Budget 2021: बढ़ती मांग के बीच साइकिल उद्योग को सरकारी मदद की दरकार, पीएलआइ स्कीम में सेक्टर को शामिल करने की मांग
यूरोप अपनी आक्रामक कारोबारी नीति के दम पर साइकिल बाजार में 17 अरब डॉलर की हिस्सेदारी रखता है। इसके बाद 15 अरब डॉलर के कारोबार पर चीन का कब्जा है। चीन सरकार कई नीतियों के जरिये कारोबारियों को निर्यात में मदद देती है।
लुधियाना, मुनीश शर्मा। कोरोना महामारी के दौर में साइकिल के बढ़ते चलन से इस साल साइकिल का वैश्विक बाजार बढ़कर 60.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। साइकिल की बढ़ती मांग को पूरा करने और वैश्विक बाजार में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए भारतीय साइकिल उद्योग ने सरकार से अनुकूल नीतियों की मांग की है। इससे भारतीय साइकिल उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी।
बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग बेस और प्रमुख इंडस्ट्री प्लेयर होने के बावजूद भारतीय कंपनियों को चीन के उत्पादों के कारण मुश्किल का सामना करना पड़ता है। वैश्विक बाजार में चीनी उत्पाद 15 से 20 फीसद तक सस्ते हैं। इसे देखते हुए साइकिल सेक्टर ने प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआइ) स्कीम के साथ-साथ स्कीम फार प्रमोशन ऑफ इलेक्ट्रानिक कंपोनेंट्स एंड सेमीकंडक्टर्स (एसपीईसीएस) के तहत इलेक्ट्रिक साइकिल और कंपोनेंट को शामिल करने की मांग की है।
हीरो मोटर्स कंपनी (एचएमसी) के मैनेजिंग डायरेक्टर और चेयरमैन पंकज एम मुंजाल ने कहा कि स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को सरकारी मदद की जरूरत है, ताकि वे लागत कम कर निर्यात बढ़ा सकें। साइकिल, ई-बाइक्स के साथ-साथ इनके कंपोनेंटस को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए इन्हें पीएलआइ के दायरे में लाना चाहिए। पांच साल के लिए 20 फीसद प्रोडक्शन से जुड़े इंसेंटिव से न केवल साइकिल और ई-साइकिल सेगमेंट को तकनीकी दिक्कतों को दूर करने में मदद मिलेगी, बल्कि आर्थिक विकास में भी यह मददगार होगा। इसी तरह एसपीईसीएस के तहत इलेक्ट्रिक साइकिल और कंपोनेंट को मदद देना भी अहम होगा।
यूरोप अपनी आक्रामक कारोबारी नीति के दम पर साइकिल बाजार में 17 अरब डॉलर की हिस्सेदारी रखता है। इसके बाद 15 अरब डॉलर के कारोबार पर चीन का कब्जा है। चीन सरकार कई नीतियों के जरिये कारोबारियों को निर्यात में मदद देती है। इससे भारतीय मैन्यूफैक्चर्स को नुकसान होता है। भारत सरकार भी अपने उद्योगों को मदद देकर इस दिशा में कदम बढ़ा सकती है।