइए जानते हैं कि देश को इस बजट से क्या उम्मीदें हैं।
1. किसी भी स्तर पर करों में वृद्धि नहीं की जाए, जिससे मांग को बढ़ावा देने के लिए उपभोक्ता के हाथों में पर्याप्त डिस्पोजेबल आय छोड़ी जा सके।
2. कुछ विशेष क्षेत्रों जैसे- विमानन, हॉस्पिटैलिटी, मनोरंजन, पर्यटन आदि को राहत प्रदान की जाए, जिससे इन क्षेत्रों में परिचालन सुचारू हो सके।
3. रोजगार में वृद्धि के लिए सार्वजनिक खर्च के जरिए इंफ्रा सेक्टर में भारी निवेश किया जाए।
4. एमएसएमई सेक्टर, जो उत्पादन गतिविधिओं का मुख्य क्षेत्र है और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है, उसे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष राहत प्रदान की जाए। इन कदमों में बकाया ऋणों में मोरेटोरियम, ब्याज दर में कमी करना, रियायती बिजली और श्रमिकों को इंसेंटिव देने जैसे कदम शामिल होने चाहिए।
5. उन सभी उद्योगों में श्रमिकों की संख्या बढ़ाने के उपाए किये जाएं, जिनमें कोरोना महामारी के चलते श्रमिकों को नौकरी से निकाला गया था।
6. विशिष्ट गतिविधियों के संबंध में कर राहत के माध्यम से सीएसआर को बढ़ावा दिया जाए।
7. 10 लाख रुपये से अधिक की कृषि आय वाले व्यक्तियों के लिए अलग कर स्लैब दर लाया जाए।
8. सीनियर सिटीजंस को उच्च ब्याज दर (न्यूनतम 7.5 फीसद) प्रदान की जाए।
9. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों की प्रक्रियाओं को आसान किया जाए।
10. स्टार्टअप्स की फंडिंग करने वाले बैंक और वित्तीय संस्थानों को एक विशेष सीमा के बाद कर राहत प्रदान की जाए।
11. सार्वजनिक क्षेत्र में अनुत्पादक संपत्ति को बेचकर संसाधन जुटाए जाएं।
12. ऑडिट को एक आवश्यक सेवा घोषित किया जाए।
13. राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (National Financial Reporting Authority) की स्थापना हो।
जनता की बजट से उम्मीदें वास्तव में कई ज्यादा हैं और शायद यह व्यावहारिक होने का समय है। इसलिए मांग पैदा करने, उद्योग को बढ़ावा देने, पूरे देश में रोजगार के अवसर पैदा करने और आपूर्ति की बाधाओं को खत्म करने जैसे कार्यों के लिए सभी संभव कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। वित्त मंत्री के हाथों में एक कठिन कार्य जरूर है, पर यह असंभव नहीं है।