Budget 2021: 'राजकोषीय घाटे पर ध्यान देने की बजाय ग्रोथ को प्रोत्साहन देने वाले कदम उठाए सरकार'
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 6.8 फीसद तक पहुंच सकता है। यह बजट में तय किए गए 3.5 फीसद के लक्ष्य से लगभग दोगुना है लेकिन पूर्व में जतायी गई आठ फीसद की आशंका से कम है।
नई दिल्ली, एमसी गुप्ता। भारत साल 2020 के अंधकार भरे दिनों से निकलकर रिकवरी की राह पर चल पड़ा है। अब सबकी निगाहें आगामी बजट पर लगी हुई हैं क्योंकि सरकार के समक्ष समग्र विकास को बढ़ावा देने के साथ राजकोष से जुड़ी समस्याओं का संतुलन निकालने की भी चुनौती है। ऐसे में सवाल वही है कि सरकार किस मद से पैसे लाएगी और कहां खर्च करेगी। आगे की मौद्रिक नीति तय करने में राजकोषीय घाटे का आंकड़ा भी काफी अहम रहेगा। हालांकि, इस पड़ाव पर सरकार को राजकोषीय घाटे की चिंता नहीं करनी चाहिए और असंगठित क्षेत्र और ग्रामीण इलाकों पर अधिक खर्च करना चाहिए।
केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 6.8 फीसद तक पहुंच सकता है। यह बजट में तय किए गए 3.5 फीसद के लक्ष्य से लगभग दोगुना है लेकिन पूर्व में जतायी गई आठ फीसद की आशंका से कम है। राजस्व के मोर्चे पर लगातार हुए सुधार और खर्च में कोई खास वृद्धि नहीं होने से इस मोर्चे पर पूर्व के अनुमान की तुलना में सुधार देखने को मिला है।
महामारी की वजह से सरकार ने कई तरह के सुधार और प्रोत्साहन कार्यक्रमों को लागू किया है। ऐसे में इस बात की उम्मीद है कि सरकार इकोनॉमी को और मजबूती देने के लिए कदम उठाएगी। इस बात को भी याद रखने की जरूरत है कि मोदी सरकार के फ्लैगशिप कार्यक्रम आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी सेक्टर्स को निजी भागीदारी के लिए खोलने की घोषणा की थी।
इस बात की उम्मीद की जा रही है कि विभिन्न सेक्टर्स को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत पैकेज की तरह ही विभिन्न तरह के कदम उठाना जारी रखेगी। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 महामारी के असर को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया था।
आने वाले समय में भारत की आर्थिक वृद्धि दर दोहरे अंकों में रह सकती है। मजबूत बुनियाद, कई संरचनात्मक सुधारों और कुछ हद तक लो बेस की वजह से वृद्धि दर दोहरे अंकों में रह सकती है।
इस बात की उम्मीद की जा रही है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर, कृषि, सामाजिक क्षेत्र, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और निर्माण एवं आवासीय क्षेत्र पर ध्यान दिया जा सकता है। ऐसी उम्मीद है कि सरकार शोध एवं विकास (R&D) को बढ़ावा देने, नए टेक्नोलॉजी को प्रोत्साहित करने के साथ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती देने की नीति जारी रखेगी। सड़क और हाईवे जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को वरीयता मिलने की उम्मीद है क्योंकि इनमें रोजगार की बहुत अधिक संभावनाएं मौजूद हैं।
(लेखक SMC Global Securities के वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी हैं।)